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छोटी उम्र के दर्द ने बना दिया 'एंबुलेंसमैन', ताकि अब न तड़पे कोई और न जाए यूं किसी की जान

पिता के सड़क हादसे में घायल होने के बाद समय पर मदद ने मिलने के दर्द ने हिमांशु कालिया को 'एंबुलेंस मैन' बना दिया। वह सड़क हादसे में घायल लोगाें के लिए फ्री एंबुलेंस सेवा चलाते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 11:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 Apr 2018 09:09 PM (IST)
छोटी उम्र के दर्द ने बना दिया 'एंबुलेंसमैन', ताकि अब न तड़पे कोई और न जाए यूं किसी की जान
छोटी उम्र के दर्द ने बना दिया 'एंबुलेंसमैन', ताकि अब न तड़पे कोई और न जाए यूं किसी की जान

अमृतसर, [नितिन धीमान]। पिता सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए अौर सड़क पर तड़पते रहे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। 14 साल का लड़का किसी तरह पिता को अस्‍पताल ले गया, लेकिन वह कोमा में जा चुके थे। पिता की तड़प का दर्द छोटी उम्र में ही दिल में ऐसा बैठा कि बड़ा होकर तय किया कि किसी को इस हालत में नहीं जाने देगा और फिर बन गया 'एंबुलेंस मैन'। हम बात कर रहे हैं 'एंबुलेंस मैन' के नाम से मशहूर हिमांशु कालिया की।

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दिल्ली में रहने वाले कालिया और उनकी पत्‍नी आज उन लोगों के लिए भगवान है जो सड़क पर जख्मी होते हैं।। इस दंपती ने उन्हें समय से अस्पताल पहुंचाकर बचाया। हिमांशु कालिया दिल्ली में 20 फ्री एंबुलेंस चला रहे हैं। सड़क हादसों में घायलों को तत्काल एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करवा नजदीकी अस्पताल पहुंचाते हैं।

हिमांशु व ट्विंकल ने अमृतसर में नौ एंबुलेंस हायर कीं, निजी कंपनी से गठजोड़ कर शुरू की फ्री एंबुलेंस सेवा

मंगलवार को हिमांशु ने अमृतसर में जलियांवाला बाग के समीप फ्री एंबुलेंस सेवा की शुरूआत की। उन्होंने एक निजी एंबुलेंस सर्विस की नौ एंबुलेंस हायर की हैं। ये एंबुलेंस सड़क हादसों में घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाएंगी। इसकी एवज में हिमांशु कंपनी को भुगतान करेंगे।

सड़क पर तड़पते रहे पिता, नहीं मिली एंबुलेंस

हिमांशु ने बताया, तब मैं 14 वर्ष का था। पिताजी अनूप कुमार रिक्शा पर किसी काम से जा रहे थे। रिक्शा जैसे ही फ्लाई ओवर से नीचे आने लगा, रिक्शा चालक बैलेंस खो बैठा और रिक्शा पलट गया। हादसे में पिताजी के सिर पर गंभीर चोटें आईं। पिता तड़पते रहे, लोगों ने भी कोई मदद नहीं की। एंबुलेंस भी समय पर न पहुंची। किसी तरह पिताजी को अस्पताल लेकर पहुंचा, लेकिन उन्हें लाने में देरी होने से वह कोमा में चले गए।

हिमांशु ने कहा, इस घटना ने मुझे भीतर से झकझोर दिया। हिमांशु बताते हैं कि वर्ष 2002 में जब मेरी शादी हुई थी ससुराल वाले कार दे रहे थे, पर मैंने उनसे कहा कि मुझे कार नहीं चाहिए। आप एक एंबुलेंस खरीद दो। बस यहीं से शुरू हुआ लोगों की जिंदगी बचाने का सफर।

हिमांशु की पत्नी ट्विंकल कालिया ने कहा कि हरिद्वार, जयपुर, हैदराबाद में भी एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। एंबुलेंस के साथ सैकड़ों ब्लड डोनर्स को अपने साथ जोड़ा है। हिमांशु ने कहा कि वह देश के कोने-कोने में एंबुलेंस सेवा शुरू करने का लक्ष्य लेकर चले हैं। अब निजी कंपनी से टाईअप कर मरीजों की जिंदगी बचाने की कोशिश कर रहे हैं। अमृतसर के बाद अब पंजाब भर में फ्री एंबुलेंस सेवा शुरू करेंगे।


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