खतरा! तनाव भी बना रहा ओरल कैंसर का शिकार
जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में मुख कैंसर का शिकार मरीज तेजी से रिपोर्ट हो रहे हैं। ये वो लोग हैं जो दांत का दर्द ठीक करवाने अस्पताल आए लेकिन जांच के दौरान उन्हें मुख कै
By Edited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 12:23 AM (IST)Updated: Sat, 06 Apr 2019 03:02 AM (IST)
नितिन धीमान, अमृतसर। जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में मुख कैंसर का शिकार मरीज तेजी से रिपोर्ट हो रहे हैं। ये वो लोग हैं जो दांत का दर्द ठीक करवाने अस्पताल आए, लेकिन जांच के दौरान उन्हें मुख कैंसर की पुष्टि हुई। सिविल अस्पताल अमृतसर में पिछले दो माह में 9600 मरीजों का ओरल चेकअप किया गया। इसमें से 2 मरीजों को कैंसर डायग्नोस हुआ। स्वास्थ्य विभाग द्वारा करवाए गए सर्वे में यह भी सामने आया है कि एक लाख जनसंख्या में 19 लोग मुख कैंसर का शिकार हैं, जबकि दर्जन भर मरीजों के मुंह में कैंसर होने की संभावना नजर आई। वहीं कुछ मरीज ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी तंबाकू व शराब का सेवन नहीं किया, पर मुख कैंसर की चपेट में आ गए। सर्वे में यह तथ्य भी सामने आए हैं कि तंबाकू युक्त पदार्थों के अतिरिक्त मानसिक तनाव यानी टेंशन भी कैंसर का बड़ा कारण है।
स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी डायरेक्टर डेंटल डॉ. शरणजीत कौर सिद्धू बताती हैं कि सिविल अस्पताल स्थित डेंटल विंग में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग भी दांतों की तकलीफ लेकर पहुंचे। इन बुजुर्ग के मुख की जांच की गई तो मसूढ़ों में कैंसर सेल की संभावना नजर आई। उनके मुख में सफेद रंग के चकते भी बने हुए थे। जांच में खुलासा हुआ कि वह प्री-कैंसर की चपेट में आ चुके हैं। डेंटल विभाग के डॉक्टरों के पूछने पर उन्होंने साफ इंकार किया कि उन्होंने न तो कभी शराब पी है और न ही कभी तंबाकू का सेवन किया। असल में यह बुजुर्ग किसी पारिवारिक परेशानी के चलते गहरे तनाव में थे, जिस वजह से प्री-कैंसर ने उन्हें घेर लिया। इसी प्रकार डेंटल विंग में एक व्यक्ति ओरल जांच करवाने आाय था। कुछ माह पूर्व उसकी पत्नी की मुंह की सर्जरी हुई थी। काफी पैसे खर्च हुए। वह परेशान था कि आखिर अब परिवार का भरण पोषण कैसे कर पाऊंगा। इस व्यक्ति के मुंह की जांच की गई तो अंदर सफेद रंग के चकते बने हुए थे। यह भी प्री-कैंसर की गिरफ्त में पहुंच चुका था।
सादा खाना खाकर भी मिर्च लगना प्री-कैंसर का संकेत
कम मसालों वाले भोजन को खाकर भी यदि मिर्च लगे तो यह प्री-कैंसर हो सकता है। डॉ. शरणजीत कौर कहती हैं कि प्री-कैंसर में मरीज के मुंह से लार सूखने लगती है। ऐसे में वह खाना खाता है तो लार का स्त्राव नहीं हो पाता और मुख सूखा रहता है। उसे खाना चबाने में भारी कठिनाई आती है। साधारण सी दाल-सब्जी भी मुंह में जलन पैदा कर देती है। यदि ऐसे लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए, क्योंकि यह ओरल कैंसर की पहली स्टेज है और इसे दूसरी स्टेज तक पहुंचने में देर नहीं लगती।
तंबाकू खाने वाले रिक्शा चालक की काटनी पड़ेगी जीभ
एक रिक्शा चालक को मुख कैंसर डायग्नोस हुआ है। वह तंबाकू का सेवन करता था। उसकी जीभ और मुंह की दायीं व बायीं ओर की चमड़ी बुरी तरह से गल चुकी है। डिप्टी डायरेक्टर के अनुसार अब इस रिक्शा चालक की जीभ काटने के सिवाय दूसरा और कोई विकल्प नहीं। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कैंसर कोशिकाएं उसके मुंह के अलावा शरीर के कई हिस्सों में घर बना चुकी होंगी।
प्रतिबंधित हैं तंबाकू, फिर भी बिकता है
तंबाकू युक्त पदार्थों की बिक्री पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया है, पर शहर के सैकड़ों ही ऐसी दुकानें एवं खोखे हैं जहां खुलेआम यह जहर बिक रहा है। यहां तक की कई करियाना स्टोर्स पर गुटका, खैनी, तंबाकू इत्यादि बिक रहा है। शराब की बात ही छोड़िए, यह नशा सरकारी संरक्षण में ही बिक रहा है। हालांकि पंजाब के कई राजनेता शराब को नशा नहीं मानते, पर यह भी मुख कैंसर का बड़ा कारण है। वास्तविक स्थिति यह है कि मुख कैंसर का हमला पुरुषों पर हो रहा है। इनमें 15 से 50 आयु वर्ग के लोग शामिल हैं।
निकोटिन पैच से मिलेगा तंबाकू की लत से छुटकारा
हम जल्द ही स्कूलों में कैंप लगाकर बच्चों को ओरल कैंसर के संदर्भ में जागरूक करेंगे। अभी डेंटल विंग में आने वाले लोगों को लेक्चर देकर इस विषय में जागरूक किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, सुपारी आदि से दूर रहें। जो लोग तंबाकू का त्याग नहीं कर पा रहे उनके लिए सिविल अस्पताल में निकोटिन पैच रखे गए हैं। ये पैच उनके शरीर के किसी हिस्से में लगाए जाते हैं, जिससे उन्हें तंबाकू सेवन की इच्छा नहीं रहती। हम सभी ओरल कैंसर का रिकॉर्ड मेनटेंन कर रहे हैं। मरीजों के उपचार के लिए मुख्यमंत्री कैंसर राहत कोष से 150 लाख रुपये जारी करने का प्रावधान भी है। -डॉ. शरणजीत कौर
स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी डायरेक्टर डेंटल डॉ. शरणजीत कौर सिद्धू बताती हैं कि सिविल अस्पताल स्थित डेंटल विंग में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग भी दांतों की तकलीफ लेकर पहुंचे। इन बुजुर्ग के मुख की जांच की गई तो मसूढ़ों में कैंसर सेल की संभावना नजर आई। उनके मुख में सफेद रंग के चकते भी बने हुए थे। जांच में खुलासा हुआ कि वह प्री-कैंसर की चपेट में आ चुके हैं। डेंटल विभाग के डॉक्टरों के पूछने पर उन्होंने साफ इंकार किया कि उन्होंने न तो कभी शराब पी है और न ही कभी तंबाकू का सेवन किया। असल में यह बुजुर्ग किसी पारिवारिक परेशानी के चलते गहरे तनाव में थे, जिस वजह से प्री-कैंसर ने उन्हें घेर लिया। इसी प्रकार डेंटल विंग में एक व्यक्ति ओरल जांच करवाने आाय था। कुछ माह पूर्व उसकी पत्नी की मुंह की सर्जरी हुई थी। काफी पैसे खर्च हुए। वह परेशान था कि आखिर अब परिवार का भरण पोषण कैसे कर पाऊंगा। इस व्यक्ति के मुंह की जांच की गई तो अंदर सफेद रंग के चकते बने हुए थे। यह भी प्री-कैंसर की गिरफ्त में पहुंच चुका था।
सादा खाना खाकर भी मिर्च लगना प्री-कैंसर का संकेत
कम मसालों वाले भोजन को खाकर भी यदि मिर्च लगे तो यह प्री-कैंसर हो सकता है। डॉ. शरणजीत कौर कहती हैं कि प्री-कैंसर में मरीज के मुंह से लार सूखने लगती है। ऐसे में वह खाना खाता है तो लार का स्त्राव नहीं हो पाता और मुख सूखा रहता है। उसे खाना चबाने में भारी कठिनाई आती है। साधारण सी दाल-सब्जी भी मुंह में जलन पैदा कर देती है। यदि ऐसे लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए, क्योंकि यह ओरल कैंसर की पहली स्टेज है और इसे दूसरी स्टेज तक पहुंचने में देर नहीं लगती।
तंबाकू खाने वाले रिक्शा चालक की काटनी पड़ेगी जीभ
एक रिक्शा चालक को मुख कैंसर डायग्नोस हुआ है। वह तंबाकू का सेवन करता था। उसकी जीभ और मुंह की दायीं व बायीं ओर की चमड़ी बुरी तरह से गल चुकी है। डिप्टी डायरेक्टर के अनुसार अब इस रिक्शा चालक की जीभ काटने के सिवाय दूसरा और कोई विकल्प नहीं। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कैंसर कोशिकाएं उसके मुंह के अलावा शरीर के कई हिस्सों में घर बना चुकी होंगी।
प्रतिबंधित हैं तंबाकू, फिर भी बिकता है
तंबाकू युक्त पदार्थों की बिक्री पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया है, पर शहर के सैकड़ों ही ऐसी दुकानें एवं खोखे हैं जहां खुलेआम यह जहर बिक रहा है। यहां तक की कई करियाना स्टोर्स पर गुटका, खैनी, तंबाकू इत्यादि बिक रहा है। शराब की बात ही छोड़िए, यह नशा सरकारी संरक्षण में ही बिक रहा है। हालांकि पंजाब के कई राजनेता शराब को नशा नहीं मानते, पर यह भी मुख कैंसर का बड़ा कारण है। वास्तविक स्थिति यह है कि मुख कैंसर का हमला पुरुषों पर हो रहा है। इनमें 15 से 50 आयु वर्ग के लोग शामिल हैं।
निकोटिन पैच से मिलेगा तंबाकू की लत से छुटकारा
हम जल्द ही स्कूलों में कैंप लगाकर बच्चों को ओरल कैंसर के संदर्भ में जागरूक करेंगे। अभी डेंटल विंग में आने वाले लोगों को लेक्चर देकर इस विषय में जागरूक किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, सुपारी आदि से दूर रहें। जो लोग तंबाकू का त्याग नहीं कर पा रहे उनके लिए सिविल अस्पताल में निकोटिन पैच रखे गए हैं। ये पैच उनके शरीर के किसी हिस्से में लगाए जाते हैं, जिससे उन्हें तंबाकू सेवन की इच्छा नहीं रहती। हम सभी ओरल कैंसर का रिकॉर्ड मेनटेंन कर रहे हैं। मरीजों के उपचार के लिए मुख्यमंत्री कैंसर राहत कोष से 150 लाख रुपये जारी करने का प्रावधान भी है। -डॉ. शरणजीत कौर
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