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चार संस्थानों की स्क्रूटनी में ही मिला प्रापर्टी टैक्स में लाखों का घपला, नपेंगे सुपरिटेंडेंट और इंस्पेक्टर

पंजाब विधानसभा में 31 मार्च से पहले पेश की गई वित्त आयोग की रिपोर्ट में अमृतसर नगर निगम का प्रापर्टी टैक्स विभाग 45.7 फीसद रिकवरी के साथ रहा था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 07:00 AM (IST)
चार संस्थानों की स्क्रूटनी में ही मिला प्रापर्टी टैक्स में लाखों का घपला, नपेंगे सुपरिटेंडेंट और इंस्पेक्टर
चार संस्थानों की स्क्रूटनी में ही मिला प्रापर्टी टैक्स में लाखों का घपला, नपेंगे सुपरिटेंडेंट और इंस्पेक्टर

विपिन कुमार राणा, अमृतसर : पंजाब विधानसभा में 31 मार्च से पहले पेश की गई वित्त आयोग की रिपोर्ट में अमृतसर नगर निगम का प्रापर्टी टैक्स विभाग 45.7 फीसद रिकवरी के साथ रहा था। विडंबना यह रही कि साल 2020-21 प्रापर्टी टैक्स का टारगेट 34 करोड़ था, पर विभागीय फौज 31 मार्च 2021 तक मात्र 22.32 करोड़ ही इकट्ठा कर पाई। प्रापर्टी टैक्स में आई कमी को फोकस करते हुए 12 मार्च 2021 को स्क्रूटनी कमेटी बनाई गई थी। स्क्रूटनी कमेटी की प्राथमिक जांच में ही बडा गड़बड़ झाला सामने आया है। टीम के टारगेट पर 15 के लगभग बड़े कामशिर्यल संस्थान हैं। इसमें से अभी तक पांच से छह संस्थानों की स्क्रूटनी पूरी हो चुकी है, जबकि शेष पर काम चल रहा है। इसमें बनते टैक्स और असल कलेक्शन में जमीन आसमान का फर्क सामने आया है।

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कमेटी द्वारा अभी तक की गई स्क्रूटनी में रणजीत एवेन्यू एससीओ 113 का साल 2020-21 का टैक्स 840605 बनता था, जबकि उसने सिर्फ 216567 टैक्स जमा करवाया। इसमें 6,24,038 का अंतर है। इसी तरह एसजीओ नंबर 27 में भी ऐसा ही दिखा। संस्थान का साल 2020-21 का टैक्स 6,45,331 बनता था, पर प्रबंधकों द्वारा 36,218 रुपये ही टैक्स भरा गया। टैक्स में अंतर 6,09,113 का पाया गया है। एससीओ 116 का भी साल 2020-21 में टैक्स 1,67,236 बनता है, जबकि जमा 1,28,409 करवाया गया है, इसमें भी 38,827 का अंतर है। इसी तरह मजीठा रोड के प्लाट नंबर दो-तीन का साल 2020-21 का टैकस 4,75,463 बनता है, जबकि भरा 1,08,486 गया। इसका अंतर भी 3,66,977 का है। बता दे कि टैक्स का अंतर केवल एक साल है, जबकि प्रापर्टी टैक्स साल 2013-14 से लागू है। स्क्रूटनी के बाद इन एरिया के सुपरिंटेंडेंटों व इंस्पेक्टरों पर गाज गिरना तय है। स्क्रूटनी कमेटी के टारगेट पर सिविल लाइन

कमिश्नर द्वारा स्क्रूटनी के लिए दी गई सूची में नार्थ जोन के ज्यादातर संस्थान हैं। इनमें रणजीत एवेन्यू के एसजीओ, माल रोड व कोर्ट रोड के बड़े शोरूम शामिल हैं। स्क्रूटनी में इसकी रजिस्ट्री के अलावा रेंट डीड जहां चेक की जाएगी, वहीं पिछले आठ सालों में इन्होंने जो टैक्स भरा है, उसकी रसीदों को क्रास चेक किया जा रहा है कि पहले कितना टैक्स भरते थे और अब कितना भरा गया है। अगर इसमें किसी भी प्रकार की कमी दिखी तो विभागीय कार्रवाई के अलावा सीलिग की कार्रवाई की जाएगी। हाउस टैक्स के आसपास भी नहीं पहुंचे

2012-13 में जब हाउस टैक्स की जगह प्रापर्टी टैक्स विभाग बना तो 23 करोड़ की अंतिम रिकवरी हुई थी। तब हाउस टैक्स कामर्शियल संस्थानों पर लगता था और यह संस्थान 32 हजार थे। सरकार द्वारा प्रापर्टी टैक्स लगाए जाने के बाद मेप माइ इंडिया के सर्वे के मुताबिक शहर में एक लाख 90 हजार टैक्सदाता हैं। शुरुआती दौर में तो प्रापर्टी टैक्स से 50 करोड़ की सालाना रिकवरी की हुंकार भरी जाती थी, पर समय-समय पर गिरा गया टारगेट 35 करोड़ पर जा पहुंचा। रिकवरी में किसी समय टाप पर रहे विभाग में आई गिरावट से अधिकारियों के माथे पर भी शिकन है। भारी-भरकम जुर्माने के बारे में बता नहीं रहा स्टाफ

टैक्स कलेक्शन को लेकर स्क्रूटनी कमेटी द्वारा जिस तरह से परतें उधेड़ी जा रही हैं, इससे साफ है कि अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह सब संभव हो सका है। संस्थानों में किरायेदार होने के बावजूद उसे सेल्फ आक्यूपाइड दिखाकर टैक्स में गड़बड़ की गई है। खास यह है कि प्रापर्टी टैक्स अधिकारियों द्वारा लोगों को बताया ही नहीं जा रहा है कि टैक्स पेंडिग होने का जुर्माना कितना ज्यादा है। टैक्स कलेक्शन में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं : रिटू

मेयर कर्मजीत सिंह रिटू ने कहा कि प्रापर्टी टैक्स की कलेक्शन को लेकर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं होगी। स्क्रूटनी कमेटी गठित करने का मकसद भी यही था कि प्रापर्टी टैक्स की रिकवरी में कहीं गड़बड़ हो रही है। हाउस टैक्स के बाद प्रापर्टी टैक्स आय बढाने के लिए लगाया गया था, पर असेसी ज्यादा होने के बावजूद हर साल टैक्स कलेक्शन हाउस टैक्स के बराबर भी नहीं पहुंच रही थी। स्क्रूटनी कमेटी की सिफारिशों पर गंभीरता से काम होगा और दोषियों पर कार्रवाई भी होगी। दोषी अधिकारियों पर भी होगी कार्रवाई : मित्तल

निगम कमिश्नर कोमल मित्तल ने कहा कि स्क्रूटनी कमेटी द्वारा नोटिस देकर संस्थानों की स्क्रूटनी की गई है। टैक्स में अंतर आने पर टैक्सदाताओं को अपनी बात एडिशनल कमिश्नर के सामने रखने का मौका दिया जाएगा। अगर वह दस्तावेज नहीं पेश कर सके तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। प्रापर्टी टैक्स सेल्फ असेसमेंट पर आधारित है, पर उसे चेक करना संबंधित सुपरिंटेंडेंट व इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी बनती थी, अगर उनकी भी कहीं संलिप्तता पाई गई तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।


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