सरकारी ग्रांट हुई लैप्स तो स्कूल मुखी पर गिरेगी गाज
मार्च की क्लोजिग का डर शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को सताने लगा है। स्कूल बैंक अकाउंट में आई ग्रांट का प्रयोग नहीं किया गया तो वह ग्रांट पर लैप्स हो सकती है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर : मार्च की क्लोजिग का डर शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को सताने लगा है। स्कूल बैंक अकाउंट में आई ग्रांट का प्रयोग नहीं किया गया तो वह ग्रांट पर लैप्स हो सकती है। सरकारी स्कूलों में अगर अब कोई ग्रांट लैप्स हुई तो संबंधित मुखी पर उसकी गाज गिरेगी। शिक्षा विभाग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि सरकारी ग्रांट को लेकर कोई भी ढील नहीं बरती जाएगी। विभाग द्वारा इस बारे स्कूल मुखियों को पत्र भी जारी किया गया है।
विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार इस बाबत जिले में स्थित सभी स्कूलों के सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के प्रिसिपल व हाई और मिडल स्कूलों के मुख्य अध्यापकों को पत्र लिखा है। गौर हो कि शिक्षा विभाग की तरफ से स्कूलों का प्रबंध चलाने लिए अलग अलग मदों के तहत ग्रांट जारी की जाती है। इन ग्रांटों के मुताबिक ही प्रिसिपलों, मुख्य अध्यापकों द्वारा खर्च किए जाते हैं। डीईओ की तरफ से जारी पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि जिस भी स्कूल में इस वक्त सैलरी/ बिजली बिल, मेडिकल खर्च की ग्रांट अथवा अन्य किसी और मद के तहत जारी ग्रांट की राशि शेष है तो उसे सरेंडर किया जाए। पत्र में कहा गया कि स्कूलों को मिली ग्रांट सबंधित कार्याें पर ही खर्च की जाती है। इसके बावजूद अगर किसी स्कूल के अकाउंट में ग्रांट की राशि खर्च होने से बची हुई है तो सबंधित स्कूल की तरफ से राशि विभाग को सरेंडर की जाए। इसका मकसद यह बताया गया है कि यह राशी किसी अन्य स्कूल यहां पैसे की जरूरत है उसको जारी की जाएगी। ताकि वहां के प्रबंध बिना किसी परेशानी के चलते रहे।
डीईओ सतिदरबीर सिंह ने कहा कि अगर कोई स्कूल शेष राशि सरेंडर करने में कोताही करेगा और ग्रांट लैप्स होती है तो इस की सीधी जिम्मेदारी संबंधित स्कूल के प्रिसिपल व मुख्य अध्यापक की होगी।