जीएसटीआर-3 बी : केंद्र के स्पष्टीकरण के बाद भी जारी हो रहे नोटिस
। जीएसटीआर-3 बी पर सरकार के स्पष्टीकरण के बाद भी व्यापारियों को नोटिस जारी होने शुरू हो गए हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
जीएसटीआर-3 बी पर सरकार के स्पष्टीकरण के बाद भी व्यापारियों को नोटिस जारी होने शुरू हो गए हैं। नोटिस जारी होने पर व्यापारी वर्ग खासा परेशान है। क्योंकि सरकार की ओर से व्यापारियों की तरफ करोड़ों रुपये का ब्याज निकालना शुरु कर दिया दिया है। इसके तहत व्यापारियों को उनकी बनती रिटर्न के मुताबिक ब्याज जमा करवाने के नोटिस भेजे जा रहे हैं। हालांकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम की ओर से ट्वीट किया गया था कि केवल नेट अमाउंट पर ही ब्याज वसूला जाएगा। मगर इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया हैं।
व्यापारी वर्ग इसलिए भी परेशान है कि रिफंड अमाउंट को एडजस्टमेंट करने के लिए कोई भी विडो सर्वर में कोई नहीं रखी गई हैं। क्योंकि व्यापारियों की भरी गई रिर्टन के रिफंड लेने भी बाकी होते हैं। जिन्हें वह लोग 3 बी में एडजस्टमेंट करना चाहते हैं। मगर ऐसा कोई भी प्रावधान न होने के कारण समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं। गौर हो कि जीएसटीआर 3 बी हर महीने 20 तारीख को भरनी होती है। मगर ज्यादातर व्यापारी इसे समय पर नहीं भर पाते हैं। ऐसे में सरकार ने बनती रिटर्न पर ब्याज वसूलना शुरु कर दिया है। जबकि पहले केवल जुर्माने का प्रावधान होता था।
मीटिग कर सौंपा जाएगा मांग पत्र :खन्ना
जीएसटी प्रैक्टिशनर एसोसिएशन के पूर्व उपप्रधान विकास खन्ना ने बताया कि सरकार की ओर से ग्रोस टैक्स लायबिलिटी पर ब्याज वसूला जा रहा है। जबकि हाई कोर्ट भी इस संबंध में आदेश जारी कर चुका है कि केवल नेट टैक्स लायबिलिटी पर ही ब्याज वसूला जाना चाहिए।
इस बात को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम ने भी स्वीकार किया हैं। बावजूद इसके व्यापारियों को परेशान किया जा रहा हैं। इस संबंधी उनकी एसोसिएशन मीटिग कर अधिकारियों को मांग पत्र भी सौंपने वाली है। ताकि नेट टैक्स लायबिलिटी को लागू करवाया जाए और साथ ही रिफंड को एडजस्ट करने के लिए भी एक्ट में सुधार किया जा सके। व्यापारियों को केवल परेशान किया जा रहा: खोसला
फोकल प्वाइंट इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रधान सुदीप खोसला ने कहा कि जो व्यापारी माल खरीदता है। उसे हर महीने रिटर्न भरनी होती है। जबकि बेचने वाले को तीन महीने की छूट दी गई हैं। ऐसे में दोनों की टैक्स रिर्टन मैच नहीं हो पाती और व्यापारी समय पर अपना रिफंड क्लेम नहीं कर पाता हैं। इस कारण सरकार की ओर से लगातार ब्याज के नोटिस जारी किए जा रहे हैं। जिससे व्यापारियों को पूरी तरह से परेशान किया जा रहा है। इसलिए जरूरी हैं कि एक्ट में सुधार किया जाए न कि इंडस्ट्री को खत्म करने की तरफ काम किया जाए।