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केसर दा ढाबा की रसोई में स्नानागार, यहीं तैयार हो रहे थे लजीज पकवान

अमृतसर माह की दाल व लच्छेदार परांठा बेचकर देश व दुनिया में ख्याति अर्जित कर चुके केसर दा ढाबा में वीरवार को स्वास्थ्य विभाग ने छापामारी की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 12:21 AM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 12:21 AM (IST)
केसर दा ढाबा की रसोई में स्नानागार, यहीं तैयार हो रहे थे लजीज पकवान
केसर दा ढाबा की रसोई में स्नानागार, यहीं तैयार हो रहे थे लजीज पकवान

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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माह की दाल व लच्छेदार परांठा बेचकर देश व दुनिया में ख्याति अर्जित कर चुके केसर दा ढाबा में वीरवार को स्वास्थ्य विभाग ने छापामारी की। खुशबूदार एवं जायकेदार पकवानों के लिए मशहूर केसर दा ढाबा की रसोई में गंदगी के अंबार मिले हैं। ढाबे में स्थित जिस रसोई पर बड़े-बड़े तंदूरों पर खाना पकाया जा रहा था, वहीं कर्मचारी ब्रश कर रहे थे, नहा भी रहे थे। ढाबे में घटिया मसालों का प्रयोग किया जा रहा था। इस विश्व प्रसिद्ध ढाबे की थाली में सजे पकवानों को अंगुलियां चाट-चाट कर खाने वाले लोगों को जब यह कड़वी हकीकत का पता चला तो वे अवाक रह गए।

दरअसल, चौक पासियां स्थित केसर दा ढाबा पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लखबीर ¨सह भागोवालिया ने दल-बल के साथ दस्तक दी। संकरी गली में स्थित इस ढाबे तक पहुंचना गाड़ियों में बैठकर संभव नहीं था, इसलिए टीम को ढाई सौ मीटर पैदल चाल चलनी पड़ी। डॉ. भागोवालिया ने सबसे पहले ढाबे की रसोई में दस्तक दी। यहां एक कर्मचारी ब्रश कर रहा था तो दूसरा नहा रहा था। 50 गज क्षेत्र में बनी इस रसोई में नहाने-धोने के साथ-साथ लच्छेदार परांठे, दाल, पनीर व सब्जियां भी पकाई जा रही थीं। ढाबा मालिक विजय कुमार के पास फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के अंतर्गत लाइसेंस भी न था। डॉ. भागोवालिया ने विजय कुमार से लाइसेंस मांगा तो उसने कहा- लाइसेंस क्या होता है मुझे मालूम नहीं। ढाबे में काम करने वाले किसी भी कर्मचारी का मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था। न ही इन्हें फूड हैंड¨लग एवं फूड सेफ्टी की कभी ट्रे¨नग दी गई थी। खाना पकाने वाले कर्मचारियों ने ग्लब्ज और भी नहीं पहनी थी।

डॉ. भागोवालिया ने रसोई में रखे मसालों की जांच की तो ये निम्न स्तर के निकले। नियमानुसार लोगों को परोसे जाने वाले खाने को तैयार करने में ब्रांडेड मसालों का प्रयोग किया जाना चाहिए, पर ढाबे में खुले व स्तरहीन मसाले बरामद हुए। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लाल मिर्च, हल्दी, मसाला, तैयार दाल, पनीर, चने, दही, देसी घी, आटा आदि के सैंपल यहां से भरे। इसके साथ ही ढाबा मालिक को इम्प्रवूमेंट नोटिस भी जारी कर दिया है। टीम इस ढाबे को सील करने जा रही थी, लेकिन मालिक ने कहा कि यदि ढाबा सील कर दिया गया तो वह इसमें इम्पूवमेंट नहीं कर पाएगा। ऐसे में डॉ. भागोवालिया ने उसे दो सप्ताह का समय देते हुए कहा कि इस अवधि में सभी व्यवस्था दुरुस्त कर लें, वरना सख्त कार्रवाई होगी।

डॉ. भागोवालिया ने बताया कि हमने सैंपल भरकर जांच के लिए लेबोरेट्री भेज दिए हैं। इस ढाबे में लोगों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा हैं। शीघ्र ही लेबोरेट्री रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। यदि सैंपल फेल हुए तो फिर कानूनी कार्रवाई भी करवाएंगे।

ढाबे के आचार में फफूंदी!

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार केसर दा ढाबा के आचार की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी। इसके अलावा जिले के कुछ प्रमुख लोगों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने भी शिकायत की थी कि ढाबे में सब कुछ ठीक नहीं। कुछ माह पूर्व एक प्रशासनिक अधिकारी इसी ढाबे में खाना खाने गए थे, लेकिन यहां के हालात देखकर बिना खाए लौट आए।

पाकिस्तान से अमृतसर शिफ्ट हुआ था केसर दा ढाबा

अमृतसर में आने वाला संभवत: ऐसा विरला पर्यटक होगा जिसने केसर दा ढाबा का जायकेदार खाना न खाया हो। केसर दा ढाबा 1916 में पाकिस्तान के लाहौर में खोला गया था। लाला केसरमल ने देश विभाजन के बाद परिवार सहित अमृतसर चले आए। उन्होंने चौक पासियां की संकरी सी गली में केसर का ढाबा शिफ्ट किया। देसी घी की खुशबू से महकने वाली चौक पासियां गली में हर देशी व विदेशी पर्यटक पहुंचता है और भरपेट खाता है। केसरमल के देहावसान के बाद पुत्र शोरी मल ने कामकाज संभाला। एक वक्त ऐसा भी आया जब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के लिए यहां से खाना पैक करवाकर भेजा गया। शोरी मल के देहांत के बाद उनके पुत्र विजय कुमार केसर दा ढाबा चला रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल श्री हरिमंदिर साहिब के निकट स्थित केसर दा ढाबा में देशी-विदेशी पर्यटकों का आगमन ज्यादा है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड जैसे बड़े देशों से आने वाले पर्यटक इस ढाबे की दाल और परांठे का स्वाद जरूर चखते हैं। यहां हर रोज ढाई ¨क्वटल आटे से लच्छेदार परांठे बनाए जाते हैं। माह की दाल 1.20 क्विटल लगती है। तांबे की बड़ी देग में चालीस किलो दाल 12 घंटे तक पकाई जाती है। अफसोस, गंदगी के बीच पकने वाला वाला खाना पौष्टिक नहीं, यह स्वास्थ्य विभाग ने बता दिया है। एक ¨क्वटल चांप नष्ट करवाई

रंग-बिरंगी चांप बेचकर लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वाले एक विक्रेता को स्वास्थ्य विभाग ने सबक सिखाया है। लोहगढ़ गेट स्थित विजय ट्रेडर्स में छापामारी कर विभाग ने एक ¨क्वटल चांप बरामद की। इस चांप पर हरे व लाल रंग लगाया गया था। यह सेहत के लिए बहुत हानिकारक रंग हैं। टीम ने एक ¨क्वटल चांप बरामद कर इसे भगतांवाला डंप में नष्ट किया है। इसी प्रकार लोहगढ़ गेट स्थित एक स्वीट्स शॉप पर छापामारी कर फेनियां व मट्ठयिों के सैंपल भरे गए। इस दुकान से मिल्क केक बरामद किया गया, जिस पर फफूंदी लगी हुई थी। उपरोक्त दोनों विक्रेताओं के पास लाइसेंस नहीं था। टीम ने सैंपल भरकर जांच के लिए लेबोरेट्री में भेजे हैं। इसी प्रकार पुतलीघर स्थित खजान स्वीट्स में छापामारी कर मिल्क केक, खोया, बर्फी, पनीर व बेसन के सैंपल भरे गए।


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