गौरव के क्षण: चेहरे पर विजयी चमक संग सीना ताने अपनी धरती की ओर बढ़े अभिनंदन
विंग कमांडर शुक्रवार को अपनी धरती की ओर सीना ताने धीमे कदमाें से बढ़े तो उनके चेहरे पर जीत की चमक साफ नजर आ रही थी। यह पूरे देश के लिए गौरव का क्षण था।
विपिन कुमार राणा, अटारी (अमृतसर)। विंग कमांडर अभिनंदन मातृभूमि की ओर धीमे कदम से बढ़े तो उनका अंदाज पूरे देश को गौरव के क्षण दे गया। वह आंखों में शेर सी चमक... चेहरे पर विजयी दमक... तना हुआ सीना... धीरे-धीरे पाकिस्तान के वाघा से अपने अपनी मातृभूमि की अोर में बढ़े। अटारी की ओर कदम बढ़ाते अभिनंदन के हाव-भाव रोमांचित करने वाले थे।
शुक्रवार रात करीब 9.14 बजे से 9.21 बजे के बीच के क्षण भुलाए नहीं भुलेंगे। दिन भर टीवी स्क्रीनों पर टकटकी लगाए देशवासियों ने जब नीले चेकदार कोट, सफेद कमीज, खाकी पैैंट और ब्राउन जूतों में शूरवीर को देखा तो खुशी के आंसुओं के बीच उल्लास व विजय की चमक तैरने लगी। भारतीय मीडिया को चूंकि अटारी बॉर्डर पर जीरो लाइन से करीब एक किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया था, इसलिए पाकिस्तान की ओर से टीवी पर जो तस्वीरें दिखाई दीं, उन्हीं से सब्र करना पड़ा।
वाघा से अटारी की ओर बढ़ते अभिनंदन के हाव-भाव पूरे देश को कर रहे थे रोमांचित
दुश्मन की धरती पर पराक्रम और साहस का अप्रतिम उदाहरण पेश कर लौट रहा यह विंग कमांडर करीब साढ़े सात मिनट में 132 कदम चलकर जीरो लाइन तक पहुंचा। चेहरे पर शांत भाव था और आंखें अपनी धरती की ओर ताकत रही थीं..., पूरा माहौल अभिनंदन संग पूरे देश को सुकून देने वाले थे। दाईं ओर चले रहे भारतीय उच्चायोग के अधिकारी कुरियन और बीच में चल रही महिला अफसर में कुछ बातचीत हुई तो इस वीर की पुतलियां भी उधर घूमीं और एक मुस्कान बिखरी। मानो सब कुछ नार्मल हो।
साढ़े सात मिनट में 132 कदम चलकर जीरो लाइन तक पहुंचे, अपनी धरती की ओर ताकती रही थीं आंखें
भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान की सीमा से सीना ताने धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए अपनी धरती की ओर बढ़े। दाईं ओर उनके गाल पर सूजन थी और आंखों के पास नीला निशान था। यह उन पाकिस्तानी नागरिकों की दरिंदगी के निशान थे जिन्हें जब यह पता चला कि वह भारतीय सैनिक हैैं तो उन पर टूट पड़े थे। लेकिन, जब अभिनंदन अपनी धरती की ओर बढ़ रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि वह अपने उस दर्द को भूल गए हैैं जो पैराशूट से कूदकर नीचे गिरने से उनकी पीठ में उठा था।
130 करोड़ देशवासियों की दुआएं काम आईं
उनको लगी चोटें कितनी गंभीर हैैं यह तो दिल्ली में होने वाले मेडिकल के बाद ही पता चलेगा, लेकिन उनके आने से पूरे देश को और विशेषकर उनके परिजनों को बड़ा सुकून जरूर मिल गया। 130 करोड़ भारतीयों की दुआएं काम आईं और मां भारती का लाल सकुशल लौट आया। अभिनंदन की वापसी के समय अटारी बॉर्डर पर मौजूद लोगों का कहना था कि अब बस यही कामना है कि वह फिर वैसे ही असीम नभ को नापें जैसे तीन दिन पहले तक नाप रहे थे। उनके अदम्य साहस की गाथा भारत के इतिहास में हमेशा गर्व से सुनाई जाती रहेगी।
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एयर वाइस मार्शल रवि कपूर बोले- अभिनंदन बहुत ऊंचाई से गिरा, शरीर पर बहुत दबाव
अभिनंदन की वापसी के बाद एयर वाइस मार्शल रवि कपूर ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने एयरफोर्स के बहादुर अधिकारी विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को हमें सौप दिया है। इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट अटारी पर प्रेस कांफ्रेंस में कपूर ने कहा कि अभिनंदन मिग-21 से बहुत ऊंचाई से गिरा था, इसलिए अभी उसके शरीर पर बहुत दबाव है। दिल्ली में उसका मेडिकल टेस्ट करवाया जाएगा।
अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर शिव दुलार सिंह ढिल्लों ने कहा कि अभिनंदन को लेने के लिए दिल्ली से एयरफोर्स के सीनियर अधिकारियों की टीम शुक्रवार को सायं करीब चार बजे ही पहुंच गई थी। टीम के साथ अभिनंदन के पिता एयरफोर्स के रिटायर्ड अधिकारी एस. वर्तमान और माता शोभा भी थीं। दोनों एयरफोर्स की टीम के साथ ही दिल्ली रवाना हो गए। पाक द्वारा विंग कमांडर को देरी से छोडऩे के सवाल पर पर ढिल्लों ने कहा कि इस्लामाबाद से लाहौर की दूरी बहुत है, जिसके चलते इतना समय लगा है।
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प्रोटोकॉल के कारण कैप्टन नहीं पहुंच पाए अटारी
दूसरी अोर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एयरफोर्स के प्रोटोकॉल के कारण अटारी सीमा पर विंग कमांडर अभिनंदन का स्वागत करने नहीं पहुंच पाए। कैप्टन ने वीरवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर कहा था कि वह चाहते हैं कि वे अभिनंदन को रिसीव करने जाएं। ये उनके लिए गर्व के पल होंगे। बताया जा रहा है कि पायलट की इस तरह से वापसी के लिए एयरफोर्स का एक प्रोटोकॉल है। इसके तहत मुख्यमंत्री सीमा पर विंग कमांडर को रिसीव नहीं कर सकते।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि वह चाहते थे विंग कमांडर का स्वागत करें। इससे उन्हें खुशी होती, लेकिन वह सेना या एयरफोर्स के प्रोटोकॉल को नहीं तोडऩा चाहते। ये पहले से तय है। जब भी कोई इस तरह आता है, जैसे 1965 और 1971 की जंग के बाद युद्धबंदी आए थे, उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए जाना पड़ता है। उसके बाद डीब्रीफ किया जाता है। ये प्रक्रिया है जिसे अपनाया जाएगा।