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नौ बजे खुला ईएसआइ अस्पताल, एक घंटा भटकते रहे मरीज

अमृतसर ईएसआइ अस्पताल में मरीजों को सरकारी अनदेखी का शिकार बनाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 12:36 AM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 12:36 AM (IST)
नौ बजे खुला ईएसआइ अस्पताल, एक घंटा भटकते रहे मरीज
नौ बजे खुला ईएसआइ अस्पताल, एक घंटा भटकते रहे मरीज

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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ईएसआइ अस्पताल में मरीजों को सरकारी अनदेखी का शिकार बनाया जा रहा है। चिकित्सा सुविधाओं का अभाव तो मरीजों को रुलाता ही रहा है, वहीं डॉक्टरों की कमी भी मरीजों की परेशानी का कारण बन रही है। मंगलवार को ईएसआइ अस्पताल की ओपीडी के द्वार सुबह नौ बजे तक नहीं खुले। मरीज निर्धारित समय आठ बजे अस्पताल में पहुंच चुके थे, लेकिन ओपीडी बंद होने के कारण इधर उधर भटकते रहे।

असल में ईएसआइ अस्पताल खुलने का समय सुबह आठ बजे हैं, लेकिन मंगलवार को ऊपर से आए एक आदेश के बाद अस्पताल प्रशासन ने एक घंटा देरी से अस्पताल खोला। इस एक घंटे में मरीजों को जिस पीड़ा का सामना करना पड़ा, वह उन्हीं की जुबानी सुनिए।

रामबाग से आए राजकुमार शर्मा ने बताया कि वह नौकरीपेशा हैं। तबियत ठीक नहीं थी, इसलिए सुबह आठ बजे ईएसआइ अस्पताल पहुंच गया था। यहां आकर देखा तो अस्पताल का प्रवेश द्वार तक बंद था। तकरीबन पौने नौ बजे सफाई कर्मचारी आया। उसने अस्पताल का दरवाजा खोला। इसके बाद मैं और मेरे जैसे कई मरीज अस्पताल में दाखिल तो हो गए, पर ओपीडी में डॉक्टर नहीं थे। तकरीबन सवा नौ बजे डॉक्टर आए, तब जाकर मरीजों की जांच शुरू हुई। सामाजिक कार्यकर्ता रा¨जदर शर्मा राजू ने बताया कि वह भी सुबह आठ बजे ही ईएसआइ अस्पताल पहुंच गए थे। सरकारी आदेश के बाद अस्पताल का समय नौ बजे किया गया है, पर अस्पताल प्रशासन से यह जानकारी नोटिस बोर्ड पर दर्ज नहीं की। ईएसआइ अस्पताल को चाहिए ट्रीटमेंट

— करोड़ों की इमारत खंहडर का रूप करने लगी अख्तियार

ईएसआइ अस्पताल में अव्यवस्था के बादल छाए हैं। स्टाफ की कमी, सफाई व्यवस्था सुचारू न होना व करोड़ों रुपये की लागत से निमित इमारत का रखरखाव न करने का नतीजा है कि यह अस्पताल अब मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं देने में नाकाम साबित हो रहा है।

श्रमिकों व मजदूरों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से स्थापित किए गए ईएसआइ अस्पताल में 88 हजार ईएसआइ कार्ड होल्डर रजिस्टर्ड हैं। ईएसआइ विभाग के इस कमाऊ अस्पताल की इमारत के रखरखाव के लिए फंड जारी नहीं किए जा रहे। इसका नतीजा यह है कि इमारत जगह-जगह से टूट चुकी है। वाडों की खिड़कियां, दरवाजे टूटे हुए है व नल गायब हैं। छतों से पानी टपकता है। सीवरेज का पानी इमारत की नींव को खोखला कर रहा है। अस्पताल के विशाल परिसर में घास उगी है। यहां मच्छरों की भरमार है, जिस कारण मरीज परेशान हैं। अस्पताल में 3 वार्ड सरवेंट, 4 कुक, 11 सफाई सेवक, 1 एमएलएलटी, 5 ड्राइवर, 1 ईसीजी ऑपरेटर, 3 ऑपरेशन थिएटर असिस्टेंट, 2 स्टाफ नर्स, 5 क्लर्क, 1 अकाउंट ऑफिस, 1 सुप¨रटेंडेंट की कमी है। वहीं, अस्पताल की मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. न¨रदर कौर का कहना है कि स्टाफ की कमी व फंड जारी करने के संबंध में सरकार को पत्र लिखे गए हैं। उम्मीद है कि जल्द ही यह समस्या हल हो जाएगी। ड्राइवरों का अभाव, कंडम हो गई दो एंबुलेंस

अस्पताल में ड्राइवरों की कमी होने की वजह से दो सरकारी एंबुलेंस खड़ी खड़ी ही कंडम हो गईं। इन एंबुलेंस को अस्पताल प्रशासन ने शेड के नीचे खड़ा किया है, पर धूल व मिट्टी के बोझ तले दबीं ये एंबुलेंस अब चलने की स्थिति में नहीं। ईएसआइ अस्पताल में ज्यादातर ऐसे मरीज आते हैं, जिन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जाता है। जाहिर सी बात है कि ऐसे मरीजों को एंबुलेंस प्रदान करना भी अस्पताल प्रशासन का ही दायित्व है, पर यहां मरीजों को सुविधाएं मिलने की बजाय सरकारी अनदेखी का शिकार बनाया जा रहा है।


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