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कोरोना मरीजों की देखभाल में हुई संक्रमित, दृढ़ता से किया वायरस को परास्त

। डॉ. भारती धवन स्वास्थ्य विभाग में एमबीबीएस डॉक्टर के रूप में कार्यरत हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 11:21 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 11:21 PM (IST)
कोरोना मरीजों की देखभाल में हुई संक्रमित,  दृढ़ता से किया वायरस को परास्त
कोरोना मरीजों की देखभाल में हुई संक्रमित, दृढ़ता से किया वायरस को परास्त

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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डॉ. भारती धवन स्वास्थ्य विभाग में एमबीबीएस डॉक्टर के रूप में कार्यरत हैं। कोरोना वायरस के प्रारंभिक काल यानी मार्च माह में डॉ. भारती धवन को सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थित नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में नियुक्त किया गया। क्वारंटाइन सेंटर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की देखरेख के अलावा वह सेटेलाइट अस्पताल रंजीत एवेन्यू में ओपीडी में सामान्य मरीजों की जांच भी करती रहीं। कोरोना संकटकाल में डॉ. भारती ने इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का न केवल कर्तव्यनिष्ठता से निर्वाह किया, अपितु कोरोना संक्रमितों के बीच रहकर वह भी इस वायरस की चपेट में आ गईं। 10 अगस्त को डॉ. भारती को कोरोना के लक्षण महसूस हुआ। टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनका हौसला नहीं डिगा। नियमानुसार खुद को होम क्वारंटाइन कर लिया, लेकिन मोबाइल के जरिए वह क्वारंटाइन सेंटर व अस्पताल में मरीजों के संपर्क में लगातार रहीं।

डॉ. भारती धवन के अनुसार वह तीसरे दिन ही कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गईं। ऐसा उन्होंने खुद महसूस किया, पर प्रोटोकॉल के अनुसार चौदह दिन तक क्वारंटाइन होना जरूरी था। मैंने ऐसा ही किया। इस वायरस से लड़ने के लिए मैंने सकारात्मक ऊर्जा को अपने भीतर बनाए रखा। पहले दिन अकेलापन महसूस हुआ, क्योंकि मैं हमेशा मरीजों के बीच रहती थी। उनसे घुल मिल चुकी थी। फिर पसंदीदा पुस्तकें पढ़ना शुरू किया। गीत सुने, गीत गाए भी। मेरे कुछ दोस्त कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट हुए थे। उनसे फोन पर बात करती। उन्हें गीत सुनाती। मेरे कुछ कोरोना पॉजिटिव दोस्त घबराए हुए थे। उनका हौसला बढ़ाने के लिए मैं फोन पर बातचीत करती रहती। एकांतवास के दौरान मैंने नियमित रूप से योग किया। आहार में हाई प्रोटीन डाइट, तरल पदार्थ, फ्रूट, हरी सब्जियां, दूध, दही, मल्टी विटामिन का सेवन लगातार किया।

एकांतवास काल समाप्त होने पर मैं पुन: क्वारंटाइन सेंटर पहुंची। चेहरे बदल चुके थे। पुराने मरीज जा चुके थे, नए आ गए थे। सभी ने तालियां बजाकर मेरा स्वागत किया। क्वारंटाइन सेंटर में अब मरीजों की संख्या धीरे-धीरे कम हो गई है। मैं पहले की तरह सेटेलाइट अस्पताल में मरीजों के उपचार में जुट गई हूं। सभी से यह कहती हूं कि कोरोना से घबराना नहीं, लड़ना है।


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