झूठे मुकदमे में नहीं दिया मुआवजा, अब ब्याज सहित लौटाने होंगे 14.85 लाख
आतंकवाद के दौरान दर्ज की गई झूठी एफआइआर के बदले में सरकार को मानवाधिकार संगठन के चीफ इन्वेस्टिगेटर सरबजीत सिंह वेरका को 14.85 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : आतंकवाद के दौरान दर्ज की गई झूठी एफआइआर के बदले में सरकार को मानवाधिकार संगठन के चीफ इन्वेस्टिगेटर सरबजीत सिंह वेरका को 14.85 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। हालांकि इस बाबत जिला खजाना अधिकारी मंजीत कौर ने सिविल जज सीनियर डिवीजन बलविदर सिंह की कोर्ट में पेश होकर स्टेटमेंट दी है कि इस राशि का भुगतान डीसी अमृतसर कर सकते हैं।
वकील सरबजीत सिंह वेरका ने बताया कि साल 1985 में जसवंत सिंह खालड़ा को पुलिस ने लापता कर दिया था। उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए पुलिस के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। साल 1997 में तरनतारन पुलिस ने जसवंत सिंह खालड़ा की पत्नी परमजीत कौर खालड़ा, राजीव रंधावा, कुलदीप सिंह, कृपाल सिंह, सरबजीत सिंह वेरका सहित दर्जनभर आरोपितों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में केस दर्ज किया था। साल 2007 में एडीजीपी ने इस मामले को झूठा पाया और उस रिपोर्ट पर कोर्ट ने एफआइआर को खारिज कर दिया।
सरबजीत सिंह ने बताया कि 2008 में उन्होंने इस झूठे केस के खिलाफ सरकार से मुआवजे की मांग करते हुए कोर्ट में केस दायर किया था। न्यायधीश पीएस राय की कोर्ट ने साल 2013 में सरकार को दस लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए थे। हालांकि इस फैसले के खिलाफ सरकार ने अपील भी कोर्ट में डाली थी जिसे अदालत ने साल 2017 में खारिज कर दिया गया। दो साल पहले दिए थे सीपी और डीजीपी के सरकारी वाहन अटैच करने के आदेश
वकील सरबजीत सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ से राशि नहीं मिलने पर साल 2019 में शहर की एक कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर (सीपी) अमृतसर, डीजीपी पंजाब के सरकारी वाहन अटैच करने के आदेश जारी किए थे। मगर सरकार ने इस पर गौर नहीं किया। इसके बाद फिर वेरका ने हाल ही में कोर्ट में अपील दायर की। अब कोर्ट ने दस लाख रुपये मुआवजे पर ब्याज लगाते हुए 14.85 लाख रुपये भुगतान करने के आदेश जारी किए हैं। पैसे नहीं मिलने पर जिला खजाना अफसर को कोर्ट ने तलब किया था।