राजस्थान में मनरेगा श्रमिकों की संख्या 22 लाख पार, बाहर से लौटे श्रमिक अब मनरेगा में करने लगे काम
राजस्थान में मनरेगा श्रमिकों की संख्या 22 लाख पार बाहर से लौटे श्रमिक अब मनरेगा में करने लगे काम
जयपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों से आए राजस्थानी श्रमिक अब मनरेगा में काम करने लगे हैं। अब तक ये अन्य राज्यों में रोजी-रोटी की तलाश में गए थे,लेकिन जहां लॉकडाउन हुआ तो ये श्रमिक घर आ गए। यहां अन्य कोई काम करने के बजाय मनरेगा में मजदूरी करने लगे।
राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने बताया कि प्रदेश में अब तक सबसे अधिक 22 लाख श्रमिकों ने मनरेगा में काम किया। सबसे अधिक मजदूरी करने वालों में कोरोना का प्रदेश में सबसे पहला हॉटस्पॉट बने भीलवाड़ा जिला शामिल है। भीलवाड़ा में 2.27 लाख एवं आदिवासी जिले डूंगरपुर में 1.93 लाख श्रमिकों ने मजदूरी की।
उन्होंने बताया कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ था तो 62 हजार श्रमिकों ने काम किया था,लेकिन अब यह अधिकतम संख्या बढ़कर 22 लाख हो गई है। श्रमिकों की संख्या आगामी दिनों और बढ़ सकती है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दूसरे राज्यों में काम कर रहे प्रदेश के हजारों श्रमिक लॉकडाउन के दौरान अपने गांव लौटे हैं और अब लौट भी रहे हैं।
उनके सामने रोजगार का बडा संकट हैं, ऐसे में उनके आवेदन करने पर जॉबकार्ड तैयार कर उन्हें मनरेगा से जोड़ा जा रहा है जिससे उन्हें अपने गांव में ही रोजगार मिल सके। बाहर से लौटे श्रमिकों को निर्धारित क्वॉरेंटाइन अवधि पूरा करने के बाद ही काम दिया जा रहा है। इसके तहत खेतों की मेडबंदी,भूमि का समतलीकरण एवं स्थनीय प्रकृति के अन्य कार्य कराए जा रहे हैं ।
260 श्रेणी के जो कार्य मनरेगा योजना के तहत करवाए जा सकते हैं उनमें से सिर्फ व्यक्तिगत लाभ की श्रेणी के कार्य ही फिलहाल श्रमिकों से करवाए जा रहे हैं । इस का कारण यह है कि श्रमिकों में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेंन हो सके और कोरोना का कोई खतरा ना रहे । कार्यस्थल पर हाथ धोने के लिए साबुन और श्रमिकों के मास्क पहनने के लिए कहा गया है।