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730 निजी स्कूलों ने नहीं भरा प्रोफार्मा, पत्र जारी

। कोरोना काल में फीसों के नाम पर अभिभावकों पर दबाव बनाने वाले निजी स्कूल को आंकड़ों के खेल में फंसाने के लिए शिक्षा विभाग सक्रिय हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 05:23 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 05:39 PM (IST)
730 निजी स्कूलों ने नहीं भरा 
प्रोफार्मा, पत्र जारी
730 निजी स्कूलों ने नहीं भरा प्रोफार्मा, पत्र जारी

अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर

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कोरोना काल में फीसों के नाम पर अभिभावकों पर दबाव बनाने वाले निजी स्कूल को आंकड़ों के खेल में फंसाने के लिए शिक्षा विभाग सक्रिय हो गया है। वर्ष 2016-17 में जारी हुए फीस रेगुलेटरी एक्ट के तहत जारी चार प्रोफार्मा ए, बी, सी व डी के दस्तावेजों को भरकर शिक्षा विभाग ने डीईओ कार्यालय में जमा करवाने के निर्देश स्कूल संचालकों को दिए हैं।

इस प्रोफार्मा में स्कूलों को जनरल फंड, अध्यापकों का वेतन, बैलेंस शीट तथा स्कूल की आय और खर्चा संबंधी आंकड़ा पेश करना होगा। फिलहाल 189 स्कूलों ने ही यह प्रोफार्मा डीईओ कार्यालय के सुपुर्द किया है। करीब 730 निजी स्कूल अब भी आंखें मूंदे बैठे हैं। उधर, जिला शिक्षा अधिकारी सेकेंडरी सतिदरबीर सिंह ने एक बार फिर स्कूलों को मोहलत देते हुए 31 जुलाई तक चारों प्रोफार्मा स्थानीय कार्यालय में जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने पत्र भी जारी कर दिया है।

कोरोना काल में फीस वसूली को लेकर निजी स्कूल अभिभावकों को परेशान कर रहे हैं। लॉकडाउन व क‌र्फ्यू के कारण अभिभावक आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। वहीं स्कूलों ने अपनी आय की पूर्ति के लिए अभिभावकों को मार्च, अप्रैल, मई, जून व जुलाई माह की फीस अदा करने को कहा है। कई स्कूल तो अभिभावकों से फीस के साथ साथ अन्य खर्चे भी जमा करवाने के लिए कह रहे हैं। शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों से निपटने के लिए उक्त खचरे का ब्यौरा मांगा है।

जिला शिक्षा विभाग ने चारों प्रोफार्मा भी जारी किए हैं। इसमें स्कूलों को संबंधित आंकड़े दर्ज करने के लिए कहा गया है। लेकिन स्कूल सरकारी दफ्तर को आंकड़े बताने में असहज महसूस कर रहे हैं। उनकी असहजता को विभाग भलीभांति भांप गया है। इसलिए विभाग ने निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए यह दांव खेला है।

फीस रेगुलेटरी एक्ट के ये हैं सदस्य

फीस रेगुलेटरी एक्ट वर्ष 2016-17 में लागू हुआ था। इसको लागू करवाने के लिए कमेटी का गठन डिवीजनल कमिश्नर की अगुआई में किया गया था। वर्ष 2019 में संशोधन के बाद स्थानीय स्तर पर ही चेयरमैन जिलाधीश की अगुआई में एक कमेटी का गठन कर दिया। जिसमें डीईओ सेकेंडरी को सदस्य के रूप में नामजद किया गया था।

लापरवाह स्कूलों पर कार्रवाई हो

आम आदमी पार्टी के नेता विशाल जोशी ने कहा कि फीस रेगुलेटरी एक्ट 2016 जनता के संघर्ष के बाद लागू हुआ था। इसको लागू करवाने की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों की है। लेकिन वह खुद ही इससे अनभिज्ञ हैं। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार की है कि लापरवाह स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।


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