आधा घंटा भिड़ने के बाद शिकायतकर्ता ने काबू किया धाखाधड़ी का आरोपित
अमृतसर छेहरटा इलाके में 30.57 लाख की धोखाधड़ी के मामले में नामजद एक आरोपित को काबू करने के लिए शिकायतकर्ता राधे श्याम और उनके सहयोगी को आधा घंटा लग गया।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
छेहरटा इलाके में 30.57 लाख की धोखाधड़ी के मामले में नामजद एक आरोपित को काबू करने के लिए शिकायतकर्ता राधे श्याम और उनके सहयोगी को आधा घंटा लग गया। दोनों में कई बार भिडंत हुई। राजू को इस दौरान कई खरोंचे भी आईं। जैसे ही आरोपित राकेश कुमार भागने का प्रयास करता दोनों तुरंत उसके साथ भिड़ने लग जाते। हेरानी की बात तो यह थी कि घटना स्थल से गुजरने वाले किसी व्यक्ति ने ना तो उन्हें छुड़ाने का प्रयास किया और ना ही इस संबंधी पुलिस को शिकायत की। फिर किसी तरह राजू ने पुलिस कमिश्नर सुधांशु शेखर श्रीवास्तव को जानकारी दी। सीपी के आदेश पर तुरंत पुलिस पार्टी घटना स्थल पर पहुंची और राकेश को काबू कर लिया गया। इसके बाद उसे इओ ¨वग (आर्थिक अपराध शाखा) में लाया गया। रात तक पुलिस राकेश से पूछताछ करती रही। बाद में पता चला कि इओ ¨वग की तरफ से 30 अगस्त-2018 को छेहरटा थाने में दर्ज करवाई गई एफआईआर की डीसीपी अमरीक ¨सह पवार दोबारा जांच के आदेश दे चुके हैं। जबकि शिकायतकर्ता का कहना है कि जांच के बाद दर्ज किए गए मामले पर दोबारा जांच नहीं होनी चाहिए। इससे पुलिस का समय तो बर्बाद होता ही है, वहीं दूसरी तरफ आरोपित पक्ष कोई ना कोई पेंच फंसाकर बच जाते हैं।
क्या है मामला
खंडवाला के पिशोरी नगर निवासी राधे श्याम के बयान पर छेहरटा थाने में राम नगर कालोनी निवासी राकेश कुमार खौसला और गोरव के खिलाफ धोखाधड़ी व जालसाजी की धारा के आरोप में केस दर्ज किया था। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया था कि वह इलाके में बर्तन की दुकान चलाते हैं। उक्त आरोपित फाइनेंस का कारोबार करते हैं। 2012 में दोनों के साथ उसकी मुलाकात हुई और उन्होंने अपनी कंपनी में पैसे लगाने की बात कही। उसे लालच दिया गया कि वह जल्द उनका पैसा डबल कर देंगे। आज तक आरोपित उनसे 30 लाख, 50 हजार और पांच सौ रुपये ले चुके हैं। बदले में उन्हें आज तक कोई पैसा वापस नहीं दिया गया। जब उन्होंने पैसे वापस मांगे तो आरोपितों ने उक्त राशि लौटाने से इनकार कर दिया। कानून के मुताबिक नहीं छोड़ सकता : एडीसीपी क्राइम
पुलिस कमिश्नर के आदेश पर जांच के लिए इओ ¨वग पहुंचे डीसीपी हरजीत ¨सह धालीवाल ने बताया कि वह मामले की जांच कर रहे हैं। एफआईआर जांच के बाद दर्ज हुई है। हालाकि विभाग ने मामले पर जांच के आदेश दिए हों। लेकिन कानून के मुताबिक उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।