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कुदरती स्त्रोतों को साथ लेकर हरित क्रांति की ओर बढ़े: प्रो. जगबीर

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के फैकल्टी डवलपमेंट सेंटर की ओर से पीने वाले पानी हो रही बर्बादी को बचाने के लिए करवाई दो दिवसीय वर्कशॉप शुक्रवार को संपन्न हो गई। इस कांफ्रेंस में देश भर से 45 अध्यापक शामिल हुए थे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 08:05 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 08:05 PM (IST)
कुदरती स्त्रोतों को साथ लेकर हरित क्रांति की ओर बढ़े:  प्रो. जगबीर
कुदरती स्त्रोतों को साथ लेकर हरित क्रांति की ओर बढ़े: प्रो. जगबीर

जागरण संवाददाता, अमृतसर : गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के फैकल्टी डवलपमेंट सेंटर की ओर से पीने वाले पानी हो रही बर्बादी को बचाने के लिए करवाई दो दिवसीय वर्कशॉप शुक्रवार को संपन्न हो गई। इस कांफ्रेंस में देश भर से 45 अध्यापक शामिल हुए थे। पंजाबी यूनिवर्सिटी के प्रो. जगबीर सिंह मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए थे। उन्होंने पीने योग्य पानी की बिगड़ती गुणवत्ता पर दुख व्यक्त किया। कहा कि दिन-ब-दिन जल संकट गहराता जा रहा है। इस पर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में सामाज का चेहरा बहुत ही भयंकर होने वाला हैं। उन्होंने कहा कि लगातार हमारी नदियां, नाले सूखते जा रहे हैं, जिस कारण किसानों को भी ज्यादा पानी के साथ सिंचाई वाली फसलों को बीजने से गुरेज करना होगा। पानी की कमी होने के कारण कई जीवों की प्रजातियां तक खत्म हो चुकी हैं। आज जरूरी है कि हम हरित क्रांति की तरफ बढ़े और कुदरती स्त्रोतों को साथ लेकर चलें। हरित क्रांति के जरिए ही पानी को बचाया जा सकता है। पूरे विश्व भी इस बात को स्वीकार कर चुका है और जल्द से जल्द वेकअप की कॉल दी जानी चाहिए, ताकि सभी मिलकर पानी को बचाने की तरफ ध्यान दे सकें।

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कोआर्डीनेटर डॉ. रजिदर कौर ने कहा कि अपने घरों से निकलने वाले वेस्ट पानी का भी सही इस्तेमाल कर हम अपना योगदान डाल सकते हैं। एसी, आरओ से निकलने वाले पानी को बर्तन साफ करने, कपड़े धोने, साफ-सफाई के लिए प्रयोग किया जा सकता हैं। इसी तरह घर पर कार आदि धोने के लिए भी पाइप से नहीं बल्कि बाल्टी में पानी लेकर प्रयोग करना चाहिए।

प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर प्रो.आर्दशपाल सिंह विग ने देश में बिगड़ रहे पानी के स्तर के आंकड़ों को पेश किया। उन्होंने बताया कि देश कितने राज्यों से पानी लगभग खत्म हो चुका है और वह सभी गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं अंत में सभी अध्यापकों ने शपथ ली कि वह खुद भी पानी बचाने के लिए प्रयास करेंगे और लोगों को भी जागरूक करेंगे।


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