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अमृतसर हादसाः इनके लिए आंसुओं में डूबा करवाचौथ, चांद की रोशनी भी अंधरकारमय

अमृतसर हादसे में मारे गए युवकों की पत्नियों के लिए करवाचौथ का इंतजार खत्म हो गया। उनकी आंखों से बहता आंसुओं का सैलाब सबकुछ बयां कर रहा था।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 07:05 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 09:13 AM (IST)
अमृतसर हादसाः इनके लिए आंसुओं में डूबा करवाचौथ, चांद की रोशनी भी अंधरकारमय
अमृतसर हादसाः इनके लिए आंसुओं में डूबा करवाचौथ, चांद की रोशनी भी अंधरकारमय

अमृतसर [नितिन धीमान]। उसे आज चांद का इंतजार नहीं था। चांद की रोशनी उसकी जिंदगी में आज अंधेरा बन चुकी थी। हर साल करवाचौथ के दिन सज-धज कर चांद का इंतजार करने वाली नवप्रीत कौर के चेहरे पर मातम भरी उदासी छाई हुई थी। 19 अक्टूबर को ट्रेन हादसे में पति दलबीर सिंह को खो चुकी नवप्रीत कौर अपनी आठ माह की बच्ची को गोद में उठाए पथराई आंखों से एकटक निहारती रहती है। गहरी खामोशी साध लेती है। पति की जुदाई उसे एक अंतहीन दर्द दे गई है, जिसकी कोई औषधि व उपचार नहीं। नवप्रीत को फर्क नहीं पड़ता कि आज करवाचौथ है या फिर चंद दिनों बाद दीपावली। उसके लिए पति ही करवाचौथ था और वही पर्व।

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दरअसल, हादसे में काल का ग्रास बने दलबीर सिंह निवासी गली नंबर 3 जौड़ा फाटक की पत्नी 23 वर्षीय नवप्रीत कौर इस घटना के बाद से ही गहरे सदमे में है। दो साल पहले ही नवप्रीत ने अपने हाथों में लाल चूड़ा सजाया था। इसके बाद पति की दीर्घायु के लिए हर साल करवाचौथ का व्रत रखती थी। बार-बार पूछने पर बताती है कि शादी को दिसंबर माह में दो साल पूरे होंगे। पति का साथ बस इतना ही था।

नवप्रीत कहती हैं दशहरे के दिन जौड़ा फाटक में हुए हादसे में लोगों को बचाते हुए मेरा पति मौत की आगोश में चला गया। उस दिन मेरा जन्मदिवस था। केक काटने की तैयारी कर रहे थे कि यह मनहूस खबर आई। मेरा सुहाग उजड़ गया है। अब करवाचौथ का नाम सुनकर ही मुझे बेचैनी सी होने लगती है। करवाचौथ से दो दिन पूर्व पति ने कुछ दिन पहले सूट खरीदकर दिया था। कहा था इसे करवाचौथ के दिन पहनना। नवप्रीत कौर ने बताया कि आठ माह की बच्ची मनप्रीत की परवरिश कैसे करूंगी, यह सोचकर गला भर आता है।

चांद से क्या गिला करें

जौड़ा फाटक हादसे में अपने-अपने पतियों को खो चुकीं दो सगी बहनें अरुणा व सीता देवी भी अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक पा रहीं। अरुणा ने अपने पति 40 वर्षीय गुरिंदर कुमार व सीता ने अपने पति 38 वर्षीय पवन कुमार को खोया है। गुरिंदर कुमार व पवन कुमार भी सगे भाई हैं।

हादसे में मारे गए गुरिंदर कुमार की पत्नी अरुणा।

ये दोनों बहनें पिछले पंद्रह दिनों से करवाचौथ मनानेे की तैयारियां कर रही थीं, लेकिन दशहरे के दिन इनकी जिंदगी उजड़ गई। अरुणा ने बताया कि हम दोनों बहनें संयुक्त परिवर में रहती थीं। हर साल करवाचौथ का पर्व धूमधाम से मनाती थीं।

हादसे में मारे गए पवन कुमार की पत्नी सीता।

करवाचौथ का अब क्या मतलब

28 वर्षीय आरती ने इस हादसे में अपना पति व डेढ़ साल का बच्चा खो दिया है। आरती की दुनिया पूरी तरह उजड़ चुकी है। पति जितेंद्र दास व पुत्र शिवम की इस हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। किराए के मकान में रहकर जिंदगी बसर करने वाली आरती ने कहा कि उसे कुछ सूझता नहीं कि क्या करे। उसके सिर से पति का साया तो उठ ही लिया, वहीं अबोध बच्चा काल का ग्रास बन गया। आज करवाचौथ है, मुझे मालूम है,  पर मेरे लिए इस त्योहार के अब कोई मायने नहीं।

बिहार के भागलपुर जिले के गरीब किसान सालिग्राम दास के पुत्र और आरती का पति जितेंद्र दास अमृतसर के जौड़ा फाटक क्षेत्र में रहता था। यहां मेहनत मजदूरी करके परिवार का पेट पाल रहा था। शादी के बाद पत्नी आरती को यहां ले आया और डेढ़ वर्ष पूर्व बेटा शिवम पैदा हुआ। दशहरे के दिन शिवम, आरती और जितेंद्र दोनों मेला देखने गए थे। शिवम और जितेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आरती गंभीर रूप से जख्मी हुई। आरती के गहरे जख्म तो धीरे-धीरे मिट रहे हैं, लेकिन पति और बेटे की जुदाई का जख्म उसे जिंदगीभर तड़पाता रहेगा।

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