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दो साल की मेहनत का तीसरे साल मिला फल

साल-2017 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए जुटे गुरु नगरी के करणबीर सिंह चौहान ने साल-2020 में 108वां रैंक पाकर शहर के साथ-साथ मां-बाप का नाम रोशन किया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 12:25 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 06:05 AM (IST)
दो साल की मेहनत का तीसरे साल मिला फल
दो साल की मेहनत का तीसरे साल मिला फल

हरदीप रंधावा, अमृतसर

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साल-2017 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए जुटे गुरु नगरी के करणबीर सिंह चौहान ने साल-2020 में 108वां रैंक पाकर शहर के साथ-साथ मां-बाप का नाम रोशन किया है। मजीठा रोड स्थित गोपाल नगर निवासी करणबीर सिंह चौहान ने बताया कि स्कूल व कॉलेज से पढ़ाई खत्म करने के बाद वह प्राईवेट नौकरी पर लग गए थे। इसके बाद साल-2017 में उन्होंने नौकरी छोड़कर यूपीएससी के तहत आयोजित होने वाली आइएएस की परीक्षा की तैयारी शुरू की थी। पहली बार जब उन्होंने परीक्षा देनी चाही, तो कोचिग लेने का समय निकल गया था, जिसके चलते वह सफल नहीं हो पाए। दूसरी बार परीक्षा की तैयारी घर में ही रहकर की, तो भी सफलता तक नहीं पहुंच पाया। तीसरी बार पारिवारिक सदस्यों के साथ-साथ अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के कहने के मुताबिक हार न मानने पर परीक्षा दी, तो आज परिणाम सबके सामने है। साल-2012 में बिछड़ी मां का आशीर्वाद है साथ

ब्राइट लैंड स्कूल से आठवीं और सीनियर स्टडी-दो से बाहरवीं पास करने के बाद दिल्ली टेक्निकल इंजीनिरिग यूनिवर्सिटी (डीटीईयू) से कंप्यूटर साइंस की डिग्री हासिल करने के बाद आइएएस की परीक्षा पास करने वाले करणबीर सिंह चौहान के पिता ने बताया कि उनका बेटा शुरू से ही दिव्यांग है। उसने अपनी कमजोरी को न देखते हुए युवा पीढ़ी को साकारात्म संदेश दिया है। दो बहनों के इकलौते भाई करणबीर सिंह चौहान का कहना है कि भले ही साल-2012 में उनकी मां सुरिदर कौर उन्हें अलविदा कह गई थीं, मगर मुझे आज भी लगता है कि मेरी मां यदि आज जिदा होती, तो मेरी सफलता को देखकर बहुत खुश होती। मैं आज भी उनका आशीर्वाद अपने साथ समझता हूं। बैंक से सीनियर मैनेजर के पद से रियाटर मेरे पिता मंजीत सिंह छीना ने मुझे प्रोफेशनल मार्गदर्शन किया है। एक बढि़या इंसान बनना मेरी मां की शिक्षा का परिणाम है, जोकि हरेक व्यक्ति को बनना चाहिए। इंटरनेट व सोशल मीडिया का करें सही इस्तेमाल

करणबीर सिंह चौहान का कहना है कि देश भर से आठ लाख लोगों ने परीक्षा में भाग लिया था। परीक्षा से पहले रास्ते में आई सभी कठिनाइयों को 108वां रैंक पाकर भूल गया हूं। भले ही सफलता पाने के लिए लोग इंटरनेट व सोशल मीडिया से दूर रहकर कई-कई घंटे पढ़ाई करने का दावा करते हैं, मगर इंटरनेट व सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करके व्यक्ति अपने जीवन में आगे भी निकल सकता है, जिसमें ध्यान केंद्रित पढ़ाई ही मददगार साबित हो सकती है।


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