एक साल में दो डिग्री, कौशल विकास होगा तो ध्यान भी भटकेगा
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की ओर से एक साल में दो अलग-अलग डिग्री कोर्स एक साथ करने को मंजूरी दी गई है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की ओर से एक साल में दो अलग-अलग डिग्री कोर्स एक साथ करने को मंजूरी दी गई है। कहा गया है कि इससे विद्यार्थियों का कौशल विकास होगा। ज्यादातर अध्यापक भी इसे सही फैसला मान रहे हैं, लेकिन कुछ अध्यापकों का तर्क है कि कौशल विकास के साथ-साथ विद्यार्थियों का ध्यान भी भटक सकता है। किसी एक कोर्स पर पूरी तरह से ध्यान ना दे सकने से वह कोर्स उनके लिए अधूरा रह जाएगा। यह पूरी तरह से फिजूल है। भले ही इस प्रस्ताव को अभी अमल में लाने के लिए नोटिफिकेशन जारी होना बाकी है, मगर कइयों का कहना है कि इस फैसले पर दोबारा विचार जरूरी है। विद्यार्थियों का समय बचेगा: डॉ. अमित कोत्स गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) के एजुकेशन विभाग के हेड डॉ.अमित कोत्स ने कहा, यह बहुत ही सराहनीय फैसला है। इससे विद्यार्थी का कौशल विकास होगा। अगर किसी विद्यार्थी में काबिलियत है और वह एक समय में दो कोर्स या डिग्री कर सकता है तो बहुत ही अच्छी बात है। इससे समय की भी बचत होगी। विद्यार्थी और फैकल्टी को इसका फायदा लेना चाहिए। अगर विद्यार्थी एड ऑन डिग्री या कोर्स कर रहा है तो कुछ भी गलत नहीं है। एक कोर्स पर फोकस करना जरूरी: डॉ.जगदीप सिंह श्री गुरु तेग बहादुर कालेज के डॉ. जगदीप सिंह ने कहा, यह गलत फैसला है। विद्यार्थी को केवल एक कोर्स पर ही फोकस करने की जरूरत है। इस तरह के नियमों को बनाकर गंभीर अध्ययन से हटने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। साथ ही इससे डिग्रीधारी बेरोजगारों की संख्या में इजाफा होगा। पहले ही कठिन डिग्री या विषय संबंधी लगातार समय बढ़ाया जा रहा है। विद्यार्थी पूरी तरह से अपने लक्ष्य के प्रति भ्रमित रहेंगे। यह तय नहीं कर पाएंगे कि आखिर वह करना क्या चाहते हैं। एड ऑन कोर्स में कुछ गलत नहीं: डॉ. बेदी फार्मास्यूटिकल विभाग के हेड डॉ.प्रीत महिन्द्र सिंह बेदी ने कहा, अगर सरकार ने यह फैसला लिया है तो बहुत ही सही है। अब समय पूरी तरह से ऑनलाइन का है। अगर कोई विद्यार्थी एक समय पर दो डिग्री कर सकता है तो यह उसका अपना कौशल है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। कई बार विद्यार्थी को लगता है कि वह समय रहते हुए एड ऑन कोर्स को भी कर ले तो बेहतर होगा। ऐसे में यह सही फैसला है। इससे न केवल विद्यार्थी बल्कि फैकल्टी और अध्यापकों को भी फायदा मिलेगा।