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विधायक भलाईपुर के खिलाफ सीवीसी ने शुरू की जांच : सितारा

। बाबा बकाला के गांव सठियाला के रहने वाले समाज सेवक परमजीत सिंह सितारा ने हलका विधायक पर अपनी फैक्टरी से तैयार टाइलों को पंचायतों के विकास कार्य में लगवाए जाने के आरोप लगाए हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 12:54 AM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 12:54 AM (IST)
विधायक भलाईपुर के खिलाफ सीवीसी ने शुरू की जांच :  सितारा
विधायक भलाईपुर के खिलाफ सीवीसी ने शुरू की जांच : सितारा

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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बाबा बकाला के गांव सठियाला के रहने वाले समाज सेवक परमजीत सिंह सितारा ने हलका विधायक पर अपनी फैक्टरी से तैयार टाइलों को पंचायतों के विकास कार्य में लगवाए जाने के आरोप लगाए हैं। सितारा द्वारा केंद्रीय विजिलेंस को इस बाबत भेजी शिकायत के बाद सीवीसी अधिकारी अनिल बहूगुणा ने जांच शुरू कर दी है। सितारा ने यह जानकारी रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में दी।

सितारा ने आरोप लगाए कि विधायक के पास विधानसभा चुनावों से पहले करीब 36 लाख की चल-अचल संपत्ति थी, जो आज करोड़ों में हो चुकी है। विधायक संतोख सिंह भलाईपुर अपनी ताकत का दुरुपयोग कर पंचायतों के विकास के नाम पर सरकारी फंड अपनी जेब डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधायक के बेटे ने गगड़ेवाल गांव में पार्टनरशिप में इंटरलॉकिग टाइल फैक्टरी लगाई जिसकी टाइलों का इस्तेमाल आजकल धड़ाधड़ गांवों के विकास कार्य में किया जा रहा है। घटिया क्वालिटी की इंटरलॉकिग टाइल लगा कर सरकारी फंड का दुरुपयोग किया जा रहा है।

सितारा ने कहा कि क्योंकि इससे पब्लिक मनी का नुकसान हो रहा है तो उन्होंने सेंट्रल विजिलेंस कमीशन को शिकायत कर दी। यह शिकायत उन्होंने सीवीसी के संयुक्त सचिव को भेजी थी, जिसके बाद इसकी जांच सीवीसी के अधिकारी अनिल बहूगुणा को सौंप दी है। उन्हें उम्मीद है कि इसमें सच्चाई निकल कर सामने आएगी। वहीं उन्होंने इस मामले में राज्य स्तर पर भी जांच करवाए जाने की मांग करते हुए कहा कि इस शिकायत की प्रतियां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह तथा कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा सांसद व कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी भेजी हैं।

विधायक ने आरोपों को नकारते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया

वहीं दूसरी तरफ विधायक संतोख सिंह भलाईपुर ने उक्त आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह राजनीति से प्रेरित आरोप हैं। बेटे की टाइल फैक्टरी बाबत उन्होंने कहा कि फैक्टरी पहले से है और इसका लाइसेंस भी है। वहीं गांवों के विकास कार्यो में बेटे की फैक्टरी में तैयार इंटरलॉकिग टाइलें लगवाने के लिए वे कभी भी किसी भी पंचायत पर दबाव नहीं डालते। पंचायतें अपनी मर्जी से चाहें तो टाइलें खरीद गांवों की गलियों और बाजारों में लगा सकती हैं।


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