योगी आदित्यनाथ के मंत्री मोहसिन रजा ने PFI की तुलना SIMI से की, ISI से भी संबंध होने की आशंका जताई
CAA Protest in UP अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही दूसरा रूप बताया है।
लखनऊ, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन में करीब दो दर्जन लोगों की मौत के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) से जुड़े 25 लोगों की गिरफ्तारी के बाद अब उत्तर प्रदेश में इसके खिलाफ माहौल बनने लगा है। योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने इसको सिमी का ही दूसरा रूप बताने के साथ इसके आइएसआइ से भी संबंध होने की आशंका जताई।
उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही दूसरा रूप बताया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पीएफआई लोगों को कट्टरवाद की तरफ ले जा रहा है और इसका अगला कदम आतंकवाद है। इसमें भी संदेह नहीं है कि इसका लिंक पाकिस्तान की आइएसआइ से होगा। मोहसिन रजा ने बताया कि पीएफआइ लोगों को कट्टरवाद की तरफ ले जा रहा। अगर इसकी गहन जांच हुई तो आइएसआइ से भी लिंक निकलेंगे। हमारी सरकार ने इसे पहचान लिया है।
उन्होंने कहा कि पहले भी योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस तरह से संगठनों पर कार्रवाई की है। इस बार पीएफआई पर न सिर्फ कड़ी कार्रवाई हो रही है बल्कि इस तरह की सोच को भी कुचल जाएगा। उन्होंने कहा कि पीएफआई और सिमी दोनों एक हैं। सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद जो लोग इस संगठन में शामिल थे, उन लोगों ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) बना लिया है। अब यह लोग युवाओं को कट्टरपंथी बनाना चाहते हैं और उन्हें आतंकवाद की ओर धकेलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सिमी के लोग पकड़े भी गए, इसलिए हमारी सरकार इसे सख्ती से निपटेगी। अगर पीएफआई की ठीक से जांच कराई जाए तो आइएसआइ से भी इसके लिंक निकलेंगे। हम लोग इसकी तह तक जाएंगे।
मोहसिन रजा ने कहा अब यह देखना होगा कि कौन-कौन सी देश विरोधी ताकतें इस संस्था के बैनर तले देश को तोडऩे का काम कर रही हैं। तब उन्होंने बोर्ड के सदस्य सैयद कासिम रसूल पर बहुत बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि वह प्रतिबंधित संगठन सिमी के अध्यक्ष रहे हैं।
एएमयू छात्र बोले-पीएफआइ के साथ हैं हम, केशव प्रसाद के बयान की निंदा
उत्तर प्रदेश मे नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हिंसक प्रदर्शन में सरकार के रडार पर आने वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) के पक्ष में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र सामने आ गए हैं। हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश में सक्रिय (पीएफआइ) के 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
प्रदेश में हुए बवाल के लिए सरकार भले ही पीएफआइ को जिम्मेदार मान रही है लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इस संगठन के समर्थन में आवाज उठ रही है। छात्रों ने साफ कहा है कि हम पीएफआइ के साथ हैं। इसको लेकर बाबे सैयद पर बुधवार को 17वें दिन भी धरना जारी रहा। समन्वय समिति की अगुवाई में छात्रों ने उपद्रव में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल भी जलाए। सीएए, एनआरसी व एनपीआर का विरोध जताते हुए हस्ताक्षर अभियान चलाया।
मंगलवार को बाबे सैयद से प्रोजेक्टर हटाने पर प्रॉक्टर की कार्रवाई की निंदा करते हुए इस्तीफे की मांग की। छात्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राज्य में अराजकता के लिए पीएफआइ को जिम्मेदार ठहराया है। पीएफआइ जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। सरकार पीएफआइ को निशाना बना रही है। यह संगठन तब भी मुखर था और आज भी है। अन्य संगठन चुप हैैं। छात्रों ने कहा कि उप मुख्यमंत्री का यह बयान विरोध प्रदर्शन को बंद कराने का एक और प्रयास है, मगर यह कदम आंदोलन को और तेज करेगा। हम पीएफआइ के कार्यकर्ताओं के लिए खड़े हैं और उप मुख्यमंत्री के बयान की निंदा करते हैं।