कुर्सी न मिलने पर आगबबूला हुआ एसोसिएट प्रोफेसर, वरिष्ठ प्रोफेसर पर किया हमला
अमृतसर कुर्सी का नशा सिर्फ राजनेताओं को नहीं, अपितु सरकारी अधिकारियों को भी है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
कुर्सी का नशा सिर्फ राजनेताओं को नहीं, अपितु सरकारी अधिकारियों को भी है। इसकी ताजा मिसाल सरकारी मेडिकल कॉलेज साइक्रेट्रिक ओपीडी में दिखी। यहां जालंधर से पदोन्नत होकर आए एक साइक्रेट्रिक डॉक्टर ने कुर्सी पर बैठे वरिष्ठ प्रोफेसर को उठने को कहा। सीनियर डॉक्टर ने उसे दस मिनट रुकने को कहा, तो वह आगबबूला हो गया। उसने कहा कि यह कुर्सी मेरी है और अब आप इस पर क्यों बैठे हो। इसके बाद उसने सीनियर डॉक्टर को न केवल खरी-खोटी सुनाई, बल्कि धक्का भी मार दिया। इस घटना के बाद साइक्रेट्रिक वार्ड में हड़कंप मच गया। मामले की जानकारी सरकारी मेडिकल कॉलेज ¨प्रसिपल कार्यालय तक पहुंची तो दोनों साइक्रेट्रिक डॉक्टरों को तलब किया गया।
दरअसल, वीरवार सुबह तकरीबन साढ़े ग्यारह बजे साइक्रेट्रिक वार्ड के प्रोफेसर (रीइंप्लाइड) डॉ. पीडी गर्ग ओपीडी में बैठकर मरीजों की जांच कर रहे थे। इसी दौरान सिविल अस्पताल जालंधर स्थित नशा मुक्ति केंद्र से पदोन्नत होकर आए एसोसिएट्स प्रोफेसर डॉ. निर्दोष कुमार गोयल यहां आ गए। उन्होंने डॉ. गर्ग से कहा कि वह अब साइक्रेट्रिक वार्ड के इंचार्ज हैं, इसलिए उनके लिए कुर्सी खाली कर दें। डॉ. पीडी गर्ग के अनुसार मैं पेशेंट देख रहा था, इसलिए मैंने डॉ. निर्दोष से कहा कि वह सिर्फ दस मिनट इंतजार करें। मैं फारिग होकर कुर्सी छोड़ देता हूं। बस इसी बात पर डॉ. निर्दोष आपा खो बैठे। उन्होंने कहा कि यह कुर्सी अब मेरी हो चुकी है। आप किस हैसियत से यहां बैठे हो। डॉ. गर्ग ने कहा कि अभी उन्हें इस संबंधी कोई सरकारी गाइडलाइन नहीं मिली कि आप यहां ज्वाइन कर रहे हो। डॉ. निर्दोष भड़क गए और डॉ. गर्ग को गालियां निकालीं। यहीं बस नहीं डॉ. निर्दोष ने डॉ. गर्ग को धक्का मारकर नीचे गिरा दिया। डॉ. गर्ग के अनुसार उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकियां भी दीं। मेरी ओपीडी में महिला पीजी डॉक्टर्स भी बैठी थीं। डॉ. निर्दोष गालियां निकाल रहे थे। मैं उसी वक्त ओपीडी से बाहर निकल आया। मामले की जानकारी मेडिकल कॉलेज की ¨प्रसिपल डॉ. सुजाता शर्मा को दी। डॉ. निर्दोष ही निकले कसूरवार
¨प्रसिपल डॉ सुजाता शर्मा ने डॉ. निर्दोष व डॉ. गर्ग को आमने-सामने बिठाकर स्पष्टीकरण मांगा। इस पर डॉ. निर्दोष ने स्वीकार किया कि उनसे गलती हुई है। उन्होंने लिखित माफीनामा दिया, जिसमें कहा कि मैं भविष्य में इस प्रकार का व्यवहार नहीं करूंगा। डॉ. सुजाता शर्मा ने बताया कि दोनों के बीच समझौता हो गया है। डॉ. निर्दोष की पो¨स्टग के ऑर्डर आए नहीं थे तो उन्हें यहां नहीं आना चाहिए था। फिलहाल समझौता होने की वजह से विभागीय कार्रवाई का सवाल नहीं उठता। साइक्रेट्रिक विभाग का प्रभारी कौन होगा, इस संदर्भ में अभी कोई गाइडलाइन नहीं मिली है। डॉ. निर्दोष को पदोन्नति मिली पर स्टेशन नहीं
डॉ. निर्दोष कुमार गोयल जालंधर सिविल अस्पताल में स्थित नशा मुक्ति केंद्र में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। इसी सप्ताह सरकार ने उन्हें पदोन्नत कर एसोसिएट्स प्रोफेसर बना दिया है, पर उन्हें स्टेशन अलॉट नहीं किया गया। वह अपनी मर्जी से गुरुनानक देव अस्पताल आए थे और कुर्सी की मांग करने लगे। वहीं डॉ. गर्ग साइक्रेट्रिक वार्ड के प्रभारी हैं। सेवानिवृत्ति के बाद मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग ने उन्हें रीइंप्लाइमेंट प्रदान की है। चूंकि साइक्रेट्रिक वार्ड में कोई सीनियर प्रोफेसर नहीं था, इसलिए रीइंप्लाइमेंट के बाद भी डॉ. गर्ग को ही इस वार्ड का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
वो मुझे थप्पड़ मार देता : डॉ. गर्ग
डॉ. गर्ग ने कहा कि डॉ. निर्दोष ने माफी मांग ली है। मेडिकल कॉलेज में वरिष्ठ प्रोफेसर होने के नाते सभी स्टूडेंट्स, मरीज व फेकल्टी मेंबर मेरा सम्मान करते हैं। 66 वर्ष का हो चुका हूं। कभी किसी ने तू कहकर नही पुकारा, पर डॉ. निर्दोष ने मुझे बुरी तरह अपमानित किया। इस डॉक्टर पर जालंधर सिविल अस्पताल में एक मरीज को थप्पड़ मारने का आरोप भी लगा था। 61 वर्षीय डॉ. निर्दोष को यह समझना चाहिए कि वह चिकित्सा जगत के उस विभाग से जुड़े हैं जहां नशेड़ियों व मनोचिकित्सकों का ट्रीटमेंट होता है। वह एक वरिष्ठ प्रोफेसर से दुर्व्यवहार कर सकते हैं तो फिर मरीजों को भी नहीं बख्शते होंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ, जो हुआ था वह सॉर्ट आउट हो गया : डॉ. निर्दोष
दूसरी तरफ डॉ. निर्दोष कुमार गोयल से इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने तीन बार यही दोहराया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। जो कुछ हुआ था वह सॉर्ट आउट हो चुका है। उसने पूछा गया कि क्या आपने कुर्सी के लिए सीनियर प्रोफेसर को अपमानित किया, इस पर बोले- ऐसा कुछ हुआ ही नहीं।