बेसहारा पशुओं को विधायक आवास के बाहर बांधने जा रहे थे पशु प्रेमी, पुलिस ने कस्टम चौक पर रोका
। रविवार एंटी क्राइम एंड एनिमल प्रोटेक्शन एसोसिएशन के सदस्यों ने विधायक डा. राजकुमार वेरका के आवास के बाहर तीन घंटे तक प्रदर्शन किया।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
बेसहारा पशुओं को आश्रय दिलवाने के लिए पशु प्रेमियों ने विरोध का अनूठा ढंग अपनाया। रविवार एंटी क्राइम एंड एनिमल प्रोटेक्शन एसोसिएशन के सदस्यों ने विधायक डा. राजकुमार वेरका के आवास के बाहर तीन घंटे तक प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी एक वाहन में दर्जन भर बेसहारा पशुओं को भी लाए थे। उनकी योजना थी कि इन पशुओं को डा. वेरका के आवास के बाहर बांधा जाए, पर पुलिस ने कस्टम चैक पर ही उन्हें रोक दिया।
इस बात को लेकर पुलिस के साथ नोंकझोंक भी हुई। पुलिस ने तर्क दिया कि किसी प्राइवेट प्रापर्टी पर इस तरह पशुओं को नहीं बांध सकते। यदि वे पशुओं को वहां लेकर गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। पुलिस ने वाटर टैंकर भी मंगवा रखे थे। यदि प्रदर्शनकारी अपनी जिद पर अड़े रहते तो उन पर पानी की बौछारें की जातीं। ऐसी सूरत में प्रदर्शनकारी पशुओं को वाहन में छोड़कर पैदल ही डा. वेरका के आवास पर पहुंचे और प्रवेश द्वार के बाहर बैठकर जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों के कड़े तेवर देखते हुए डा. वेरका के स्टाफ ने डा. रोहण मेहरा को उनसे बात करने को कहा। डा. वेरका से फोन पर बात करते हुए डा. रोहण ने कहा कि तीन माह पूर्व उन्होंने ही तो आश्वासन दिया था कि बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए वह मुख्यमंत्री से बात करेंगे। इस पर डा. वेरका ने कहा कि वह कैबिनेट में नहीं हैं। यह तो कैबिनेट मंत्री ही कर सकता है। इस पर डा. रोहण मेहरा ने तर्क दिया कि आपने अपने घर के बाहर तो नामपट लगाया है उस पर तो कैबिनेट रैंक लिखवाया है और यदि आप कुछ करने में सक्षम नहीं थे तो तीन माह पूर्व आश्वासन ही क्यों दिया था। डा. राजकुमार ने कहा कि वह बुधवार को अमृतसर आकर निगम अधिकारियों से बात कर इस समस्या का समाधान करवाएंगे।
पत्रकारों से बातचीत में डा. रोहण मेहरा ने कहा कि बेसहारा पशुओं के संरक्षण के नाम पर पंजाब सरकार ने 2016 में काउ सेस की प्रक्रिया शुरू की थी। 2017 में राज्य में सत्ता बदली। काउ सेस लगातार वसूला जाने लगा पर इसका प्रयोग बेसहारा पशुओं के लिए नहीं किया गया। 2019 तक सरकार के पास तकरीबन 540 करोड़ रुपये काउ सेस के रूप में जमा हो चुका है, पर एक भी पैसा पशुधन पर खर्च नहीं किया गया। पंजाब में एक लाख से अधिक पशुधन सड़कों पर बेसहारा घूम रहा है। इस वजह से राज्य में प्रतिवर्ष दस हजार से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हो ही हैं। इनमें 1200 से अधिक इंसान व चार हजार पशुधन की मौत हो जाती है। शराब की बोतल से लेकर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पर है काउ सेस
अमृतसर में सिर्फ आरटीओ विभाग ने डेढ़ करोड़ काउ सेस नगर निगम को जमा करवाया है। वहीं एक्साइज विभाग ने तीन सालों का पंद्रह करोड़ जमा नहीं करवाया। डा. रोहण के अनुसार चौपहिया वाहन खरीदने पर एक हजार, दोपहिया वाहन पर पांच सौ, सीमेंट की प्रति बोरी पर एक रुपया, अंग्रेजी शराब की बोतल पर दस रुपये, देसी शराब की बोतल पर पांच रुपये, बिजली प्रति यूनिट पर दो पैसा, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र पर पांच रुपये काउु सेस वसूला जा रहा है। यदि सरकार यह पैसा पशुधन पर इस्तेमाल नहीं कर सकती तो इसे वसूलना बंद कर दे, ताकि आम आदमी खुद को ठगा सा महसूस न करे। निगम ने पचास दिन का वक्त मांगा
नगर निगम के हेल्थ आफिसर अजय कंवर और सीनियर डिप्टी मेयर रमन बख्शी प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे। उन्होंने आश्वासन दिया कि पचास दिन में सभी विभागों से काउ सेस वसूला जाएगा। यह राशि पशुधन पर ही खर्च होगी। इसके बाद तीन घंटे तक प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारी हटे।
प्रदर्शनकारियों में डा. राजीव मल्होत्रा, अजय शिगारी, राखी बेदी, ईशान नैयर, अमन महाजन, अनिकेत महाजन, देव पांडे, लक्ष्य शिगारी, पंकज दवेसर, रमन पंडित, वरुण राणा, नवाब शाह, प्रकाश बबलू, दीपक कुमार, बाबा हरप्रीत सिंह, राहिल सेठ, आशीष महंत, हनी, सोनिया, नलिनी, आईएसएफ से सोनिया अरोड़ा उपस्थित थे।
जहा से पशु लेकर आए थे, वहीं छोड़ दिए
कस्टम चैक पर वाहनों पर लाए गए पशुओं को प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के कहने पर वहीं छोड़ दिया। जब प्रदर्शनकारी डा. वेरका आवास पर पहुंचे तो पुलिस कस्टम चैक पर गई और वाहन चालकों से कहा कि वह इन पशुओं को यहां से ले जाएं। वाहन चालकों ने कहा कि हम इन्हें कहां लेकर जाएंगे। आप इन्हें कहीं रखवाने की व्यवस्था कर दो। इस पर पुलिस बोली कि यह पाश एरिया है और इन्हें जहां से लेकर आओ हो वहीं छोड़ आओ, वरना तुम पर पुलिस कार्रवाई करेगी। ऐसे में वाहन चालक इन पशुओं को लेकर इस्लामाबाद में छोड़ आए, जहां से सुबह पशु प्रेमी इन्हें उठाकर लाए थे।