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बाबा बकाला साहिब में सीवरेज सिस्टम और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हुआ फेल

। कस्बे में गंदे पानी की निकासी नहीं हो पा रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 12:28 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 06:26 AM (IST)
बाबा बकाला साहिब में सीवरेज सिस्टम  और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हुआ फेल
बाबा बकाला साहिब में सीवरेज सिस्टम और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट हुआ फेल

संवाद सूत्र, बाबा बकाला साहिब

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कस्बे में गंदे पानी की निकासी नहीं हो पा रही है। इसके लिए व‌र्ल्ड बैंक की सहायता से दस साल पहले 2009 में बाबा बकाला में सीवरेज डाला गया था और एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया गया था। लेकिन सरकारों की लापरवाही की वजह से यह दोनों प्रोजेक्ट बुरी तरह से फ्लॉप हो चुके हैं। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का मकसद सीवरेज के गंदे पानी को इस ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए साफ करके खेतों तक पहुंचाना था, लेकिन यह मकसद पूरा नहीं हो पाया। साफ पानी खेतों तक पहुंचाना तो दूर, वर्तमान में ट्रीटमेंट प्लांट ऊपर तक भरा रहता है जिसकी बदबू ने आस पास रहते लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इससे बीमारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है।

बता दें कि जिस ठेकेदार को इसको वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी, वह इस प्रोजेक्ट को तीन साल भी ठीक से नहीं चला पाया। इसके बाद एक साल तत्कालीन सरपंच गुरमीत सिंह, उसके बाद परमिदरजीत सिंह और अब सरपंच सरबजीत सिंह संधू इसे जैसे-तैसे बड़ी मुश्किल से चला रहे हैं। दैनिक जागरण ने 2009 से लेकर अब तक इसका रख-रखाव करने वाले सरपंचों से सीवरेज और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर पेश आ रहीं मुश्किलों पर बातचीत की। सीवरेज ब्लाक रहने से परेशानी बढ़ी बाबा बकाला साहिब नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी की तपस्थली है और जब 2009 में यहां सीवरेज डाला गया तो इस गुरु नगरी की कुल आबादी नौ हजार के आसपास थी। 2019 में बाबा बकाला की आबादी बढ़ कर 14 हजार को पार कर चुकी है। अब कई नई कालोनियां भी बाबा बकाला के आसपास बन चुकी हैं। यह जानते हुए भी कि आबादी तो हर रोज बढ़ती जाएगी, फिर भी गलियों में चार इंच की पाइप और मेन लाइन के लिए आठ व दस इंच की पाइप डाली गई। जिस कारण सीवरेज ब्लॉक ही रहता है। इसके बाद जब कनेक्शन लेने का समय आया तब भी लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। नया कनेक्शन लेने के लिए पहली शर्त यह रखी गई कि हर घर में सीवरेज टैंक बनाया जाए, अधिकतम घरों में तब सीवरेज टैंक नहीं थे उस समय भी लोगों को पांच से दस हजार रुपये खर्च कर सीवरेज टैंक बनाने पड़े। सीवेरज की सफाई के लिए उपलब्ध नहीं हैं उपकरण इस सीवरेज को चलाने के लिए जिस ठेकेदार को ठेका दिया गया था वह तीन साल तक काम कर पाया। इसके बाद उस समय के सरपंच गुरमीत सिंह और फिर परमिदरजीत सिंह और अब सरपंच सरबजीत सिंह बड़ी मुश्किल से काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक भी उनके पास सीवरेज की सफाई के लिए कोई मशीन या अन्य कोई उपकरण नहीं है। जिन छोटी गलियों में चार इंच के पाइप डाले गए थे, वहां पर तो बांस से भी सफाई बड़ी मुश्किल से हो रही है। लोगों को पंचायत को पूर्ण सहयोग देना चाहिए : सरपंच बाबा बकाला साहिब के सरपंच सरबजीत सिंह संधू के मुताबिक कुल आबादी में से 50 फीसद लोग पानी-सीवरेज का मासिक बिल देते हैं और 50 प्रतिशत लोग बिल नहीं देते। जिस कारण सफाई और मेंटीनेंस का काम धीमी गति से चलता है, महीने भर में जो पैसे इकट्ठा होता हैं उनमें से कुछ पैसे बिजली का बिल और कुछ सफाई कर्मियों की तनख्वाह में चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि शहर निवासी ईमानदारी से सीवरेज-पानी का बिल दें तो हम इसकी सफाई के लिए कर्मचारी बढ़ाएंगे और पर्याप्त मशीनें भी खरीद पाएंगे। यह मेरे लिए जोखिम भरा कार्य था : परमिदरजीत सिंह

पूर्व सरपंच परमिदरजीत सिंह ने बताया कि उनके कार्यकाल के समय सीवरेज सिस्टम को चलाना बड़ा जोखिम भरा कार्य था क्योंकि दिन ब दिन बाबा बकाला साहिब की आबादी बढ़ती जा रही थी। सीवरेज प्रणाली पर बोझ बढ़ने लगा था, लेकिन गलियों में डाले गए चार इंच के पाइप ब्लॉक ही रहते थे फिर भी मैंने अपने साथियों की सहायता से सीवरेज की सफाई कराई और इसे बंद नहीं होने दिया। सीवरेज डालते समय पंचायत का कोई रोल नहीं था : गुरमीत सिंह

जिस समय यह सीवरेज शहर में डाला जा रहा था उस समय के सरपंच गुरमीत सिंह पनेसर के मुताबिक यह सीवरेज बाबा बकाला के बाजार और गलियों में डाला जा रहा था। उस समय हमारी पंचायत ने सुपरविजन ही की थी बाकी सभी काम व‌र्ल्ड बैंक और पंजाब सरकार ने करवाया था। यह सीवरेज स्मालबोर है कमर्शियल नहीं। इस सीवरेज में उस समय शहर की कुल आबादी और 1628 घरों के मुताबिक 4-6-8-12-18 व 24 इंच के पाइप डाले गए थे। पनेसर के मुताबिक सीवरेज पिछले सरपंच की गलतियों के कारण बंद हुआ था लेकिन अब यह बिल्कुल सही चल रहा है।


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