फर्जी रिपोर्ट मामले में डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई पर सात तक रोक
कोरोना वायरस की फर्जी रिपोर्ट तैयार करने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने तुली डायग्नोस्टिक सेंटर और तुली लैब के डॉक्टरों को बड़ी राहत दी है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : कोरोना वायरस की फर्जी रिपोर्ट तैयार करने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने तुली डायग्नोस्टिक सेंटर और तुली लैब के डॉक्टरों को बड़ी राहत दी है। वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये हुई सुनवाई में कोर्ट ने आरोपितों के खिलाफ दर्ज एफआइआर में सात सितंबर तक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि विजिलेंस ने महज शिकायत के आधार पर कार्रवाई कर दी। अभी तक मामले में सिविल सर्जन की तरफ से बनाई गई मेडिकल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। वकील दीपांशु जैन ने बताया कि विजिलेंस ने एफआइआर केवल लोगों की शिकायत के आधार पर दर्ज की है। तुली लैब में कुल 1723 कोरोना टेस्ट करवाए गए थे। इनमें 110 लोग ही पॉजिटिव पाए गए थे। टेस्ट मशीन में भी कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है।
स्पेशल इनवेस्टिगेश टीम (एसआइटी) ने बताया कोई भी नागरिक उक्त केस से जुड़े दस्तावेज या फिर गवाही 13 अगस्त तक पुलिस लाइन में आकर दे सकता है। सरकार के आदेश पर विजिलेंस ब्यूरो से यह कार्रवाई लेकर एसआइटी को जांच के लिए दी थी। जिसमें अमृतसर के पुलिस कमिश्नर डॉ. सुखचैन सिंह गिल, सिविल सर्जन डॉ. नवदीप सिंह खैहरा और एडीसी डॉ. हिमांशु अग्रवाल को सदस्य बनाया गया था। 23 जून को विजिलेंस ने कोरोना की फर्जी रिपोर्ट तैयार करने के मामले में तुली लैब के डॉ. मोहिदर सिंह, डॉ. रिद्धिमा तुली, डॉ. रोबिन तुली, डॉ. संजय सोनी सहित छह के खिलाफ केस दर्ज किया था।