16-17 जुलाई की रात भारत में दिखेगा खण्डग्रास चंद्रग्रहण
। भारत में 16 व 17 जुलाई की रात्रि को खंडग्रास चंद्रग्रहण दिखेगा। यह ग्रहण एक बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
भारत में 16 व 17 जुलाई की रात्रि को खंडग्रास चंद्रग्रहण दिखेगा। यह ग्रहण एक बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा। ग्रहण का मध्यकाल 3 बजकर 1 मिनट, जबकि समापन काल 4 बजकर 30 मिनट रहेगा। 2 घंटे 59 मिनट की अवधि तक रहने वाले इस ग्रहण समस्त भारत में दिखाई देगा।
दरअसल, 16 जुलाई की शाम 4 बजकर 31 मिनट पर ग्रहण का सूतक प्रारंभ हो जाएगा।
खण्डग्रास चंद्रग्रहण का राशियों पर क्या प्रभाव रहेगा, इसके विषय में ज्योतिषाचार्य अश्विनी शर्मा शास्त्री ने विस्तारपूर्वक जानकारी दी है। उनके अनुसार 16 जुलाई को सूतक शुरू होते ही दूध, दही, आचार, चटनी, मुरब्बे में कुशा डाल देनी चाहिए। इससे ये दूषित नहीं होते। यह ग्रहण धनु और मकर राशि एवं उत्तराषाडा नक्षत्र में लगेगा। इस कारण इस नक्षत्र और इन राशियों में उत्पन्न जातकों के लिये विशेष कष्टप्रद है। ग्रहण मेष राशि के लिए शरीर कष्ट, वृष के लिए चिन्ता/सन्तान कष्ट, मिथुन के लिए साधारण, कर्क के लिए पति/पत्नी में कलह, सिंह के लिए संघर्षकारी, कन्या के लिए खर्च अधिक, तुला के लिए कार्य सिद्धि व लाभ, वृश्चिक के लिए धन लाभ, धनु के लिए धन हानि, चोट, व्यर्थ यात्रा, मकर के लिए शरीर कष्ट, कुम्भ के लिए धन हानि, मीन के लिए धन लाभ और उन्नति कारक रहेगा। ग्रहणकाल में मूर्ति स्पर्श, सोना, खाना आदि निषेध
ज्योतिषाचार्य अश्विनी शर्मा शास्त्री के अनुसार ग्रहण के सूतक और ग्रहणकाल में मूर्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना पीना, सोना और मैथुन वर्जित है। वृद्ध, रोगी, बालक, गर्भवती स्त्रियों को यथानुकूल दवाई इत्यादि लेने में परहेज नहीं है। गर्भवती स्त्रियों को ग्रहणकाल में सब्जी काटना, तीखे औजार का प्रयोग करना, उत्तेजित कार्य करने से परहेज करना चाहिए। धार्मिक ग्रन्थों का पाठ करना चाहिए। श्रावण संक्रांति और गुरु पूर्णिमा के दिन लगने वाले इस ग्रहण का विशेष महत्व है। ग्रहण काल में स्नान, तीर्थस्नान, दान, जप-पाठ, ध्यान और हवनादि शुभ कार्य करना विशेष लाभप्रद होता है। इस समय में अपनी राशि और अशुभ ग्रहों के अनुसार राशि स्वामी के मंत्र और ग्रहों की सामग्री का दान अपनी सामथ्र्यानुसार किया जा सकता है। ग्रहण लगने से पहले और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना जरूरी है। धूप बत्ती करना निषेध है। अपने इष्टदेव और गुरु का स्मरण और संकल्प करके किसी भी मंत्र का जाप किया जा सकता है। इस ग्रहण में ॐ नम: शिवाय, मृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा, शिव स्तोत्र, मंगल के बीज मंत्र, लक्ष्मी चालीसा, सरस्वती चालीसा, सन्तान प्राप्ति/पुत्र प्राप्ति या अनकय किसी भी मंत्र का जाप करके सिद्ध किया जा सकता है। ग्रहण में समय का महत्व है, संख्या का नहीं। विशेष प्रयोग
कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें चांदी का सिक्का डालकर अपना मुंह देखकर मृत्युंजय मंत्र पढ़ें और ग्रहण के अन्त में दान करें। ग्रहण में हरिद्वार, प्रयाग, वाराणसी आदि तीर्थ स्थानों पर स्नानादि का विशेष महात्म्य होता है अन्यथा अपने क्षेत्र के धार्मिक सरोवर में स्नान करना भी श्रेयस्कर है।