दहशत में नहीं, हंस-खेल कर बिताएं समय
। थां थां खड़ा कोरोना लोको अपने पैर पसार सवारी अपने समान दी हुण आपे जिम्मेवार अजे तां जंग कोरोना वाली लगदी वस्सों बाहर।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
थां थां खड़ा कोरोना लोको अपने पैर पसार, सवारी अपने समान दी हुण आपे जिम्मेवार, अजे तां जंग कोरोना वाली लगदी वस्सों बाहर। फिलहाल तां नालो-नाल है चलना, कोरोना अते व्यापार, किवें लड़ाई लड़नी मित्तरो, दस दित्ता सरकार, मन्नो या ना मन्नो तुहाडे है अख्तियार
सवारी अपने समान दी हुण आपे जिम्मेवार। उक्त कविता के माध्यम से हास्य कलाकार सुरिदर फरिश्ता उर्फ घुल्ले शाह ने दैनिक जागरण के फेसबुक लाइव पर जुड़े लोगों को खूब हंसाया और कोविड-19 के प्रकोप से बचने के लिए हंसते-हंसते हुए जागरूक किया। उन्होंने कहा कि देश व समाज में जगह-जगह कोविड-19 का संक्रमण खड़ा है, जो किसी को भी मालूम नहीं होता कि वो लोगों को किस तरह से प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि सुनने में आ रहा है कि कोविड-19 हमारी जिदगी का हिस्सा बन गया है और जब तक इसके प्रकोप को रोकने के लिए कोई दवा नहीं आ जाती, तब तक लोगों को होशियार होकर अपना जीवन गुजारना होगा।
विश्व के हालात सुधरने में परमात्मा करे मदद
सुरिदर फरिश्ता उर्फ घुल्ले शाह ने कहा कि इस महामारी की दहशत में लोग अपना जीवन गुजार रहे हैं, जोकि किसी भी तरह लोगों के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि आज के समय में लोग अपने घर में अपने पारिवारिक सदस्यों से ही डरते हैं, क्योंकि उन्हें शक होता है कि बाहर से आने वाले घर से सदस्य किस इंसान से मिलकर आए हैं। उन्होंने कहा कि दहशत से नहीं बल्कि हंस खेलकर अपना जीवन गुजरना चाहिए, क्योंकि परमात्मा के रंगों को कोई नहीं जानता है। कोविड-19 की महामारी आने से एक तरफ जहां मानव जाति को नुक्सान सहन करना पड़ा है, वहीं देश की नदियां और नालों के साथ-साथ पर्यावरण में स्वच्छता देखी गई है। उनकी अरदास है कि परमात्मा हमारी कमियां और कमजोरियां माफ करके देश ही नहीं बल्कि विश्व के हालातों में सुधार करे। ताकि सब लोग आपस में मिलजुल कर रहें और परमात्मा के शुक्रगुजार हों।