मरीजों के बीच रहकर संक्रमण से दूर रहे अशोक शर्मा
। ईएसआइ अस्पताल में कार्यरत फार्मेसी ऑफिसर अशोक शर्मा ने कोरोना काल में पूरी सतर्कता और सजगता से काम किया।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
कोरोना वायरस ने जिस तीव्रता से इंसानों पर प्रहार किया है, उसी तीव्रता से इसकी आक्रामकता अब कम होती दिख रही है। इस वायरस ने ऐसा संकट पैदा कर दिया कि पूरी दुनिया थर्रा उठी। लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए सरकार ने कई प्रभावी कदम उठाए, पर कई लोगों ने बेपरवाही दिखाई। शारीरिक दूरी व मास्क जैसे जरूरी नियम का पालन नहीं किया। यही वजह है कि इस वायरस को लगातार बल मिलता रहा।
आज हम आपको एक ऐसा स्वास्थ्य कर्मी से मिलवा रहे हैं जो संक्रमण के बीच रहकर भी कोरोना से मुक्त रहे। ईएसआइ अस्पताल में कार्यरत फार्मेसी ऑफिसर अशोक शर्मा ने कोरोना काल में पूरी सतर्कता और सजगता से काम किया। अस्पताल की फॉर्मेसी का संचालन इनके कंधों पर हैं। कोरोना काल में बिना रुके, बिना थके ये मरीजों को दवाएं उपलब्ध करवाते रहे। अपने खर्च से मरीजों को मास्क व सैनिटाइजर भी उपलब्ध करवाए। फार्मेसी में मरीजों का जमावड़ा लगा जाता था, पर अशोक शर्मा इन्हें शारीरिक दूरी का नियम समझाते रहे। जो मरीज मास्क नहीं पहनते थे उन्हें मास्क देते और फिर दवाएं।
अशोक शर्मा का कहना है कि संक्रमण का खतरा तो लगातार बना रहता है, क्योंकि मैं हमेशा मरीजों के बीच रहा। कौन संक्रमित हैं, यह जान पाना मुश्किल है। शाम को जब ड्यूटी खत्म कर घर लौटता तो यह अंदेशा रहता था कि कहीं वायरस तो उनके साथ नहीं आ गया। इसलिए सबसे पहले हाथों को सैनिटाइज्ड करके कपड़े एक साइड में रख देता। फिर नहाकर ही परिवार से मिलता। घर में भी शारीरिक दूरी का नियम लागू है और मास्क पहनना भी अनिवार्य। गर्म पानी का पूरा परिवार नियमित रूप से सेवन करता है। फलों, हरी सब्जियों, सलाद सहित प्रोटीन युक्त आहार का सेवन किया। इसके साथ ही योग करता रहा। लोग कुछ सावधानियां अपनाकर इस वायरस से बच सकते हैं। यह वायरस तभी नष्ट होगा जब लोग अपनी जिम्मेवारी समझकर गाइडलाइन का पालन करेंगे।
नितिन धीमान