मल्लूनंगल गांव में पराली न जलाने को लेकर किसानों को किया जागरूक
अमृतसर पराली को खेत में आग नहीं लगाने को लेकर दैनिक जागरण ग्रुप की ओर से शुरू किए गए, 'पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे' अभियान के तहत बुधवार को जिला खेतीबाड़ी विभाग के साथ मिलकर मल्लू नंगल गांव में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन करवाया।
जागरण टीम, अमृतसर
पराली को खेत में आग नहीं लगाने को लेकर दैनिक जागरण ग्रुप की ओर से शुरू किए गए, 'पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे' अभियान के तहत बुधवार को जिला खेतीबाड़ी विभाग के साथ मिलकर मल्लू नंगल गांव में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन करवाया। गांव के गुरुद्वारा में हुए इस कार्यक्रम के दौरान खेतीबाड़ी विकास अधिकारी (एडीओ) डॉ. गुरप्रीत ¨सह औलख और डॉ. ज¨तदर ¨सह गिल ने किसानों को धान की कटाई के बाद बची पराली को खेत में ही आग नहीं लगाने संबंधी प्रेरित किया।
खेतीबाड़ी माहिरों ने किसानों को बताया खेत में पराली को आग के हवाले करने से जहां उनकी अगली उपज की क्वालिटी और क्वांटिटी प्रभावित होती है, वहीं इससे दूषित होने वाले पर्यावरण का इंसानी सेहत पर भी बहुत बुरा असर होता है। माहिरों ने बताया कि इसका सबसे ज्यादा असर भावी पीढ़ी पर होता है। खेतों में पराली को आग लगाने से मानसिक और शारीरिक ग्रोथ भी प्रभावित होती है। इस दौरान किसानों ने पराली नहीं जलाने की शपथ भी ली। इस अवसर पर मल्लूनंगल गांव के मैंबर पंचायत सुबेग ¨सह गिल, पूर्व सरपंच हर¨पदर ¨सह, हरदीप ¨सह,गुरपाल ¨सह, सुखदेव ¨सह, सुखबीर ¨सह, हरदयाल ¨सह, सर्वण ¨सह, कुलवंत ¨सह, दलजीत ¨सह, सुख¨वदर ¨सह, नंबरदार मनदीप ¨सह और गुरप्रीत ¨सह भी उपस्थित थे।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतें
बताई
खेतीबाड़ी विकास अधिकारी डॉ. गुरप्रीत ¨सह औलख ने कहा कि खेत में पराली को आग लगाने से रोकने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतों के बारे सभी किसानों को रू-ब-रू होना चाहिए। क्योंकि पराली जलाने से किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समाज का नुकसान होता है तो किसानों को हिदायतों का सख्ती से पालन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि खेत में पराली जलाने से मिट्टी और पर्यावरण दोनों दूषित होते हैं। मिट्टी का खेत की उपज पर और पर्यावरण का हमारी सेहत पर विपरीत असर पड़ता है। तंदरुस्त पंजाब के लिए जरुरी है कि खेतों में पराली न जलाएं।
व्यक्तिगत 50 और ग्रुप में 80 फीसद सब्सिडी की सुविधा
गांव मल्लू नंगल में आयोजित किसान जागरूकता कार्यक्रम में खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ. ज¨तदर ¨सह गिल ने बताया कि किसानों को खेत में पराली नहीं जलाने को प्रेरित करने के लिए इसमें इस्तेमाल की जाने वाली मशीनरी पर सरकार सब्सिडी दे रही है। व्यक्तिगत तौर पर इस मशीनरी को खरीदने पर किसान को 50 फीसदी जबकि को-आपरेटिव सोसायटी या कस्टम हाय¨रग सेंटर (किसानों का ग्रुप) पर इस सब्सिडी का अनुपात 80 फीसदी है। जहां कि किसान मामूली किराया देकर हैपीसीडर, पैडी स्ट्रा चॉपर और एमबी प्लाह आदि का प्रयोग अपने खेत में कर किसान इसका फायदा उठा सकते हैं।
मर जाते हैं मिट्टी के मित्र कीड़े
खेतीबाड़ी विभाग के विस्तार अधिकारी बलबीर ¨सह ने बताया कि पराली को खेत में आग लगाने से मिट्टी के अंदर मित्र कीड़े जल कर खत्म हो जाते हैं। यह मित्र कीड़े जहां हमारी फसल के लिए लाभदायक होते हैं, वहीं फसल में झाड़ ज्यादा लाने में भी मदद करते हैं। इस लिए किसानों को चाहिए कि वे धान की कटाई करने के बाद बची पराली और मूड्डों को मिट्टी में ही गलाया जाए। उन्होंने बताया कि अगली फसल की बिजाई के लिए शोध किए हुए बीजों और माहिरों की राय के साथ ही खादों का भी उपयोग करना चाहिए।