प्रचार में पुरी के लिए आए दिग्गज, औजला ने खुद ही संभाला मोर्चा
अमृतसर लोकसभा सीट पर शुक्रवार शाम को चुनावी शोर थम गया।
विपिन कुमार राणा, अमृतसर
अमृतसर लोकसभा सीट पर शुक्रवार शाम को चुनावी शोर थम गया। यहां कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला और भाजपा-शिअद गठबंधन के हरदीप सिंह पुरी में सीधी टक्कर है। वजूद बचाने के लिए आम आदमी पार्टी के कुलदीप सिंह धालीवाल और पीडीए की बीबी दसविदर कौर के अलावा 26 आजाद प्रत्याशी मैदान में हैं। अभी तक प्रचार की खास बात यह रही कि भाजपा प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री पुरी की चुनावी नैय्या पार लगाने को शहर में दिग्गजों की आमद रही, वहीं औजला ने अपने व स्थानीय नेताओं-वर्करों के बूते पर खुद ही चुनावी मोर्चा संभाले रखा।
अमृतसर से प्रत्याशी की घोषणा में कांग्रेस ने बाजी मारते हुए 2 अप्रैल को औजला का अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। 19 मई को होने वाले चुनाव के लिए औजला की 48 दिन पहले हुई घोषणा की वजह से औजला को प्रचार का भी लंबा सफर तय करते हुए काफी समय मिला। भाजपा ने 21 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री पुरी को अमृतसर से अपना प्रत्याशी बनाया। 28 दिन के चुनावी सफर में उतरने के लिए पुरी अमृतसर पहुंचे और अपने तामझाम के साथ उन्होंने चुनावी तैयारी शुरू कर दी। शुरूआती दौर में औजला ने 23 अप्रैल को नामांकन वाले दिन शक्ति प्रदर्शन करते हुए रोड शो निकाला। उसमें मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने आना था, पर तबीयत खराब होने की वजह से वह पहुंच नहीं सके। औजला ने सारे दिग्गज कांग्रेसियों को एक मंच पर लाते हुए एकजुटता की हुंकार भरी। 26 को पुरी ने नामांकन दाखिल किया। स्थानीय दिग्गज नेताओं के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के अलावा कई बड़े नेता रोड शो में शामिल हुए। पुरी ने भी इसमें भाजपा—शिअद की ताकत दिखाने का काम किया।
बड़े चेहरों के बिना भी औजला के हौसले रहे बुलंद
लोकसभा चुनाव में भाजपा-शिअद प्रत्याशी पुरी क्योंकि केंद्र सरकार में शहरी विकास मंत्री हैं, इसलिए उनके लिए दिग्गजों का भी खूब जमावड़ा लगा। पुरी के लिए लोगों से वोट मांगने 8 मई को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, 12 मई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, 15 को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी व पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर, 15 को ही राजगायक हंसराज हंस उनके चुनाव के लिए डटे रहे, वहीं 16 को स्टार कैम्पेनर सनी देयोल ने पुरी के पक्ष में रोड शो निकाला। दूसरी तरफ औजला को अपनों पर ही विश्वास रहा। कैबिनेट मंत्री सुखबिदर सिंह सुखसरकारिया, कैबिनेट मंत्री ओपी सोनी, पंजाब वेयरहाउसिग कारपोरेशन के चेयरमैन राजकुमार वेरका के अलावा उन्हें सभी विधायकों व वर्करों व परिवार के सदस्यों का पूरा साथ मिला। यही वजह रही कि किसी बड़े चेहरे के न आने के बावजूद उनके हौसले बुलंदी पर रहे।
रैलियों, पब्लिक मीटिग से आंकी ताकत
औजला व पुरी ने अब तक हुई रैलियों व पब्लिक मीटिग के जरिये अपनी ताकत आंकी। औजला ने टिकट मिलने के बाद से ही पब्लिक मीटिगों का सिलसिला शुरू कर दिया था। यही वजह रही कि वह रोज 14 से 18 पब्लिक मीटिग में शामिल होते रहे। उनके परिवार के सदस्यों के अलग सामांतर कार्यक्रम चलते रहे। ऐसा ही आलम पुरी के साथ भी रहा। चुनावी रण में उतरने के बाद से ही उन्होंने मोर्चा संभाला और दिन में बीस-बीस कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे। उनकी पत्नी भी सामांतर महिलाओं की टीमों के साथ मैदान में डटी रही।
शुरूआत में दोनों को ही झेलनी पड़ी मुश्किलें
औजला को टिकट देने का स्थानीय नेता विरोध कर रहे थे। यही कारण रहा कि शुरूआती दौर में उन्हें थोड़ी मुश्किल आई। 12 अप्रैल को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने सभी को बिठाकर एकजुटता से डटने को कहा, जिसके बाद सारा सिस्टम लाइन पर आ गया। पुरी को अमृतसर आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष श्वेत मलिक के नेतृत्व में भाजपा और शिअद नेताओं को पूरा समर्थन मिला। पार्टी की गुटबंदी चुनाव के अंतिम चरण तक हावी रही। वरिष्ठ नेताओं ने भी इसे महसूस किया, पर आखिर तक कोई समाधान नहीं निकल सका।
आप और पीडीए ने भी झोंके रखी ताकत
दूसरी तरफ चुनावी रण में उतरे आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कुलदीप सिंह धालीवाल फरवरी से ही चुनाव मैदान में डटे रहे। धालीवाल के पक्ष में आप पंजाब कन्वीनर भगवंत मान के अलावा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मुनीश सिसोदिया ने रोड शो निकालते हुए उनके पक्ष में मतदाताओं को लामबंद करने का प्रयास किया। पीडीए प्रत्याशी बीबी दसविदर कौर ने भी देहात से लेकर शहर तक चुनावी सभाएं करते हुए मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का काम किया।
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