अकालियों ने माफी के लिए अकाल तख्त की परंपरा को किया नजरअंदाज
सिख इतिहास में यह पहली बार है जब श्री अकाल तख्त साहिब पर किसी सियासी दल ने सामूहिक रूप से अपनी गलतियों के लिए बिना तलब किए माफी मांगी है।
अमृतसर [पंकज शर्मा]। सिख इतिहास में यह पहली बार है जब श्री अकाल तख्त साहिब पर किसी सियासी दल ने सामूहिक रूप से अपनी गलतियों के लिए बिना तलब किए माफी मांगी है। साफ है कि शिअद ने पंथक सियासत में दोबारा पकड़ बनाने के लिए परंपरा को नजरअंदाज कर नई परंपरा शुरू की है।
आमतौर पर सिख श्री अकाल तख्त साहिब पर अपनी की बड़ी पंथक गलती को स्वीकार करते हैं और फिर गलती की माफी के लिए श्री अकाल तख्त साहिब पर प्रार्थना पत्र देते हैं। इसके बाद पांच सिंह साहिबान आरोपितों की ओर से स्वीकार की गई गलतियों पर विचार चर्चा करके उनको धार्मिक रीति के अनुसार धार्मिक सजा सुनाते हैं। यहां तक कि संबंधित व्यक्तियों को पदों से हटने के आदेश भी दिए जाते हैं। फिर उनको सुनाई गई सजा पूरी करने के आदेश दिए जाते है। बाद में आदेशों के अनुसार अरदास, अखंड पाठ करने व कड़ाह प्रसाद की देग करने के आदेश होते है, लेकिन इस सारे माफी प्रकरण में उस परंपरा नहीं अपनाया गया।
नहीं बताया कौन सी गलतियों के लिए मांगी माफी
शिअद नेताओं की माफी के मामले में अकाल तख्त में कोई भी व्यक्ति निजी तौर पर अपनी गलतियों को लेकर नहीं गया। न ही यह बताया गया कि किन की गई गलतियों की सजा भुगती जा रही है। नियमों के अनुसार श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार या पांच सिह साहिबान को अपनी गलतियों की सूची दी जाती है। इसे स्वीकार करके सिंह साहिबान सजा तय करते हैं, लेकिन अकाली दल के लिए ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। यहां तक कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार भी इस सारी क्षमा देने वाली प्रक्रिया से बाहर है।
कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शुक्रवार को मीडिया के समक्ष खुलासा किया था कि उनको इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि अकाली नेता शनिवार को श्री अकाल तख्त साहिब पर अपनी गलतियों को क्षमा मांगने आ रहे हैं। उन्हें सूचित नहीं किया गया था।
अकाल तख्त के जत्थेदार को कहा था, तीन दिन तक मौजूद न रहें
एसजीपीसी के सूत्रों से पता चला है कि अकाली दल हाईकमान ने तो श्री अकाल तख्त साहिब के मौजूदा जत्थेदार को यह भी कह दिया है कि वह तीन दिनों तक श्री अकाल तख्त साहिब पर न आएं। वहीं, इस बात पर सवाल उठ रहा है कि अगर कोई खुद ही पाठ करवा कर खुद ही अपनी गलती स्वीकार करके सेवा करता है, तो इसे पंथक परंपरा के अनुसार कैसे पंथक माफी माना जा सकता है। सिख संगत कैसे इस बात को स्वीकार करेगी कि अकाली दल ने श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर पांच सिंह साहिब की ओर से धार्मिक सजा सुनाए बिना ही खुद ही अपनी सजा तय करके भुगत कर सिख कौम और सिख पंथ में अपनी छवि को साफ कर लिया है। इस को लेकर अकाली राजनीति के क्षेत्रों समेत एसजीपीसी के गलियारे में भी भारी चर्चा है।
क्या सिख कौम स्वीकार करेगी
यह भी चर्चा है कि पिछले दस वर्षों में सारे अकाली वर्करों का नेताओं ने तो गलतियां नहीं की तो सभी नेताओं को क्यों पेश होकर अपनी गलतियां स्वीकार करने के लिए आदेश दिए गए। क्या ऐसा करके अकाली दल कोई नई परंपरा तो शुरू नहीं कर रहा। क्या इस तरह की माफी को भविष्य में सिख कौम और सिख पंथ स्वीकार करेगा।
सुखबीर व मजीठिया दाढ़ी खुली छोड़कर पहुंचे
आम तौर पर दाढ़ी बांध कर रखने वाले अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पहली बार दाढ़ी खुली छोड़कर श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे। उन्होंने यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि वह पूर्ण रूप से पंथक हैं और मर्यादा में पूर्ण विश्वास रखते हैं। सुखबीर पर कई बार आरोप लग चुके हैं कि सुखबीर ने अमृतपान नहीं किया है, इसलिए वह पूर्ण गुरसिख नहीं हैं। सुखबीर ने अमृतपान किए जाने का प्रतीक कृपाण भी धारण नहीं की है। उनके अलावा पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया भी दाढ़ी खुली छोड़ कर माफी मांगने पहुंचे। अधिक आयु के चलते प्रकाश सिंह बादल ने जमीन पर बैठने के बजाय कुर्सी पर बैठ कर सेवा निभाई पाठ सुना।
बादल ठहरे सर्किट हाउस, सुखबीर व हरसिमरत ठहरे ताज में
सुखबीर बादल व हरसिमरत कौर बादल रात को स्थानीय ताज होटल, जबकि प्रकाश सिह बादल सर्किट हाउस में ठहरे। अन्य नेता अलग-अलग होटलों व हरिमंदिर साहिब की सरायों में ठहरे। अन्य लोगों में डॉ. रूप सिंह, हरमीत सिंह, मनजीत सिंह मन्ना, गुरप्रताप सिंह टिक्का, रविकरण काहलों, निर्मल सिंह काहलों, राजिंदर सिंह मेहता, एडवोकेट भगवंत सिंह सियालका, मलकीत सिंह एआर, एसजीपीसी की कार्यकारिणी कमेटी के सभी सदस्य व पदाधिकारी भी अरदास के दौरान मौजूद थे।