मरीजों के लिए बंद किया था अस्पताल का रास्ता, वीआईपीज के लिए खोला
अमृतसर सरकारी नियमों की बेड़ियों सिर्फ आम जनता के लिए हैं, वीआईपी के लिए कोई नीति एवं नियम निर्धारित नहीं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
सरकारी नियमों की बेड़ियों सिर्फ आम जनता के लिए हैं, वीआईपी के लिए कोई नीति एवं नियम निर्धारित नहीं। इसकी ताजा मिसाल सरकुलर रोड स्थित विद्यासागर मेंटल अस्पताल के नजदीक देखने को मिली है। तकरीबन छह माह पूर्व अस्पताल को जाने वाले रास्ते को सीमेंटेड पिलर लगाकर बंद किया गया था। आज ये सीमेंटेंड पिलर उखाड़ दिए गए और रास्ता साफ कर दिया गया।
दरअसल, मनोरोग अस्पताल के सामने स्थित ग्राउंड में विजयदशमी पर्व मनाया जा रहा है। इस आयोजन में कई अति विशिष्ट व्यक्ति शमिल होंगे। लिहाजा स्थानीय प्रशासन ने सीमेंटेंड पिलर यहां से हटा दिए हैं। छह माह पूर्व यह रास्ता इसलिए बंद किया गया था ताकि लोग इधर से न गुजर सकें। सीमेंटेंड पिलर के साथ-साथ फें¨सग भी की गई थी। बताया जाता है कि इस ग्राउंड पर मॉल बनाने की योजना है। मनोरोग अस्पताल तक पहुंचने के लिए मरीज इसी रास्ते का प्रयोग करते थे। मॉल प्रोजेक्ट को मद्देनजर रखते हुए प्रशासन ने इस रास्ते को बंद करवाकर मरीजों को सवा किलोमीटर दूरी तय करके दूसरे रास्ते से आने का हुक्म सुना दिया था। ऐसे मे अस्पताल आने वाले मरीजों, उनके तीमारदारों, अस्पताल स्टाफ और नर्सिंग स्टूडेंट्स को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शुक्रवार को मनाए जा रहे दशहरा पर्व के मद्देनजर जिला प्रशासन ने इन पिलरों को यहां से हटा दिया। पिलरों के आगे रखे गए मिट्टी के ढेर भी साफ कर दिए गए हैं।
दर्जा चार सरकारी कर्मचारी यूनियन स्वास्थ्य विभाग के प्रधान कमल कनौजिया ने कहा कि यह मार्ग अब तक बंद था, जिससे मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। चूंकि ऑटो चालक मरीजों को सड़क पर उतार देते हैं। मरीजों को दूसरे रास्ते के जरिए अस्पताल तक आना पड़ता है। मनोरोग अस्पताल में मानसिक रोगी आते हैं। ऐसे में उन्हें सवा किलोमीटर की दूरी तय करवाकर अस्पताल तक लाना बहुत मुश्किल भरा है। पूर्व में रास्ता खुला होने पर मरीज महज एक मिनट की दूरी तय कर अस्पताल पहुंच जाते थे। अब दशहरा पर्व को देखते हुए ये पिलर हटा दिए गए हैं, जबकि पूर्व में हम प्रशासन को मरीजों की परेशानी से अवगत करवा चुके हैं। इससे साफ होता है कि प्रशासनिक अधिकारियों एवं सरकार को मरीजों की पीड़ा से सरोकार नहीं। उन्हें तो बस वीवीआईपी लोगों की ¨चता है, जिन्हें अपनी लग्जरी गाड़ियां से उतरकर दो कदम चलना भी न पड़े।
अस्पताल में रोजाना लगभग 1200 लोग आते-जाते हैं। 800 नर्सिंग स्टूडेंट भी यहां ट्रे¨नग लेने आती हैं। इन सभी को लंबे रास्ते से घूमकर आना पड़ता है।