Golden Temple, Punjab, Controversy on Kirtan: महिला अधिकार पर एकमत नहीं धार्मिक नेता
Golden Temple Punjab Controversy on Kirtan श्री हरिमंदिर साहिब में महिलाओं के कीर्तन के अधिकार पर विवाद फिर से शुरू हो गया है।
अमृतसर [पंकज शर्मा]। Golden Temple, Punjab Controversy on Kirtan: केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मामला कोर्ट में उलझा हुआ है। इस बीच अमृतसर स्थित श्री हरिमंदिर साहिब में महिलाओं के कीर्तन के अधिकार पर विवाद फिर से शुरू हो गया है। पंजाब सरकार ने 9 सितंबर, 2019 को विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर श्री अकाल तख्त साहिब व SGPC से अपील की थी कि महिलाओं को भी श्री हरिमंदिर साहिब में कीर्तन करने की इजाजत दी जाए।
सरकार का तर्क है कि गुरु नानक देव जी ने भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान दिया था। वहीं, इस मामले में सिख पंथ में अलग-अलग मत हैं। पंथ के अंदर बहुसंख्यक वर्ग महिलाओं को कीर्तन करने की इजाजत देने के पक्ष में है। हालांकि, इस मुद्दे को विवादित श्रेणी में रखा गया है। हर पंथक नेता इस पर बहस से बचता है। विधानसभा में प्रस्ताव पास करने के बाद से इस पर फिर से बहस शुरू हो गई है।
रहत मर्यादा में स्पष्ट निर्देश नहीं
- 1940 में रखे गए प्रस्ताव को SGPC ने अभी तक लागू नहीं किया।
- 1932 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की एक सब कमेटी ने सिख रहत मर्यादा तैयार की। इसे SGPC ने स्वीकृति प्रदान की। इसमें कही भी महिलाओं को कीर्तन करने या न करने के संबंध में स्पष्ट निर्देश नहीं हैं।
- 1 अगस्त, 1936 और फिर 3 फरवरी, 1945 में भी मर्यादा में संशोधन किया गया, लेकिन इस मुद्दे को नहीं छेड़ा गया। SGPC और श्री अकाल तख्त साहिब इस पर कोई सार्थक निष्कर्ष नहीं निकाल पाए हैं।
क्या है इतिहास
महिलाओं को श्री हरिमंदिर साहिब में कीर्तन करने वाले रागी सिंहों के जत्थे के पीछे बैठने की भी इजाजत नहीं है। यह परंपरा अंग्रेजी शासनकाल से ही चल रही है। गुुरुद्वारों का प्रबंधन SGPC के पास आने के बाद भी यह परंपरा जारी रही।
क्या कहते हैं धार्मिक नेता
SGPC की महिला सदस्य बीबी किरणजोत कौर का कहना हैै कि महिलाओं को श्री हरिमंदिर साहिब में कीर्तन का अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन SGPC इसे लागू करने के लिए तैयार नहीं है। जब गुरु साहिब ने महिलाओं को उच्च स्थान दिया है, महिलाओं की आज हर काम में बराबर की भागीदारी है, तो कीर्तन के मुद्दे पर महिलाओं को नजरंदाज क्यों किया जा रहा है। अगर महिलाएं अन्य जगहों पर कीर्तन कर सकती हैं, तो फिर श्री हरिमंदिर साहिब व श्री अकाल तख्त साहिब पर क्यों नहीं। हम कौन होते हैं कि महिलाओं को उनका अधिकार न दें।
श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती का कहना है कि मामला सिख धर्म की रहत मर्यादा से जुड़ा है। यह विवाद काफी पुराना है। इस पर सिख बुद्धिजीवियों और धार्मिक व्यक्तियों में चर्चा होनी चाहिए। एक धार्मिक कमेटी बननी चाहिए, जो फैसला लेकर श्री अकाल तख्त साहिब को सूचित करे। इसके बाद ही पांच सिंह साहिबान अपना फैसला लें। विधानसभा की ओर से धार्मिक फैसले नहीं लेने चाहिए।
श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई रणजीत सिंह का कहना है कि बादल परिवार ने SGPC और श्री अकाल तख्त साहिब के सिद्धांतों का सरकारीकरण कर दिया है। सरकारी दखलंदाजी बढऩे से ही विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित किया गया है। यह सिख धर्म से जुड़ा मुद्दा है। इसका फैसला सिख कौम व सिख बुद्धिजीवी ही ले सकते हैं। SGPC व तख्त साहिबों पर बैठे लोगों में कौम के फैसले लेने की हिम्मत नहीं रह गई है।
तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह का कहना हैै कि यह सिख कौम का निजी मामला हैै। इस पर श्री अकाल तख्त साहिब पर ही फैसला हो सकता है। विधानसभा में इस तरह का प्रस्ताव पारित करना धर्म में राजनीति की दखलंदाजी है।
तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह का कहना हैै सिख धर्म में गुरु साहिबान ने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिया है। SGPC और श्री अकाल तख्त साहिब को भी अब फैसला लेकर 550वें प्रकाश पर्व पर महिलाओं को श्री हरिमंदिर साहिब में कीर्तन करने की इजाजत देनी चाहिए। सिख बुद्धिजीवियों को मिल बैठकर विचार करना चाहिए। रहत मर्यादा में इस तरह की कोई भी मनाही नही है।
SGPC के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ का कहना है कि महिलाओं को श्री हरिमंदिर साहिब में कीर्तन करने का अधिकार देने की मांग काफी समय से उठती आ रही है। यह कोई मर्यादा का मामला नहीं है। यह सिख सिद्धांतों का मामला है। SGPC के मौजूदा नेतृत्व व श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्ट फैसला लेकर एलान कर देना चाहिए।
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