अनलॉक में घाटे का सौदा साबित हो रही बीआरटीएस
कोरोना अनलॉक के बीच भले ही बीआरटीएस बसों को ट्रैक पर दौड़ा दिया गया है लेकिन फिलहाल ये घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर: कोरोना अनलॉक के बीच भले ही बीआरटीएस बसों को ट्रैक पर दौड़ा दिया गया है, लेकिन फिलहाल ये घाटे का सौदा साबित हो रहा है। कारण, यात्रियों की संख्या बेहद कम है। कोरोना के डर से लोग अपने निजी वाहनों से सफर करने को पहल दे रहे हैं। साफ है कि बसों में शारीरिक दूरी बनाए रखना मुमकिन नहीं। इस कारण कंपनी को बसें चलाने में फिलहाल कोई मुनाफा नहीं हो रहा। हालांकि कंपनी ने अभी सिर्फ 40 बसें ही चलाई हैं, लेकिन इन हालातों में अभी और बसों को ट्रैक पर नहीं उतारा जा सकता।
कर्मचारी चाहते हैं सभी बसें चलाई जाएं
बीआरटीएस में काम करने वाले करीब 300 कर्मचारियों को कोराना काल में वेतन नहीं मिला था। वे लगातार मांग कर रहे थे कि वेतन दिया जाए। साथ ही बसें चलाई जाएं ताकि वे काम पर लौट सकें। इस कारण कंपनी ने पांच दिन पहले ही कुल 81 में से 40 बसें अलग-अलग रूट पर उतार दीं। साथ ही कर्मचारियों को दो महीने का वेतन भी जारी कर दिया। हालांकि और बसें चलाए जाने की मांग अभी पूरी नहीं की जा सकती। रोजाना दो हजार से भी कम यात्री कर रहे सफर
कोरोना लॉकडाउन से पहले बीआरटीएस बसों में रोजाना यात्रा करने वालों की संख्या 25 से 30 हजार रहती थी। स्कूलों व कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा रहती थी। मगर अब यात्रियों की संख्या रोजाना घटकर दो हजार से भी कम रह गई है। इस कारण रोजाना ही कंपनी को करीब डेढ़ लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। अलग-अलग रूटों पर चल रही 40 बसों में रोजाना का 1500 से 2000 लीटर डीजल खपत हो रहा है। इस पर करीब पौने दो लाख रुपये खर्च आ रहा है।