जिद पर अड़े रेजिडेंट डॉक्टर, मरीजों का निकल रहा दम
अमृतसर गुरु नानक देव अस्पताल में हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों को मनाने के लिए गायनी विभाग की प्रोफेसर डॉ. बल¨वदर शुक्रवार को इनके बीच पहुंची।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
गुरु नानक देव अस्पताल में हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों को मनाने के लिए गायनी विभाग की प्रोफेसर डॉ. बल¨वदर शुक्रवार को इनके बीच पहुंची। उन्होंने डॉक्टर्स से अपील की कि आप हड़ताल समाप्त कर दें। हड़ताल की वजह से मरीजों को परेशानी हो रही है। मैं गायनी विभाग में अकेली डॉक्टर हूं और बिना रेजिडेंट डॉक्टर की डिलीवरी की प्रक्रिया संपन्न नहीं कर पा रही हूं। ऐसे हालात में गर्भवती महिलाओं को दूसरे अस्पतालों में रेफर करना पड़ रहा है। कई क्रिटिकल केस आ रहे हैं, जिन्हें तत्काल उपचार की जरूरत होती है। डॉ. बल¨वदर कौर की इस अपील का भी रेजिडेंट डॉक्टरों पर कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि जब तक मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. सु¨रदर पाल इस्तीफा नहीं देते और अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता नहीं होती वे काम पर नहीं लौटेंगे।
जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि हमनें इमरजेंसी, ओपीडी बंद नहीं की। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सीनियर डॉक्टर्स को आदेश दिया है कि वे मरीजों की सेवा करें। आप अपना काम क्यों नहीं करते। इस पर डॉ. बल¨वदर कौर ने कहा कि रेजिडेंट के बगैर अस्पताल नहीं चल सकता। मरीज वापस जा रहे हैं। इस मामले में जुडीशियल मजिस्ट्रेट स्वत: संज्ञान लेकर हड़ताल समाप्त करवाएं, वरना यहां किसी की भी जान जा सकती है।
दरअसल, जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल खत्म करवाने के लिए अस्पताल प्रशासन व मेडिकल कॉलेज प्रशासन का हर प्रयास निरर्थक साबित हो रहा है। इसका दुष्परिणाम यह है कि गुरुनानक देव अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं हो रहा।
जूनियर रेजिडेंटस डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जस¨पदर प्रताप ¨सह ने कहा कि हम एमएस को हटाने के साथ-साथ सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। हमें यहां सुरक्षा कर्मचारी चाहिए। सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल होने चाहिए। रात को हम असुरक्षित माहौल में काम कर रहे हैं। मरीज के अटेंडेंट हमें थप्पड़ मार जाते हैं। डेढ़ माह पूर्व डॉ. सचिन वर्धन को भी थप्पड़ मारे गए। वह आज तक उपचार करवा रहे हैं। हमने खुद ही आरोपित के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज करवाई। अस्पताल प्रशासन ने आरोपितों के विषय में हमें कुछ नहीं बताया।
3 फरवरी को जिस सुरक्षा गार्ड ने महिला डॉक्टर्स के साथ छेड़छाड़ की, वह पेस्को कंपनी का था। इस कंपनी के खिलाफ अस्पताल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। अस्पताल में कई जीवनरक्षक दवाओं का प्रबंध नहीं। जो दवाएं नहीं हैं, उनकी सूची अस्पताल प्रशासन नहीं लगाता। इसका खामियाजा भी डॉक्टरों को भुगतना पड़ता है। मरीज हमसे कहते हैं कि आप बाहर से दवाएं क्यों मंगवाते हो। अस्पताल में गंदगी के ढेर लगे हैं। सफाई कर्मचारियों की कमी है। इमरजेंसी वार्ड में व्हील चेयर्स व स्ट्रेचर्स तक नहीं। दोपहर बारह बजे के बाद मरीज का ब्लड सैंपल नहीं लिया जाता। दो बजे के बाद इमरजेंसी टेस्ट नहीं होते। रविवार को एमआर व सीटी स्केन नहीं होते। इससे मरीजों को परेशानी होती है और वे हमें खरी-खोटी सुनाते हैं। इसी बीच मेडिकल कॉलेज पटियाला के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताली डॉक्टरों को समर्थन की घोषणा की।
अस्पताल में तड़प रहे मरीज
हड़ताल का दुष्परिणाम यह है कि गुरुनानक देव अस्पताल में एडमिट मरीज तड़प रहे हैं। सर्जरीकल वार्ड में दाखिल राजकिशोर का कुछ दिन पहले चेहरा व शरीर का निचला हिस्सा झुलस गया है। डॉक्टर न होने की वजह से उसका उपचार नहीं हो रहा। इसी तरह रसौली का शिकार महिला सुरजीत कौर भी डॉक्टर्स का इंतजार कर रही है। उसका पति शैंकी निवासी होशियापुर उसे गोद में उठाकर ले जाता है। ऐसे अनेक मरीज हैं जो इलाज न होने के कारण तड़प रहे हैं। मंत्री जी! रात को अस्पताल में शराब पीने आते हैं एमएस
जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मो¨हदरा को पत्र लिखकर कहा कि मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. सु¨रदर पाल ¨सह रात को निक्कर पहनकर अस्पताल का राउंड करते हैं। राउंड करने के बाद वे अपनी गाड़ी में बैठ कर शराब पीते हैं। क्या ऐसे शख्स को अस्पताल के प्रशासकीय कार्य का दायित्व दिया जा सकता है? डॉ. जस¨पदर ¨सह ने कहा कि ऐसे अधिकारी को तत्काल बर्खास्त किया जाए, अन्यथा हम हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे।