पराली न जलाएं, सहंसरा कलां स्कूल में दिया बच्चों को संदेश
अमृतसर पराली को खेत में नहीं जलाएं। इससे खेत के मालिक किसान को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को इसका नुकसान होता है।
जागरण टीम, अमृतसर
पराली को खेत में नहीं जलाएं। इससे खेत के मालिक किसान को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को इसका नुकसान होता है। इसलिए किसान पराली को अपने खेत में जलाने की बजाए उसे विशेष मशीनों की मदद से खेत में ही मर्ज करें। इसमें किसान का तो फायदा है कि उसे अगली फसल का झाड़ डेढ़ से लेकर दो क्विंटल तक अधिक मिलता है, वहीं आम लोगों को इससे बिना दवाएं इस्तेमाल किए पौष्टिक खाद्यान्न मिलता है। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीसी) के सहायक डायरेक्टर (ट्रे¨नग) बीएस ढिल्लों ने यह बात मंगलवार को दैनिक जागरण द्वारा केवीसी और सहंसरा कलां के श्री गुरु हरकिशन पब्लिक स्कूल में आयोजित जागरुकता सेमिनार के दौरान कही।
डॉ. ढिल्लों ने सेमिनार के दौरान बच्चों के साथ अपने स्कूल के अनुभव सांझा करते हुए कहा कि वे समय का महत्व समझें और हमेशा इसके सदुपयोग करने की कोशिश करें। ग्रामीण यूथ की जनसंख्या 65 फीसदी है जबकि शहरों में इनकी सहभागिता 4 फीसदी मात्र है। इस लिए गांवों के बच्चों को अपनी जीवन शैली बदल कर आधुनिक युग में अपना सहयोग देना है। क्योंकि इन्हें बच्चों में से कल को कई किसान बनेंगे और कई खेती के माहिर तो बच्चों को दिए गए खेत में पराली नहीं जलाने के संदेश से ही हमारे समाज में बदलाव आएगा।
बच्चों को आज दी जानकारी काम आएगी कल : डॉ. र¨मदर कौर
केवीके की डॉ. र¨मदर कौर ने बच्चों को बताया कि आज की जानकारी कल उनके काम आएगी। क्योंकि आज के बच्चे हमारा भविष्य हैं और उन्हें इस संदेश को आगे लेकर समाज में जाना है। उन्होंने बताया कि स्कूल में दिए गए पराली को खेत में नहीं जलाने के संदेश को वे अपने घर जाकर दें ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि इसके लिए जरुरी है कि दान की कटाई के लिए कम्बाईन का एसएमएस (स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम) के साथ प्रयोग किया जाए। वहीं उन्होंने एमबी प्लॉ के साथ रोटावेटर प्रयोग करके पराली को खेत में मिलाए जाने का संदेश दिया। खेत में पराली को नहीं जलाए जाने संबंधी उन्होंने प्रोजेक्टर के जरिए वीडियो दिखा कर बच्चों को जानकारी दी।
गेहूं व धान पर उली के कीड़ों को पहचानें : डॉ. आस्था
किसान विकास केंद्र की डॉ. आस्था ने बच्चों को फसल पर मार करने वाले कीड़ों के बारे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कीड़ों की चार स्टेज होती हैं। इनमें अंडा, लारवा, प्यूपा और व्यस्क है। फसल या पत्तों पर इनके दिखाई देने पर इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योकि इनका असर (जहर) फसल के जरिए हमारे शरीर में पहुंच कर कई रोगों को जन्म देता है। इसलिए फसल पर कीड़ों का हमला होते ही माहिरों की राय के साथ दवा का छिड़काव करना चाहिए।
घर में और समाज में पहुंच करें जागरूक : सतबीर कौर
श्री गुरु हर किशन पब्लिक स्कूल, संहसरा कलां की ¨प्रसिपल सतबीर कौर ने बच्चों से कहा कि आज उन्हें जो जानकारी पराली को खेत में नहीं जलाने की दी गई है, वे घर जाकर अपने माता-पिता को बताएं। इतना ही नहीं वे यह जानकारी अपने आस-पास के लोगों को भी बताए और इसके प्रति जागरूक करें। बच्चों विशेषकर लड़कियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि परिजनों पर सबसे ज्यादा असर औलाद का होता है और जब बच्चे घर में जाकर पराली खेत में नहीं जलाने का संदेश देंगे तो ज्यादा नहीं तो परिजनों में थोड़ा-थोड़ा बदलाव अवश्य आएगा।