ब्रेस्ट कैंसर के मुकाबले सर्विकल कैंसर का इलाज है संभव: बब्बर
अमृतसर विश्व में हरेक 7 मिनटों में सर्विकल कैंसर की बीमारी से पीड़ित मरीज को मौत के मुंह में जाना पड़ता है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
विश्व में हरेक 7 मिनटों में सर्विकल कैंसर की बीमारी से पीड़ित मरीज को मौत के मुंह में जाना पड़ता है। विश्व भर में उक्त बीमारी से मरने वाले लोगों की 25 प्रतिशत संख्या भारत में है। भले ही ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर और लाईलाज बीमारी है, मगर बच्चेदानी के मुंह पर होने वाली सर्विकल कैंसर का इलाज संभव है। टैस्टों के माध्यम से उस बीमारी का पता चलने के बाद इलाज के लिए दवाईयां मार्केट में आसानी से मिल जाती हैं, जिनकी मदद से मरीज को सर्विकल कैंसर से छुटकारा मिल जाता है। सर्विकल कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए फुलकारी ग्रुप की वाइस प्रेजीडेंट पार्षद संध्या सिक्का की अध्यक्षता रविवार को नवजोत मॉड्रेन सीनियर सैकेंडरी स्कूल में आयोजित स्क्री¨नग कैंप में 150 के करीब महिलाओं का चेकअप किया गया। सिक्का ने कहा कि महिलाओं में पाई जाने वाली उक्त बीमारी की जांच करने के लिए तुली लैब की तरफ से डा. रॉबिन तुली व डा. रिधम तुली ने टेस्ट किए। जबकि डा. मीनू अरोड़ा ने कैंप में आई महिलाओं की जांच करके उन्हें उक्त बीमारी से इलाज व परहेज संबंधी विस्तारपूर्वक अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि समाज को उक्त गंभीर बीमारी से बचाने के लिए हर दो महीनों के बाद उक्त स्क्री¨नग कैंप आयोजित करवाए जाएंगे, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके।
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अमृतसर के बाद पूरे पंजाब में लगाएंगे कैंप
फुलकारी ग्रुप की तरफ से प्रनीत बब्बर ने बताया कि डा. जसजीत छाछी मुख्यातिथि के तौर पर पहुंचे, जिन्होंने कहा कि उक्त बीमारी से बचने के लिए महिलाओं को अपनी जांच में बढ़चढ़ कर भाग लेना चाहिए और फुलकारी ग्रुप ने अच्छी पहल की है। बब्बर ने कहा कि विदेशों में ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी आम हो गई है, जिसके चलते लोगों में जागरूकता है और सर्विकल कैंसर के प्रति लोगों में जागरुकता नहीं है, जिसके चलते इसके मरीजों को इलाज न मिलने की वजह से मौत के मुंह में जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि फुलकारी ग्रुप की तरफ से उक्त बीमारी संबंधी लोगों को जागरूक करने के मकसद से अमृतसर में स्क्री¨नग कैंप का आयोजन किया है और धीरे-धीरे पूरे पंजाब में कैंप आयोजित करवाए जाएंगे, ताकि उक्त बीमारी के मरीजों का डाटा एकत्रित करके उनका इलाज करवाया जा सके। उन्होंने कहा दुख की बात है कि उक्त बीमारी की पहचान करने के लिए टेस्टों के अलावा इंजेक्शन आदि में मार्केट में हैं, मगर जागरूकता के आभाव से लोग बीमारी की मार झेल रहे हैं। इस मौके पर डा. इंद्रबीर ¨सह निज्जर, डा. अमृता राणा, मृधु गुप्ता, ¨प्र. डा. अनीता मेनन, आर्यन पाल, डा. शारदा अदलखा, निधि सिधवानी आदि मौजूद थे।