नए साल में खुले में शौचमुक्त होंगे जिले के सभी ब्लाक
अमृतसर प्रधानमंत्री न¨रदर मोदी के ओपेन डैफिकेशन फ्री (ओडीएफ) की लहर अमृतसर में इतनी तेजी से चली कि जिले के 5 ब्लाक पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। जबकि बचे 4 अन्य ब्लाकों में भी यह काम युद्ध स्तर पर जारी है जिसे जनवरी के अंत तक मुकम्मल कर लिए जाने का लक्ष्य प्रशासन ने रखा है। हालांकि इसे अक्तूबर 2017 तक पूरा किया जाना था मगर लोगों में जागरूकता की कमी आड़े आई तो प्रशासनिक अधिकारियों को जागरूकता अभियान चला कर रोजाना सुबह-सुबह गांवों में रखवाली तक करनी पड़ी। लेकिन जिले में प्रोजेक्ट को सीधे तौर पर देख रहे डिप्टी कमिश्नर ने हार नहीं मानी और हालात यह हैं कि 5 ब्लाकों जंडियाला, रइया, तरसिक्का, अटारी, वेरका में ओडीएफ का काम 100 फीसदी पूरा हो चुका है।
र¨वदर शर्मा, अमृतसर
प्रधानमंत्री न¨रदर मोदी के ओपेन डैफिकेशन फ्री (ओडीएफ) की लहर अमृतसर में इतनी तेजी से चली कि जिले के 5 ब्लाक पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। जबकि बचे 4 अन्य ब्लाकों में भी यह काम युद्ध स्तर पर जारी है जिसे जनवरी के अंत तक मुकम्मल कर लिए जाने का लक्ष्य प्रशासन ने रखा है। हालांकि इसे अक्तूबर 2017 तक पूरा किया जाना था मगर लोगों में जागरूकता की कमी आड़े आई तो प्रशासनिक अधिकारियों को जागरूकता अभियान चला कर रोजाना सुबह-सुबह गांवों में रखवाली तक करनी पड़ी। लेकिन जिले में प्रोजेक्ट को सीधे तौर पर देख रहे डिप्टी कमिश्नर ने हार नहीं मानी और हालात यह हैं कि 5 ब्लाकों जंडियाला, रइया, तरसिक्का, अटारी, वेरका में ओडीएफ का काम 100 फीसदी पूरा हो चुका है। जबकि अन्य ब्लाकों अजनाला, रमदास और लोपोके आदि में 75 फीसदी तक काम मुकम्मल हो चुका है।
क्या है प्रोजेक्ट
केंद्र सरकार तथा पंजाब सरकार के संयुक्त उपक्रम के तहत गरीब परिवारों के घरों के अंदरून टॉयलेट निर्माण करवाना है। जिसके तहत लाभपात्र को 15 हजार रुपये 5-5 हजार रुपये की तीन किश्तों में दिए जाने हैं। इसमें 9 हजार रुपये केंद्र सरकार का हिस्सा जबकि 6 हजार रुपये पंजाब सरकार का शेयर है।
843 ग्राम पंचायतों में 62 हजार से अधिक बनाई जानी है टायलेट
जिले के 9 ब्लाकों की 843 ग्राम पंचायतों के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में सर्वे करवाने के बाद 62 हजार 430 शौचालय बनवाने की रिपोर्ट तैयार हुई। सर्वे के दौरान सामने आया कि इन ब्लाकों में प्रत्येक गांव में औसतन 10 से 30 लोगों के घरों में टायलेट नहीं। पहले फेज में उन लोगों को इसका फायदा दिया गया, जिनके घरों में इसकी व्यवस्था ही नहीं थी और इन परिवारों के सभी सदस्य शौच के लिए रोजाना सुबह खुले में जाते थे। जबकि इसके सेकेंड फेज में उन लोगों को इसका फायदा दिया जाएगा जो इसे दूसरों के साथ शेय¨रग करते हैं जैसे बाप-बेटे का परिवार। लेकिन इसके लिए जरुरी है बिजली के दो अलग-अलग मीटरों का होना।
गार्डियन ऑफ गवर्नेंस की भी ली मदद
पब्लिक हेल्थ वर्क्स इसमें कोआर्डिनेटर की भूमिका निभा रहा है। एक्स-ई-एन सु¨रदर शर्मा ने कहा कि हर व्यक्ति इस योजना का फायदा उठा सके, इसके लिए वे खुद भी कई बार सुबह-सुबह गांवों में गए और खुले में शौच जाने वालों को अपने घरों में टॉयलेट बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उन्होंने गार्डियन आफ गवर्नेंस (गांवों में खुशहाली के रखवालों) की भी मदद ली गई। संबंधित गांवों के पंचों-सरपंचों का भी सहयोग रहा।
खेड़ा साहनेवाल में विधवा ने 25 हजार रुपये कर्ज ले टायलेट बनाया
रइया ब्लाक के गांव खेड़ा साहने वाली की एक विधवा के घर में टॉयलेट नहीं था और उसकी दो युवा बेटियां शौच के लिए खुले में जाती थी। इस स्कीम के तहत उस महिला को घर में टॉयलेट बनाने के लिए 15 हजार रुपये की वित्तीय मदद दी गई तो उस महिला ने 25 हजार रुपये अलग से कर्ज लेकर अपनी बेटियों के लिए घर में सुंदर टॉयलेट बनाया। यह बात इस महिला ने गांव के दौरे पर पहुंची वर्ल्ड बैंक की टीम के सदस्यों से कही तो उन्हें बहुत अच्छा लगा। यह बात पीडब्ल्यूडी विभाग के एक्स-ई-एन सु¨रदर शर्मा ने बताई।
कोट
गुरु की नगरी को देश का सबसे सुंदर शहर बनाने के लिए ओएफडी प्रोजेक्ट उनका पहला चरण है। 5 ब्लाकों में यह प्रोजेक्ट मुकम्मल हो चुका है जबकि 4 अन्य ब्लाकों में काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। उम्मीद है कि जनवरी 2018 के अंत तक अमृतसर जिले का कोई घर नहीं होगा जिसके अंदर टॉयलेट न हो।
कमलदीप ¨सह संघा, डिप्टी कमिश्नर अमृतसर।