21 एसीपी में दफ्तर और स्टाफ को लेकर छिड़ी जंग
महानगर तेजी से बढ़े अपराध के ग्राफ को कम करने के लिए पंजाब सरकार ने अफसरों का ग्राफ तेजी से बढ़ा दिया है। अब हालात यह बन चुके हैं कि उन अफसरों के लिए ना तो बैठने के लिए शहर में दफ्तर हैं और पूरा स्टाफ।
नवीन राजपूत. अमृतसर
महानगर तेजी से बढ़े अपराध के ग्राफ को कम करने के लिए पंजाब सरकार ने अफसरों का ग्राफ तेजी से बढ़ा दिया है। अब हालात यह बन चुके हैं कि उन अफसरों के लिए ना तो बैठने के लिए शहर में दफ्तर हैं और पूरा स्टाफ। इन हालात में अफसरों को संबंधित थानों और पुलिस लाइन से स्टाफ पूरा करने के लिए कहा गया है। सभी अफसर अपने चुनिदा मुलाजिमों को स्टाफ में लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। हालांकि पुलिस कमिश्नर सुखचैन सिंह गिल ने बताया कि सारा काम व्यवस्थित तरीके से करवाया जा रहा है। सभी अफसरों के पास दफ्तर व स्टाफ होगा। इससे जनता को राहत भी मिलेगी।
बात करें एसीपी रैंक की तो सरकार ने जनता की सेवा में गुरु नगरी में 21 एसीपी तैनात किए हैं। लगभग 13 साल पहले इनकी संख्या चार ही थी। 21 एसीपी में से छह के पास ही दफ्तर है। शेष 15 एसीपी अपना दरबार सजाने के लिए कहीं ना कहीं दफ्तर की तलाश कर रहे हैं। प्रोटोकॉल के मुताबिक प्रत्येक एसीपी के पास एक ड्राइवर, दो सुरक्षाकर्मी, दो रीडर, एक क्लर्क, एक कंप्यूटर आपरेटर और एक अरदली (कुल आठ मुलाजिमों का स्टाफ) रहता है। इस तरह कुल 15 एसीपी को 120 मुलाजिमों का स्टाफ जुटाने के लिए संबंधित थानों या फिर पुलिस लाइन पर आश्रित रहना होगा। शहर के पुलिस थाने पहले ही नफरी की तंगी झेल रहे हैं। मुलाजिमों की संख्या कम होने के कारण पुलिस के प्रत्येक काम में देरी रहती है। अब शहर में रहेंगे चार डीसीपी
पुलिस कमिश्नर की कमांड में अब चार डीसीपी कानून व्यवस्था को सुचारू तरीके से लागू करेंगे। डीसीपी जगमोहन सिंह (लॉ एंड आर्डर), डीसीपी मुखविदर सिंह (इनवेस्टिगेशन), डीसीपी हरिदरजीत सिंह (हेड क्वार्टर) और डीसीपी गगनअजीत सिंह (क्राइम) का चार्ज देंखेंगे। बताया जा रहा है कि अब पुराने केसों का कोर्ट में जल्द निपटारा होगा। चोर-लुटेरों पर अलग सेल बनाया गया है। गुप्तचर व्यवस्था वारदात के बाद चोर- लुटेरों को काबू करने में सहयोग करेगी। इससे पहले शहर की कमान केवल दो डीसीपी के हाथ में थी। सात एडीसीपी अपराध व केसों का करेंगे निपटारा
अब महानगर में सात एडीसीपी तैनात किए गए हैं। ताकि जनता को इंसाफ मिल सके। अपराध का ग्राफ कम हो और चोर- लुटेरों को जल्द गिरफ्तार कर जेलों में भेजा जा सके। एडीसीपी हरजीत सिंह धालीवाल (वन), एडीसीपी संदीप मलिक (टू), एडीसीपी हरपाल सिंह (थ्री), एडीसीपी कृपाल सिंह (ओकू एंड नारकोटिक्स) एडीसीपी जसवंत कौर (ट्रैफिक), एडीसीपी जुगराज सिंह (क्राइम) और एडीसीपी सरताज सिंह (हेड क्वार्टर) हैं। सुल्तानविड थाना व इंस्पेक्टर सिक्योरिटी के दफ्तर पर कब्जा
दबंग टाइप के अफसरों ने शहर के थानों और अन्य दफ्तरों पर कब्जा करने की कवायद शुरू कर दी है। सबसे पहले कमिश्नर पुलिस के सिक्योरिटी इंस्पेक्टर के कमरे पर डीसीपी (हेड क्वार्टर) ने कब्जा कर लिया था। फिर एसीपी स्तर के एक अधिकारी ने सुल्तानविड थाने पर कब्जा कर अपना दफ्तर बना लिया। थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रवि शेर सिंह तरनतारन रोड के पास किसी इमारत में अपना थाना चला रहे है। हालांकि थाने का सारा स्टाफ अभी उसी इमारत में चल रहा है। सदर थाने पर भी होगा कब्जा
बताया जा रहा है कि कुछ एसीपी को पुलिस लाइन में दफ्तर स्थापित करने की जगह दी जा रही है। जिन्हें अभी तक कोई जगह नहीं अलॉट हुई, वह सदर थाने (इएसआइ अस्पताल) की इमारत में चल रहे थाने पर नजरे गढ़ाए बैठे हैं। इसी तरह मजीठा रोड थाना और कुछ पुलिस चौकियों पर भी एसीपी अपना दफ्तर और थाना प्रभारी अपना थाना सजा सकते हैं। सबसे बड़ा सवाल
सरकार ने पुलिस सिस्टम का चेहरा तो बदल दिया है। क्या मुलाजिमों की चाल और कामकाज का तरीका रफ्तार पकड़ पाएगा या नहीं? इस नई व्यवस्था से आम जनता को कोई सहूलियत होगी या नहीं? लोग स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगे या नहीं? अपराधियों के दिलो-दिमाग में वर्दी का खौफ होगा या नहीं? हालांकि सभी अधिकारी यही दावा कर रहे हैं कि इस बदलाव से जनता को काफी फायदा होगा।