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शहर में 128 जर्जर इमारतें, बारिश में कभी भी हो सकती हैं जमींदोज

नगर निगम का एमटीपी विभाग अपनी कारगुजारी की वजह से हमेशा ही सुर्खियों में रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 12:11 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 12:11 AM (IST)
शहर में 128 जर्जर इमारतें, बारिश में कभी भी हो सकती हैं जमींदोज
शहर में 128 जर्जर इमारतें, बारिश में कभी भी हो सकती हैं जमींदोज

विपिन कुमार राणा, अमृतसर :

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नगर निगम का एमटीपी विभाग अपनी कारगुजारी की वजह से हमेशा ही सुर्खियों में रहा है। मानसून शुरू होने से पहले डिप्टी कमिश्नर ने शहर की जर्जर इमारतों का ब्यौरा निगम से मांगा था, पर विडंबना ही कहेंगे कि इतने गंभीर मामले पर भी विभागीय अधिकारियों को गंभीरता नहीं दिखाई। इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए एमटीपी परपाल सिंह ने विभागीय सभी एटीपीज व बिल्डिग इंस्पेक्टरों को शोकॉज नोटिस जारी करते हुए इस बाबत तीन दिनों में जवाब देने को कहा है।

बताते चलें कि डिप्टी कमिश्नर कार्यालय ने 12 जून को एमटीपी विभाग को लिखे गए पत्र में शहर में स्थित पुरानी व खतरनाक जर्जर इमारतों का ब्यौरा मांगा था। 27 जून को एमटीपी विभाग ने सभी एटीपीज व बिल्डिग इंस्पेक्टरों से इस बाबत रिपोर्ट देने को कहा था लेकिन किसी ने बीस दिनों बाद भी रिपोर्ट ने दिए जाने पर एमटीपी ने इसे काम के प्रति कोताही करार देते हुए तीन दिनों में स्पष्टीकरण देने को कहा। नोटिस में साफ शब्दों में कहा गया है कि जवाब न देने पर माना जाएगा कि वह इस बाबत कुछ नहीं कहना चाहते और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए मामला उच्चाधिकारियों के पास भेजा जाएगा।

20 की जगह 16 इंस्पेक्टर कर रहे काम

विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों पर काम का बोझ भी कम नहीं है। एमटीपी विभाग में बिल्डिग 20 इंस्पेक्टरों, ड्राफ्ट्लसमैन व सरवेयर की जरूरत है। वर्तमान में विभाग के पास छह ही बिल्डिग इंस्पेक्टर है, जो पांचों हलकों का काम देखते है। उनका सहयोग ड्राफ्टमेन व सर्वेयर कर रहे है। इसे में वर्कलोड के चलते उनका अपना भी काम पहले से ही प्रभावित हो रहा है। पंजाब सरकार द्वारा बिल्डिग इंस्पेक्टरों की ड्यूटी मोबाइल टावरों के सर्वे पर भी लगाई हुई है। सरकार टावर से भी रेवेन्यू में जुगाड़ में है। ऐसे में वर्कलोड के चलते विभागीय कर्मचारी भी काम नहीं कर पा रहे है।

खंडहर हो चुकी इमारतों में रहते हैं किरायेदार, नीचे चल रही दुकानें

साल 2018 में बरसाती मौसम शुरू होने से पहले एमटीपी द्वारा किए गए सर्वे में शहर में 128 के करीब जर्जर इमारतें थीं, जो कभी भी जमींदोज हो सकती हैं। निगम द्वारा 2013 में किए गए सर्वे के मुताबिक 143 जर्जर इमारतें थी, जो घटकर 114 रह गई थीं। विभाग के पास 14 इमारतों की और शिकायतें पहुंची हैं, जिसके बाद यह संख्या 128 हो गई है। अधिकांश जर्जर मकान वॉल सिटी में हैं। ये जर्जर मकान सौ साल से भी पुराने हैं। कई मकानों में लोग किरायेदार के तौर पर रहते हैं तो आधे से अधिक इमारतें बंद भी हैं। इसके अलावा कुछ धर्मशाला भी हैं जो अब जर्जर हो चुके हैं। इनमें ताला जड़ दिए गए हैं। पर इन जर्जर इमारतों के नीचे दुकानें चल रही हैं।

बरसातों में ही होती है कार्रवाई की कसरत

मानसून से पहले निगम कसरत वैसे भी कागजी खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं है। एमटीपी विभाग मानसून के दौरान हर साल सर्वे के काम में जुट जाता है। सर्वे मुकम्मल करने के बाद कुछ लोगों को नोटिस भी भेज दिया जाता है। जर्जर इमारतों को गिराने के लिए निगम की ओर से इक्के-दुक्के प्रयास भी हुए तो कभी किरायेदार व मकान मालिकों के बीच के विवाद की वजह से कभी कानून उनके रास्ते की अड़चन बन जाता है तो कभी लोग।

सर्वे रिपोर्ट मांगी है : एमटीपी

शहर में जर्जर इमारतें हैं, जिन पर कार्रवाई के लिए सर्वे का काम किया जाना था। एमटीपी विभाग के एटीपीज और बिल्डिग इंस्पेक्टरों को सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा गया है ताकि उन्हें नोटिस देने के बाद कार्रवाई शुरू की जा सके। विभागीय एटीपीज व बिल्डिग इंस्पेक्टरों द्वारा रिपोर्ट व डाटा न देने पर उन्हें शोकॉज नोटिस जारी किया गया है। जर्जर इमारतों की वजह से कोई दुर्घटना न हो, इसकी विभाग पूरी चिता कर रहा है और जल्द ही डाटा तैयार कर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

-परमपाल सिंह, एमटीपी।


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