78 वर्ष की उम्र में जसवंत सिंह कर रहे हैं लॉ की पढ़ाई
अमृतसर कोयले की खान से 65 लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार से सम्मानित हो चुके इंजीनियर जसवंत ¨सह गिल ने अब जरुरतमंद लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की ठानी है।
गुरमीत लूथरा, अमृतसर
कोयले की खान से 65 लोगों को बचाने के लिए भारत सरकार से सम्मानित हो चुके इंजीनियर जसवंत ¨सह गिल ने अब जरुरतमंद लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने की ठानी है। इसीलिए वह 78 साल की उम्र में लॉ की पढ़ाई करने में जुट गए हैं। इसके लिए उन्होंने खालसा कॉलेज ऑफ लॉ में दाखिला लिया है। याद रहे कि गिल ने 1989 में पश्चिम बंगाल के रानी गंज की महावीर कोयले
की खदान से 65 लोगों को 300 फीट नीचे गहरी खान से विशेष तकनीक इस्तेमाल करके बाहर निकाल कर उनकी जान बचाई थी। इस साहसी कार्य के लिएउनका वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड लंदन में नाम भी दर्ज है। बकौल गिल, आम आदमी को कानूनी सहायता नहीं मिल रही है, जरुरतमंद इंसाफ हासिल करने में उलझ गया है, लेकिन उसे इंसाफ नहीं मिल पा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति वकीलों की भारी भरकम फीस ना होने के चलते न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। कई बार कानूनी मदद न मिलने के कारण उक्त जरुरतमंद लोग इंसाफ से वंचित रह जाते हैं।
गिल के बेटे डॉ. सरप्रीत ¨सह का कहना है कि पापा की ख्वाहिश थी कि ऐसे लोगों को मुफ्त कानूनी सेवा मुहैया करवाई जाए। इसके लिए बेहतर यही पापा को प्रतीत हुआ कि वह खुद एलएलबी कर लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करें। डिग्री मिलने के बाद वह लोगों को मुफ्त कानूनी सलाह देंगे और उनके मामले की पैरवी भी करेंगे। खुद के खर्चे से इसके लिए निजी पसर्नल चैंबर भी बनाया जाएगा।