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आयुर्वेद से मधुमेह का शत-प्रतिशत उपचार संभव

वर्तमान में शूगर रोग घर घर में पहुंच चुका है। लाइफ स्टाइल में आए बदलाव की वजह से यह बीमारी लोगों को आसानी से चपेट में ले रही है। आयुर्वेद में इस बीमारी को मधुमेह के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी कफ दोष के कारण होती है। आयुर्वेद में इसका निदान प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए संभव है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 05:12 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 05:12 PM (IST)
आयुर्वेद से मधुमेह का शत-प्रतिशत उपचार संभव
आयुर्वेद से मधुमेह का शत-प्रतिशत उपचार संभव

जागरण संवाददाता, अमृतसर : वर्तमान में शूगर रोग घर घर में पहुंच चुका है। लाइफ स्टाइल में आए बदलाव की वजह से यह बीमारी लोगों को आसानी से चपेट में ले रही है। आयुर्वेद में इस बीमारी को मधुमेह के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी कफ दोष के कारण होती है। आयुर्वेद में इसका निदान प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए संभव है। यह विचार विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदिक स्पेशलिस्ट डॉ. नवदीप शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में वर्णित जड़ी-बूटियां जैसे करेला, बिल्ब, मेथी, जामुन, नीम, कलमेध आदि एलोपैथिक इन्सुलिन की निर्भरता को कम करने में प्राकृतिक रूप से सहायक होती हैं। इन जड़ी-बूटियों के उपयोग से इन्सुलिन डिपेंडेंसी काफी हद तक नियंत्रित की जा सकती है। इसके आलावा प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से प्राप्त फाइटो इन्सुलिन पेनक्रियाज का वर्कलो कम करने में सहायक होता है। आयुर्वेद में कुछ स्पैस्फिक जड़ी-बूटियों का भी वर्णन है, जो मैटाबॉलिक कोरैक्टरस की तरह काम करती है। यह मैटाबॉलिक केरैक्टरस डायबिटीक नैपरोपैथी, डायबिटीक न्यूरोपैथी, हाईपरटैशन, ब्रेन स्ट्रॉक आदि डायबिटीक कॉप्लीकेशन्स से बचाने में सहायक होती हैं। इन जड़ी-बूटियों का प्रयोग प्राचीनकाल से आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में सफल रूप से किया जाता रहा है। इसके अलावा आयुर्वेदिक खान-पान, योग, प्राणायाम आदि की सहायता से डायबिटीज को प्राकृतिक रूप से नियन्त्रित किया जा सकता है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट से मुक्त होती हैं।

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