अल्जाइमर्स को भूलने की बीमारी समझना भूल होगी : डॉ. नवदीप शर्मा
अमृतसर अल्जाइमर्स एक ऐसी बीमारी है जिसे सिर्फ भूलने की बीमारी समझना भूल होगी। इस बीमारी में इंसान की याददाश्त कमजोर हो जाती है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
अल्जाइमर्स एक ऐसी बीमारी है जिसे सिर्फ भूलने की बीमारी समझना भूल होगी। इस बीमारी में इंसान की याददाश्त कमजोर हो जाती है। आमतौर पर वृद्धावस्था में यह बीमारी इंसान को गिरफ्त में लेती है, लेकिन वर्तमान में युवा भी इसकी चपेट में फंस रहे हैं। मरीज को किसी भी वस्तु, व्यक्ति या घटना को याद रखने में परेशानी महसूस होती है। वह अपनी भावनाओं को भी व्यक्त नहीं कर पाता। इसके लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय लेने की क्षमता खत्म होना, बात करने में दिक्कत, रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सिर में चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है।
एनडी केयर निरोग के आयुर्वेदिक डॉ. नवदीप शर्मा बताते हैं कि अल्जाइमर बढ़ती उम्र की न्यूरो डिजेनरेटिव स्थिति है। बढ़ती उम्र के कारण मस्तिष्क में सफेद पदार्थ की क्षति होती है। यह क्षति उनके जीवन की हाल की घटनाओं को याद रखने में बाधा डालती है। आधुनिक विज्ञान अभी अल्जाइमर के विभिन्न पहलुओं की खोज कर रहा है, वहीं आयुर्वेद में अल्जाइमर के लिए प्राकृृतिक उपचार को विस्तार से समझाया है।
उन्होंने कहा कि अल्जाइमर मुख्य रूप से वृद्धावस्था में वात दोष के बढ़ने और सात्विक गुण में कमी आने के कारण होता है। बढ़ा हुआ वात दोष तंत्रिका तंत्र के प्राकृतिक कार्यों मे बाधा उत्पन्न करता है। आयुर्वेद ने इस रोग के उपचार के लिये मेध्य रसायनों का सेवन करना बताया है। मेध्य रसायन शरीर के त्रिगुण (सत, रज, और तमा) तथा त्रिदोष (वता, पित्त और कफ) को संतुलित करने मे मदद करता है। आयुर्वेद में कई जड़ी बूटियां हैं जो इस बीमारी से बचाव में सहायक हैं। इनमें मंडुकपर्णी, यष्टिमधु, गुडूची, शंखपुष्पी इत्यादि। डॉ. नवदीप शर्मा के अनुसार आयुर्वेद अल्जाइमर्स का इलाज करने में मदद करता है।