रेल हादसे के बाद पुलिस कंट्रोल रूम में थी अफरा-तफरी
अमृतसर जौड़ा फाटक हादसे के कुछ पल बाद ही पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिल गई थी।
नवीन राजपूत, अमृतसर
जौड़ा फाटक हादसे के कुछ पल बाद ही पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिल गई थी। त्योहारों पर लगातार ड्यूटी करके थक चुकी पुलिस फोर्स को एक बड़े राहत अभियान के लिए तैयार करना काफी कठिन था। पुलिस कमिश्नर के सिक्योरिटी अफसर जान चुके थे कि घटना स्थल की तर्ज पर अब पुलिस कंट्रोल रूम पर भी अफरा-तफरी मचने वाली है। इन हालातों को परिस्थितियों के अनुकूल करना काफी मुश्किल था। बावजूद एक फोन काल से पुलिस का सारा अमला राहत अभियान में जुट गया। विभिन्न दशहरा मैदानों में तैनात पुलिस अधिकारी सूचना मिलते ही घटना स्थल की तरफ दौड़ पड़े।
सबसे पहले कंट्रोल रूम से सारी पुलिस फोर्स को एक मैसेज फ्लैश कर दिया। ताकि दशहरा मेला समाप्त होने के बाद कोई पुलिस मुलाजिम छुट्टी लेकर घरों को नहीं जाएगा। इसके बाद कंट्रोल रूम से ही सरकारी और निजी अस्पतालों, नगर निगम, फायर ब्रिगेड को आपातकाल के बारे में सूचित किया गया। कुछ ही देर में सारे हादसे का ब्यौरा सामने आ चुका था। पुलिस कमिश्नर सुधांशु शेखर श्रीवास्तव के आदेश फर पड़ोसी जिलों और रिजर्व बटालियन (अमृतसर देहाती-तरनतारन) से भी पुलिस फोर्स को अमृतसर में मंगवा लिया गया था। ताकि किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए पुलिस तैयार रहे। पुलिस अफसर जानते थे कि कुछ ही देर में हादसा स्थल पर वीआईपी भी पहुंच जाएंगे। उग्र हो रही भीड़ के बीच उन्हें जोड़ा फाटक तक लाना काफी चुनौती पूर्ण काम था। रात को सूचना मिल चुकी थी कि रेल मंत्री मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह, डीजीपी के अलावा अन्य वीआईपी शहर में पहुंच रहे हैं। सभी वीआईपी को अलग-अलग समय में एयरपोर्ट से घटना सथल और अस्पतालों तक ले जाने में रूट लगाए जा चुके थे। लेकिन कुछ वीआईपी ने अपने प्लान में बार-बार बदलाव किया। इससे उनकी सुरक्षा में लगाए गए रूट (रास्ते पर सुरक्षा घेरे) को कई बार बदलना पड़ा।
कई बार रूट बदलने की सूचना कंट्रोल रूम से फ्लैश कर दी जाती थी और कई बार यह सूचना मोबाइल के जरिए अलग-अलग अधिकारियों को नोट करवाई जाती थी। यह सिलसिला रविवार रात (48 घंटे से ज्यादा) तक चलता रहा। - पुलिस कंट्रोल रूम से सिक्योरिटी अफसर सुशील कुमार ने बताया।