दो दिनों में डेंगू के 34 मरीज, जीएनडीएच और सिविल अस्पताल में वार्ड फुल
शहर के कोने-कोने में डेंगू मच्छर ने पैर पसार लिए हैं।
जासं, अमृतसर: शहर के कोने-कोने में डेंगू मच्छर ने पैर पसार लिए हैं। 23 सितंबर को 393 केस थे और 24 और 25 सितंबर को 17-17 केस रिपोर्ट हुए। यानी दो दिनों में 34 केस आने से आंकड़ा 400 के पार हो गया। जिले में महज चार महीनों में कुल 427 डेंगू संक्रमित हो गए हैं। सर्वाधिक मरीज सितंबर में मिले हैं। गुरु नानक देव अस्पताल व सिविल अस्पताल के डेंगू वार्ड्स पूरी तरह फुल हैं। वहीं निजी अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। अफसोसनाक पहलू है कि निजी अस्पतालों में कितने मरीज हैं इस संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग तक जानकारी नहीं पहुंचाई जा रही है। नियमानुसार रैपिड कार्ड टेस्ट में डेंगू की संभावना मिलने पर मरीज का एलाइजा टेस्ट करवाया जाता है, पर निजी अस्पतालों में कार्ड टेस्ट के बाद ही मरीज को डेंगू संक्रमित बताकर इलाज के नाम पर मोटी राशि वसूली जा रही है। इसकी शिकायतें सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह के पास भी पहुंची हैं। उन्होंने ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।
दरअसल, डेंगू की पुष्टि के लिए आइजीजी आइजीएम की जांच होती है। कई निजी अस्पताल रैपिड कार्ड टेस्ट कर सिर्फ आइजीजी पाजिटिव होने पर डेंगू पाजिटिव घोषित कर देते हैं। एलाइजा टेस्ट में आइजीजी व आइजीएम दोनों की जांच होती है। दोनों के पाजिटिव होने पर ही डेंगू माना जाता है। एलाइजा टेस्ट से खून के नमूने से इंफेक्शन के स्तर की जांच होती है। यह टेस्ट सिविल अस्पताल व मेडिकल कालेज में किया जाता है। अब शहर के हर क्षेत्र से मरीज रिपोर्ट होने लगे
सितंबर में हुई बरसात के बाद डेंगू का लारवा तेजी से पनपा है। सुल्तानविड रोड, अंतर्यामी कालोनी, बसंत एवेन्यू, रंजीत एवेन्यू, ग्रीन एवेन्यू के अलावा अब शहर के हर क्षेत्र से मरीज रिपोर्ट होने लगे हैं। नगर निगम की 16 गाड़ियां शहर में मच्छर मार दवा का छिड़काव कर रही हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग की 50 टीमें लारवा नष्ट करने में जुटी हैं। जिस अस्पताल में इलाज, वहीं पर मच्छरों को न्यौता
इसी बीच शनिवार को जिला महामारी अधिकारी डा. मदन मोहन ने गुरुनानक देव अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. केडी सिंह से मुलाकात कर प्रबंधों का जायजा लिया। डा. मदन ने कहा कि अस्पताल में सफाई व्यवस्था का प्रबंध इसी प्रकार रहना चाहिए। परिसर में जलजमाव न हो यह सुनिश्चित करें। दूसरी तरफ गुरु नानक देव अस्पताल में जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। जरा सी बरसात में यहां पानी जमा हो जाता है। पिछले तीन दिनों से यहां पानी जमा है। यदि यह पानी सात दिन तक नहीं हटाया तो डेंगू का लारवा पैदा हो सकता है। ऐसी स्थिति में अस्पताल की विभिन्न वार्डों में उपचाराधीन मरीज डेंगू संक्रमित हो सकते हैं।