गुंडातत्वों के बीच फंस गया था परिवार, भागकर बचाई अपनी जान
नवनियुक्त एसएसपी ध्रुव दहिया जहां बुधवार की सुबह फोर्स को उनकी ड्यूटी और काम करने का तरीका समझा रहे थे। वहीं दूसरी तरफ पुलिस कंट्रोल रूम पर की गई एक काल ने पुलिस प्रशासन की कलई खोल दी। जहां अफसर बता रहे थे कि कंट्रोल रूम पर फोन करने से पुलिस पांच से दस मिनट के भीतर घटना स्थल पर पहुंच जाएगी।
जासं, अमृतसर : नवनियुक्त एसएसपी ध्रुव दहिया जहां बुधवार की सुबह फोर्स को उनकी ड्यूटी और काम करने का तरीका समझा रहे थे। वहीं दूसरी तरफ पुलिस कंट्रोल रूम पर की गई एक काल ने पुलिस प्रशासन की कलई खोल दी। जहां अफसर बता रहे थे कि कंट्रोल रूम पर फोन करने से पुलिस पांच से दस मिनट के भीतर घटना स्थल पर पहुंच जाएगी। लेकिन ब्लू वैली कॉलोनी के मनोज महेंद्रू के सहायता मांगे जाने पर पुलिस नहीं पहुंची। बार-बार कंट्रोल रूम पर फोन किया गया। जवाब मिला कि वह संदेश पेट्रोलिग पार्टी या फिर घटना स्थल से संबंधित थाने की पुलिस को भेज सकते हैं।
जब कंबो पुलिस से संपर्क किया गया तो ड्यूटी अफसर शशपाल सिंह ने बताया कि वह पौना घंटा अभी नहीं पहुंच सकते। किसी अन्य झगड़े को सुलझाने में व्यस्त हैं। पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह, डीजीपी और आइजी से इंसाफ की गुहार लगाई है।
मनोज महेंद्रू ने बताया कि वह कुछ साल पहले विदेश से लौटे हैं। पत्नी दीपिका और आठ साल के बेटे के साथ कुछ समय पहले कंबो थानांतर्गत पड़ती ब्लू वैली कॉलोनी में फ्लैट खरीदा था। कुछ लोगों के साथ उनका विवाद चल रहा है। इस बाबत उन्होंने एसएसपी को शिकायतें भी कर रखी है। बुधवार को वह परिवार सहित घर पर थे। इस बीच कुछ गुंडातत्वों ने घर के बाहर पहुंच कर उत्पात मचाना शुरू कर दिया। उन्होंने तुरंत पुलिस के 9780003387 पर फोन कर सहायता मांगी। पौने दो घंटे तक उन्हें पुलिस से कोई रिस्पॉस नहीं मिला। जब उन्होंने उक्त नंबर पर दोबारा बात की तो वहां से मुलाजिम ने बताया कि वह उनका संदेश पीसीआर के गश्ती दल या फिर संबंधित थाने को भेज सकते हैं। उनके पास कुछ ही देर में पेट्रोलिग पार्टी या फिर कंबो थाने की पुलिस पहुंचेगी। लेकिन 20 मिनट बाद भी उन्हें पुलिस की तरफ से कोई संदेश नहीं मिला। बार-बार फोन करने पर कंट्रोल रूम वालों ने उन्हें ड्यूटी अफसर शशपाल सिंह का मोबाइल 9780003510 दिया गया। ड्यूटी अफसर ने उन्हें बताया कि वह पौना घंटा किसी अन्य झगड़े में मशरूफ हैं। इतनी जल्दी नहीं पहुंच पाएंगे। इसके बाद वह किसी तरह से परिवार के साथ वहां से निकले और रिश्तेदारों के घर पहुंच कर शरण ली।