जलियांवाला बाग में देशभक्ति का जज्बा जगाएगी डाक्यूमेंट्री
अमृतसर जलियांवाला बाग ट्रस्ट की बैठक केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ ¨सह की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
जलियांवाला बाग ट्रस्ट की बैठक केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ ¨सह की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई। बैठक में केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के अलावा ट्रस्टी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक व तरलोचन ¨सह विशेषरूप से शामिल हुए। बैठक में बाग में शहीदों को श्रद्धांजलि देने आने वाले विजिटरों के लिए समयाविधि बढ़ाने के अलावा कई अहम मामलों पर विचार-विमर्श हुआ।
मलिक ने बताया कि जलियांवाला बाग के प्रबंधन को लेकर उनके द्वारा समय-समय उठाई गई सभी मांगों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हरी झडी दे दी है। उन्होंने कहा कि अटारी सीमा पर जब लोग रिट्रीट सेरेमनी देखने जाते हैं तो उनके मन में देशभक्ति का अलग ही जोश होता है। वैसे ही भाव उनके मन में जलियांवाला बाग आने पर भी हो, इसके लिए यहां भी विशेष प्रबंध किए जाएंगे। बाग में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाकर उसमें बाग के शहादत से जुड़ी डाक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी। बंद पड़ा हुआ लाइट एंड साउंड कार्यक्रम दोबारा शुरू होगा, जोकि ¨हदी, इंग्लिश व पंजाबी तीनों भाषाओं में चलेगा। म्यूजिक फाउंटेन के साथ साथ लेजर शो भी चलेगा। म्यूजियम में बने हुए हाल को 7 डी डॉक्यूमेंट्री रूम बनाया जाएगा। जहां पर बैठकर लोग एहसास कर सकेंगे कि वर्ष 1919 में इस जगह पर निहत्थे लोगों की जो हत्या हुई थी, तब क्या-क्या हुआ था। समयाविधि बढ़ाना भी बहुत जरूरी
मलिक ने कहा कि ऐतिहासिक जलियांवाला बाग को शाम 5 बजे बंद कर दिया जाता है। जबकि यह देर रात तक खुला रहना चाहिए। इसके बिल्कुल पास गोल्डन टैंपल में देर रात तक लोग दर्शनों के लिए आते हैं। मलिक के अनुसार राजनाथ ¨सह स्पष्ट कर दिया है कि यह निर्णय जलियांवाला बाग की बेहतरी के लिए बनाई गई कमेटी को लेना है कि इस बाग को कितने बजे तक खुला रखा जाए और यहां पर क्या-क्या होना चाहिए। संरक्षित हों शहादत के निशान
मलिक ने कहा कि बाग में ऐतिहासिकता को दर्शाती बैकग्राउंड तस्वीरें भी यहां लगाई जाएंगी। ऐतिहासिक खूह को साफ किया जाएगा और इस हेरिटेज इमारत को संरक्षित किया जाएगा। अगले साल मनाए जाने वाले 100 साला में यहां पर एग्जीबिशन होगी, कवि सम्मेलन का आयोजन यहां होगा, वहीं पोस्टल स्टैंप जाव सिक्का भी जारी किया जाएगा। कांग्रेस सरकार के रहते इस ऐतिहासिक बाग को अनदेखा किया गया।