व्यापारियों का कर्ज हो माफ, वैट रिफंड जल्द यकीनी बने
फ्लैग : व्यापार मंडल के सदस्यों ने एईटीसी को बताई मुश्किलें फोटो-22
जागरण संवाददाता, अमृतसर
छोटे व्यापारियों को भी किसानों और छोटे उद्यमियों (एमएसएमई, माइक्रो स्माल मीडियम इंटरप्रिन्योर) की तर्ज पर व्यापारियों के भी कर्ज माफ किए जाने चाहिए। क्योंकि व्यापारी भी उसी समाज का हिस्सा है तो उन्हें भी सरकार की इस तरह की सुविधा का फायदा दिया जाना चाहिए। व्यापारियों के वैट रिफंड भी साल से ज्यादा लंबे समय से लंबित है, जिसके चलते उनके लाखों रुपये फंसे हुए हैं। यह बातें मंगलवार को यहां एईटीसी राजपाल ¨सह के कार्यालय में अमृतसर व्यापार मंडल के शिष्टमंडल के साथ हुई बैठक में कहीं गई।
अमृतसर व्यापार मंडल का शिष्टमंडल सु¨रदर दुग्गल की प्रधानगी में अपनी मुश्किलों व मांगों को लेकर आज सहायक एक्साइज टैक्सेशन कमिश्नर (एईटीसी) राजपाल ¨सह से मिला। एईटीसी ने मुश्किलों का समाधान किए जाने के साथ ही उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का भरोसा दिया। इस अवसर पर व्यापार मंडल के महासचिव अनिल कपूर और पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष प्यारे लाल जैन व महासचिव समीर जैन भी उपस्थित थे।
अमृतसर व्यापार मंडल के प्रधान सु¨रदर दुग्गल ने बताया कि 1 अप्रैल 2017 से लेकर 30 जून 2017 तक वैट रिफंड के मामले अटके पड़े हैं। विभाग के अधिकारियों की तरफ से व्यापारियों को नोटिस भेजे जा रहे हैं, जो बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों को ऐसे नोटिस भेजने
बंद किए जाएं और वैट रिफंड के मामलों को जल्द से जल्द सेटल किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा व्यापारियों को सी फार्म की मुश्किल
पेश आ रही है। क्योंकि विभाग व्यापारियों को सी फार्म मुहैया करवाएगा तो ही व्यापारी रिटर्न भर सकेंगे। इस मौके पर एसके वधवा, रवि अरोड़ा, सु¨रदर जैन, लाभ ¨सह, वजीर चंद, तरलोक ¨सह और रा¨जदर गोयल भी उपस्थित थे।
व्यापारियों को मिले कर्ज माफी
शिष्टमंडल के सदस्यों ने कहा कि जिस तरह किसानों और छोटे उद्यमियों के कर्ज माफी के लिए समय-समय पर योजनाएं बनाते हुए इसकी घोषणा करती है, उसी तरह व्यापारियों के भी कर्ज माफ किए जाएं। क्योंकि वे भी किसानों और छोटे उद्यमियों की तरह कारोबारी मुश्किलों के दौर से गुजरते हैं। व्यापारियों को भी कर्ज माफी की सुविधा दी जानी चाहिए।
एक्सपायरी दवाओं को रखा जाए जीरो जीएसटी में
व्यापार मंडल के प्रधान सु¨रदर दुग्गल ने कहा कि दवाओं की एक्सपायरी 3 साल से लेकर 5 साल तक होती है। इस लिए दवाओं के एक्सपायर होने तक वित्त साल खत्म हो जाता है। जीएसटी काउंसिल को इस तरह की दवाओं को जीरो जीएसटी की कैटेगरी में रखना चाहिए। एसा होने पर दवा व्यापारियों को राहत मिलेगी क्योंकि मौजूदा में उन्हें एक्सपायर दवाओं पर भी जीएसटी अदा करनी पड़ती है।
कोट
व्यापारियों की मांगों को जल्द से जल्द हल किया जाएगा। इसके लिए अगले सप्ताह व्यापारियों और अधिकारियों की संयुक्त बैठक रखी गई है। लोकल स्तर की मुश्किलों को यहां हल किया जाएगा और सरकार के स्तर पर हल की जाने वाली मुश्किलों को सरकार को भेजी जाएंगी।
-राजपाल ¨सह, एईटीसी, अमृतसर।