West Bangal: बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बयान पर पार्थ चटर्जी ने किया पलटवार
तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि जब राज्यपाल को विधानसभा स्पीकर की ओर से सत्र के स्थगित होने की चिट्ठी भेजी गई थी तो फिर उन्हें जाने की आवश्यकता ही क्या थी।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ गुरुवार को विधानसभा पहुंचे लेकिन सत्र स्थगित रहने व विधानसभा गेट बंद रहने के कारण उन्हें चक्कर काट कर बाद में दूसरे गेट से प्रवेश करना पड़ा। इसकी आलोचना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सत्र नहीं चलने का मतलब सचिवालय का बंद होना नहीं है। ये बहुत ही शर्मनाक पल है। मेरा अपमान नहीं बल्कि लोकतंत्र का अपमान है। वहीं इस पर पलटवार करते हुए तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि जब राज्यपाल को विधानसभा स्पीकर की ओर से सत्र के स्थगित होने की चिट्ठी भेजी गई थी तो फिर उन्हें जाने की आवश्यकता ही क्या थी।
बातचीत में पार्थ ने कहा कि वे अपने मर्जी अनुसार गए और गेट नंबर दो, तीन घूमते रहे, यदि वे सही मायने में प्रजातंत्र को मजबूत करना चाहते हैं तो फिर उन्हें विधेयकों पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए था ताकि विधानसभा की कार्रवाही सुचारू ढंग से चल पाता। उन्होंने कहा कि जैसा कि राज्यपाल कह रहे हैं कि विधेयकों में खामियां थी, यदि ऐसा है तो उन्हें इस पर हमें तलब करना चाहिए था। इतना ही नहीं पार्थ ने कहा कि राज्यपाल लोकतंत्र की बात करते हैं तो फिर वे केंद्र के पास राज्य के पैसों को आवंटित करने की सिफारिश क्यों नहीं कर देते।
इसके बाद वर्तमान राज्यपाल की तुलना पूर्व राज्यपालों से करते हुए पार्थ ने कहा कि वर्तमान राज्यपाल को लेकर ही इतना हंगामा क्यों मचा है, मैंने इससे पहले दूसरे राज्यपालों को भी देखा है लेकिन ऐसा नहीं देखा। उन्होंने कहा कि उन्हें कहीं जाने से भला कौन रोक रहा है, जहां मर्जी जाएं लेकिन सरकारी पैसों की बर्बादी नहीं करें। पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से जगदीप धनखड़ की तुलना करते हुए पार्थ ने कहा कि पहले मीडिया उनकी कविता सुनने जाता था और अब मीडिया के लोग राज्यपाल का भाषण सुनने जाते हैं।