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ट्रैफिक कर्मियों की मनमानी पर नकेल कसें अधिकारी

पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ डीजीपी दिनकर गुप्ता व एडीजीपी ट्रैफिक शरद चौहान को पत्र लिखा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 11:58 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 06:23 AM (IST)
ट्रैफिक कर्मियों की मनमानी पर नकेल कसें अधिकारी
ट्रैफिक कर्मियों की मनमानी पर नकेल कसें अधिकारी

जागरण न्यूज नेटवर्क, अमृतसर : पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ डीजीपी दिनकर गुप्ता व एडीजीपी ट्रैफिक शरद चौहान को पत्र लिखा है।

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पंत्र में उन्होंने कहा कि पंजाब के वरिष्ठतम पुलिस अधिकारी यह ध्यान दें कि ट्रैफिक नियंत्रण के नाम पर जनता को किस तरह परेशान किया जाता है, लूटा भी जाता है। पूरे पंजाब में कहीं भी कभी भी वाहन चालकों को रोक कर कागजों की चेकिग के नाम पर ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी चेकिग कम परेशानी ज्यादा देते हैं। आप भी जानते हैं कि इस काम में रिश्वत बहुत चलती है। दूसरे प्रांतों या दूसरे जिलों से आने वाली गाड़ियों को ज्यादा परेशान किया जाता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि एक ही दिन में चार-चार स्थानों पर वाहन चालक रोके जाते हैं। समय भी नष्ट होता है और परेशानी ज्यादा होती है। मेरा यह सुझाव है कि मौके पर ही जुर्माना लिया जाए, अगर कोई गलती की गई है। किस कमी के लिए क्या जुर्माना लेना है यह मीडिया द्वारा जनता को पहले ही बता दिया जाए। सबसे जरूरी यह है कि पुलिस कर्मी सभी ट्रैफिक नियमों का पालन करें। मैंने विदेश में कहीं देखा था कि वर्ष में एक बार सभी वाहन चालक अपने दस्तावेजों की इंस्पेक्शन करवा लेते हैं और विभाग की ओर से एक ऐसा स्टिकर मिल जाता है जो गाड़ी के ऊपर लगा रहता है। उसके बाद जगह-जगह रोक कर चालान नहीं झेलने पड़ते। मैं शिकागो न्यूयॉर्क आदि कुछ अमेरिका के शहरों में घूमकर आई हूं। सिर्फ एक बार पुलिस को एक उस गाड़ी का पीछा करते देखा जो अपनी लाइन बदलकर बहुत तेज जा रही थी। पंद्रह दिन में दूसरी ऐसी घटना कोई नहीं देखी। यह ठीक है कि वहां लोग स्वयं ही नियम का पालन अधिकतर करते हैं, पर अपने प्रदेश में नियम पालन कोई योग्यता नहीं, जिसको ट्रैफिक कर्मी चाहे रोक सकते हैं, परेशान कर सकते हैं। इससे पूर्व भी मैंने पिछले वर्षो में डीजीपी तथा ट्रैफिक के उच्चाधिकारियों से यही निवेदन किया, पर ऐसा लगता है कि पुराना रंग ढंग बदलने को हमारे देश की पुलिस तैयार नहीं है।


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