SGPC Meeting: हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को मान्यता देने का चौतरफा विरोध, रिव्यू पिटीशन की मांग
एसजीपीसी की आम सभा में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सुप्रीम कोर्ट की ओर मान्यता दिए जाने का मुखर विरोध किया जा रहा है। एक-एक करके सदस्यों ने इसके विरुद्ध संघर्ष शुरू करने का आह्वान किया है। एसजीपीसी से रिव्यू पिटीशन डालने की मांग भी उठाई।
जासं, अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की आम सभा में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सुप्रीम कोर्ट की ओर मान्यता दिए जाने का मुखर विरोध किया जा रहा है। कमेटी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि एसपीजीसी ने देश की हर लड़ाई जीती। आज अपने वजूद की लड़ाई हमे लड़नी पड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिखों को तोड़ने वाला। जो फैसला पंथ को तोड़ेगा, वो मंजूर नहीं। हम अपने धर्म पर आंच नहीं आने देगे। एसजीपीसी आज आर या पार की लड़ाई की घोषणा करे।
एसजीपीसी सदस्य गुरबचन सिंह ने कहा कि एसजीपीसी को तोड़ कर हरियाणा कमेटी बनाई गई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। ये एसजीपीसी को कमजोर करने की साजिश है। ये कौम का मामला है, इसलिए सभी एकजुट हों। सभी टकसाल, निहंग जत्थे एक मंच पर आएं।
एसजीपीसी सदस्य हरपाल सिंह जला ने कहा कि एसजीपीसी इसका कारण ढूंढें की ऐसी नोबत क्यों आई कि हरियाणा के सिख हमसे दूर हुए। एसजीपीसी और अकाली दल के उनकी भावनाओं को नहीं समझा।
रिव्यू पिटीशन डाले एसजीपीसी
एसजीपीसी सदस्य सरवन सिंह ने कहा कि 1984 में सिखो की नस्लकुशी हुई। एसजीपीसी श्री अकाल तख्त की रहनुमाई में संघर्ष की घोषणा करे। रिव्यू पेटिशन जल्दी डाली जाए।
सत्ता का लोभ छोड़ संघर्ष करना होगा
एसजीपीसी सदस्य कुलवंत सिंह मनन ने कहा कि मुगलों के समय से दिल्ली की सरकारों ने हमे इंसाफ नहीं दिया। इसके लिए सभी सरकारें जिमेदार। सत्ता का लोभ छोड़ ये संघर्ष करना होगा। 2011 में हरियाणा के सिखो ने एसजीपीसी का साथ दिया था। तोड़ने का काम सरकारों का।
कुछ लोग पीठ में छुरा मार रहे
एसजीपीसी सदस्य सुरिंदर सिंह ठेकेदार ने कहा एसजीपीसी हमारे पुरखों की कुर्बानियों से वजूद में आई। आजादी के बाद से कौम के साथ धक्केशाही हुई। कांग्रेस ही नही भाजपा ने भी हमारे साथ धक्का किया। इसके लिए हमारी कमियां भी जिमेदार हैं। कुछ लोग पीठ में छुरा मार रहे हैं।
एसपीजीसी सदस्य मंजीत सिंह ने कहा कि कौम ने सबसे पचीदा मसले ये मीटिंग बुलाई है। सिखो को हर सरकार ने नीचा दिखाया। दरबार साहिब पर कांग्रेस ने हमला किया और भाजपा अल्पसंख्यकों को दबा रही है। ऐसा न हो सिख हिंदोस्तान में गुलाम हो जाए। इस सारी साजिश के पीछे आरएसएस। जिन जजों ने ये फैसला लिया उनको भी सामने लाना चाहिए कि उन्होंने ये फैसला किसके कहने पर लिया। देश आज सिखों का संघर्ष भूल गया है। मोदी सरकार मिलने तक का समय नहीं दे रही। जो मोर्चा लगेगा सब उसमे शामिल होगें।
अब संघर्ष का बिगुल बजाने की जरूरत
एसजीपीसी अमरजीत सिंह ने कहा कि सिख कौम की उपेक्ष कई बार हुई। अब विचार की नही संघर्ष का बिगुल बजाने की जरूरत। 1947 में हमने भारत सरकार पर भरोसा करके गलती की। आज उन्हीं सिखों को तोड़ा जा रहा है जिन्होंने देश को आजाद करवाया।