गुटबंदी : संघ अधिकारी ने दो आला नेताओं को तलब कर लगाई क्लास
अमृतसर भारतीय जनता पार्टी में गुटबंदी के चलते नेताओं में बनी टस्सल के हालात किसी से छिपे नहीं है।
विपिन कुमार राणा, अमृतसर
भारतीय जनता पार्टी में गुटबंदी के चलते नेताओं में बनी टस्सल के हालात किसी से छिपे नहीं है। मिशन 2019 के समक्ष गुटबंदी को चुनौती बनता देखकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गंभीर हो गया है। संघ के उत्तर भारत के एक बड़े नेता ने रविवार को भाजपा के स्थानीय दो बड़े नेताओं को मॉडल टाउन स्थित संघ कार्यालय में तलब किया और गुटबंदी व पार्टी में बने हुए तेरा लीडर, मेरा लीडर के हालातों को लेकर जमकर क्लास लगाई।
स्थानीय दोनों कद्दावर नेताओं को बारी-बारी से कार्यालय में बुलाया गया और उन्होंने जिस तरह के पार्टी में हालात बनाए हुए हैं, उससे अवगत करवाया गया। नेताओं ने भी एक-दूसरे की पोलपट्टी खोलने में कोई कसर नहीं रखी। संघ अधिकारी ने उन्हें दो टूक व्यक्ति विशेष की जगह पार्टी व विचारधारा के साथ चलने की नसीहत दी। इतना ही नहीं भविष्य में इस तरह की कोई भी शिकायत न आए, इसे लेकर भी चेताया। बताते चले कि पार्टी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्वेत मलिक और पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी को लेकर धड़ेबंदी चल रही है। 6 सितंबर को घोषित की गई जिला कार्यकारिणी में जोशी खेमे के नेताओं को बुरी तरह से खुड्डे लाइन लगाया गया और जोशी विरोधी को जिले में बड़े ओहदों से नवाजा गया। डिमोशन देख भंडारी ने पद छोड़ा
जिला कार्यकारिणी में अनु भंडारी को स्वच्छ भारत प्रकल्प का जिला प्रधान नियुक्त किया गया। इससे पूर्व भंडारी स्वच्छ भारत अभियान पंजाब के सह प्रभारी रहे है और प्रधानमंत्री योजनाओं के जिला इंचार्ज रहे है। प्रदेश स्तरीय काम करने के बाद जिला स्तर पर उनकी की गई नियुक्ति उन्हें नागवार गुजरी। उन्होंने रात को ही फेसबुक पर अपलोड करते हुए नियुक्त के लिए पंजाब व जिला प्रधान का आभार व्यक्त किया और खुद को इसके लिए असमर्थ बताया। भंडारी ने कहा कि पार्टी में काम के लिए उन्हें ओहदे की जरूरत नहीं है। वह बतौर कार्यकर्ता काम करते रहेंगे। मिशन 2019 में नए चेहरों पर दाव
प्रधानमंत्री का मिशन 2019 सिर पर है और भाजपा ने अनुभवी मंडल प्रधानों की जगह नए चेहरों पर दाव खेला है। आधा दर्जन के लगभग अनुभवी मंडल प्रधानों ने पार्टी नेतृत्व के प्रति रोष व्यक्त करते हुए पूर्व में ही इस्तीफे दे दिए थे। अब 19 में से 15 मंडल प्रधान नियुक्त कर दिए गए है और इनमें से कुछ एक तो ऐसे है जिनके पास संगठन का कोई लंबाचौड़ा अनुभव ही नहीं है। नियुक्त में कितनी जल्दबाजी की गई, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते है कि जिन्होंने घोषणा की उन्हें मंडल नियुक्त किए गए मंडल प्रधान का पूरा व सही नाम तक नहीं पता था। यही वजह रही कि जब 6 रात को लिस्ट वायरल हुई तो देर रात तक नामों को लेकर भ्रम के हालात रहे। कार्यकारिणी घोषणा के बाद रुष्ठों की भीड़
जिला शाखा द्वारा घोषित की गई कार्यकारिणी के बाद रुष्ठ ?की भीड़ बढ़ गई है। इससे पूर्व रुष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी से इस्तीफे दिए गए थे और उन्हें मंच पूर्व कैबिनेट मंत्री जोशी के मिलन समारोह में मिला था। पहले ही अनुमान लगाया जा रहा था कि कार्यकारिणी घोषणा के बाद जोशीकुंभा ओर बढ़ेगा। कार्यकारिणी के घोषणा के बाद जिन नेताओं को पद नहीं मिला, डिमोट कर दिया गया या फिर मनमाफिक पद नहीं मिला, वह जोशी के करीबियों से देर रात तक संपर्क में रहे। फोन पर लंबी—लंबी कॉल हुई और जल्द मिल बैठकर अगली रणनीति बनाने पर भी विचार हुआ।